राष्ट्र

तलवार दंपत्ति आरुषि की हत्या के दोषी

गाज़ियाबाद | संवाददाता: डॉ. राजेश तलवार और उनकी पत्नी डॉ. नुपूर तलवार को आरुषि हत्याकांड में दोषी ठहराया गया है.

सीबीआई की विशेष अदालत ने सोमवार को इस मामले में फैसला सुनाते हुए तलवार दंपत्ति को उनकी बेटी आरुषि तलवार की हत्या का दोषी ठहराया और कहा कि इस मामले में सज़ा मंगलवार को सुनाई जाएगी.

दोनों को धारा 302, 201 और 34 के तहत दोषी माना गया है. राजेश तलवार को अलग से धारा 203 के तहत दोषी माना गया है. फैसले के बाद पुलिस ने तलवार दंपत्ति को हिरासत में लेकर डासना जेल भेज दिया है.

तारीखों में अरुषि तलवार हत्याकांड:

15-16 मई 2008: 15-16 मई की दरमियानी रात को 14 वर्षीय आरुषि तलवार अपने कमरे में मृत पाई गई थी. नौकर हेमराज का शव मकान के टेरेस पर अगले दिन सुबह मिला.

23 मई 2008: नोएडा पुलिस ने आरुषि के पिता डॉ. राजेश तलवार को डबल मर्डर के आरोप में गिरफ्तार किया.

31 मई 2008: सीबीआई को केस सौंपा गया.

11 जुलाई 2008: सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर अरुण कुमार ने एक प्रेस कांफरेंस में डॉ. तलवार को क्लीन चिट दे दी. उन्होंने तीन नौकरों कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल और मृत हेमराज पर आरोप लगाया कि उन्होंने शराब पीने के बाद आरुषि का बलातकार करने की कोशिश की थी. इसके बाद डॉ. तलवार को सुबूतों के अभाव में जेल से छोड़ा गया.

9 सितंबर 2008: सीबीआई ने उपरोक्त तीनों आरोपी नौकरों के खिलाफ चार्जशीट फाइल करने में असमर्थ रही तथा उन तीनों को जमानत मिल गई.

9 फरवरी 2009: तलवार दंपति पर हत्या का मामला दर्ज किया गया.

9 सितंबर 2009: अभी तक हत्या में इस्तेमाल हथियार तथा मोबाइल फोन नहीं मिल पाया था. सीबीआई ने जाँच दल को बदला और जाँच का जिम्मा ए.जी.एल कौल को दे दिया.

29 अक्टूबर 2010: सीबीआई ने गाजियाबाद में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की और कहा कि तलवार दंपत्ति के खिलाफ पर्याप्त सुबूत नहीं है.

25 जनवरी 2011: डॉ. राजेश तलवार को गाजियाबाद कोर्ट मे उत्सव शर्मा नामक एक आदमी ने हमला किया. उत्सव केस को बंद किए जाने का विरोध कर रहा था. तलवार दंपत्ति ने सात पन्नों की विरोध याचिका कोर्ट में दाखिल की कि क्लोजर रिपोर्ट को रिजेक्ट किया जाए तथा आगे जाँच की जाए.

फरवरी 9 2011: विशेष सीबीआई न्यायाधीश प्रीति सिंह ने क्लोज़र रिपोर्ट को खारिज कर दिया और डॉ. राजेश तलवार और उनकी पत्नी डॉ. नुपुर तलवार को हत्या तथा सुबूत नष्ट किए जाने का आरोपी माना.

इस क्लोजर रिपोर्ट में कहा गया कि इन्होंने कमरे की सफाई की और आरुषि की भी आंतरिक सफाई की तथा नोएडा अस्पताल के डॉ. को फोन किया था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आरुषि से बलात्कार होने का उल्लेख न करे.

11 अप्रैल 2012: सीबीआई कोर्ट ने डॉ. नुपूर तलवार के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया क्योंकि वे कोर्ट में उपस्थित नहीं रहीं.

30 अप्रैल 2012: नुपूर तलवार ने कोर्ट के समक्ष समर्पण किया और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार उन्हें डासना जेल भेजा गया.

मई 2012: सीबीआई जज श्यामलाल ने नुपूर तलवार को जमानत देने से इंकार किया.

8 जून 2012: हत्याकांड की सुनवाई शुरु हुई

17 सितंबर 2012: सुप्रीम कोर्ट ने नुपूर तलवार को जमानत दी.

16 अप्रैल 2013: सीबीआई के जाँचकर्ता अधिकारी एजीएल कौल ने कोर्ट में कहा कि तलवार दंपत्ति ने ही अपनी पुत्री आरुषि तथा नौकर हेमराज का कत्ल किया था.

22 अप्रैल 2013: एजीएल कौल ने कोर्ट में बताया कि वे डॉ. राजेश तलवार, नुपूर तलवार, दिनेश तलवार और शिषिर चौधरी के खिलाफ 2010 में चार्जशीट दायर करना चाहते थे लेकिन सीबीआई के पुलिस अधीक्षक नीलभ किशोर तथा उपनिदेशक जावेद अहमद ने उन्हें क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.

23 अप्रैल 2013: एजीएल कौल ने कोर्ट में इन दोनों हत्याकांड के पीछे का कारण ऑनर किलिंग बताया.

13 मई 2013: सुप्रीम कोर्ट ने तलवार दंपत्ति से कहा कि अब वे न्यायालय का समय बर्बाद करना बंद करें और बार-बार उन्हें नई तारीख नहीं दी जा सकती है. सीबीआई ने अंतिम बहस में कहा कि तलवार दंपत्ति ह्त्याओं के आरोपी हैं.

14 अक्टूबर 2013: तलवार दंपत्ति ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा और सीबीआई के आरोपों को नकारा.

12 नवंबर 2013:बहस पूरी हुई और जज ने 25 तारीख को अपने फैसले को सुरक्षित रखा.

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