कठोर होगा अमरीकी एच1बी वीजा
वाशिंगटन | एजेंसी: अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा एच1बी वीजा में भारतीय चिंताओं को दरकिनार कर सुधार करना चाहते हैं. उन्होंने उस विधेयक के प्रति समर्थन जताया है, जिसके बारे में भारतीय आईटी उद्योग को आशंका है कि इससे भारतीय पेशेवरों के अमरीका जाने की राह में बाधा पैदा होगी.
एक अनुमान के अनुसार भारतीय कंपनियों के लिए वीजा से संबंधित लागत दोगुनी हो जाएगी. महत्वपूर्ण आउटसोर्सिग परियोजनाओं पर भारतीय इंजीनियरों को एच1बी वीजा पर भेजने की क्षमता भी प्रभावित होगी.
लेकिन भारतीय आउटसोर्सिग कंपनियों तथा भारत के साथ कारोबार करने वाली 350 शीर्ष अमरीकी कंपनियों के समूह, अमरीका-भारत व्यापार परिषद की शिकायत है कि सीनेट द्वारा पारित यह विधेयक भारतीय कंपनियों पर भेदभावपूर्ण प्रतिबंध लागू करता है.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले महीने ओबामा के साथ हुई मुलाकात के दौरान इस चिंता से उनको अवगत कराया था. ओबामा ने भारत की चिंता पर ध्यान देने का वादा किया था.
लेकिन ओबामा ने गुरुवार को व्हाइट हाउस में कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा, “अब और इंतजार नहीं. इसे बंद कर देना आसान नहीं है. इसमें अब और देरी नहीं करनी है. इसे द्विदलीय सहयोग से होना चाहिए.”
श्रमिक, व्यापारिक, धार्मिक नेताओं तथा दक्षिण एशिया व अन्य प्रवासी समुदायों के नेताओं के सामने ओबामा ने कहा, “जो कोई भी इन सुधारों के रास्ते में खड़ा है उसे बताना चाहिए कि उसका कारण क्या है.”
उन्होंने कहा कि यदि हाउस के रिपब्लिकन सांसदों के पास कोई अतिरिक्त विचार है तो उनको आगे आना चाहिए. जिससे कि हम उनको सुन सकें.
सीनेट ने इस विधेयक को 68-32 वोट से पारित कर दिया है. इससे 1.1 करोड़ गैर दस्तावेजी प्रवासियों को अमरीकी नागरिकता का रास्ता साफ हो गया है. इनमें 360,000 भारतीय हैं.
ओबामा ने कहा, “इसका कोई मतलब नहीं बनता कि 1.1 करोड़ लोग अवैध ढंग से देश में रह रहे हैं. उनको कानूनी आधार प्रदान किया जाना चाहिए जिससे वे अपनी जिम्मेदारियों को निभा सकें.” गौर तलब है कि इन सुधारो से नये लोगो को अमरीका जाने में कठिनाईयां आयेंगी.
ज्ञात्वय रहे कि एच1बी वीजा अमरीका में नौकरी करने के लिये जाने वाले विदेशियों को दिया जाता है. यदि इसे कठोर बना दिया गया तो उन भारतीयों को जो अमरीका नौकरी करने के लिये जाते हैं कठिनाई होगी.