9 कोयला ब्लॉकों की बोली समीक्षाधीन
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: अब तक नीलाम हो चुके 33 कोयला ब्लॉकों में से 9 ब्लॉकों के लिए मिली सर्वाधिक बोली की समीक्षा कर रही है. इसी दौरान कोयला, खदान तथा खनिज विधेयकों पर प्रवर समिति की रपट बुधवार को राज्यसभा में विपक्ष के भारी हंगामे के बीच पेश की गई. समिति ने इन विधेयकों में किसी में भी बदलाव की सिफारिश नहीं की.
नौ नीलामी ब्लॉकों में लगाई गई बोली में कोई विसंगति है या नहीं इस विषय पर कोयला मंत्रालय इसी सप्ताह फैसला लेगा. इन खदानों के लिए बोली लगाने वाली कंपनियों में जिंदल स्टील और बाल्को भी शामिल हैं.
नीलामी के लिए नामजद प्राधिकार द्वारा बोली की समीक्षा पर ही हिंडाल्को, जिंदल स्टील एंड पावर, जेपी सीमेंट्स और उषा मार्टिन जैसी कंपनियों द्वारा लगाई सर्वाधिक बोली पर आखिरी फैसला निर्भर करेगा.
कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी ने बुधवार को आईएएनएस से कहा कि नौ में से पांच ब्लॉक सूची-3 श्रेणी में तथा चार सूची-2 श्रेणी से संबंधित हैं.
सूत्र ने बताया कि मंत्रालय एक विश्लेषण टूल ‘आउटलियर’ के जरिए दूसरे ब्लॉकों के लिए लगी सर्वाधिक बोली से तुलना कर यह देख रही है कि क्या इन ब्लॉकों के लिए लगी सर्वाधिक बोली काफी कम है.
कोयला सचिव अनिल स्वरूप ने इस विषय पर ट्विटर पर लिखा, “अभी तक व्यवसाइयों के मिलीभगत का आरोप नहीं लगाया जा रहा है.”
मंत्रालय ब्रिदा और ससाई ब्लॉक का हवाला दे रहा है, जिसकी बोली 1,802 रुपये प्रति टन पर खुली और 1,804 रुपये प्रति टन पर बंद हुई. इसी प्रकार मेरल खदान की बोली 725 रुपये प्रति टन पर खुली और 727 रुपये प्रति टन पर बंद हुई.
इसी बीच राज्यसभा की प्रवर समिति ने बिना किसी संशोधन के मंगलवार विधेयक पर अपनी मंजूरी दे दी.
कोयला विधेयक पर प्रवर समिति की रपट में कहा गया है कि समिति बगैर किसी बदलाव के विधेयक की सिफारिश करती है.
रपट में आगे कहा गया है कि समिति के सुझावों को देखा जाना चाहिए.
खदान एवं खनिज विधेयक पर समिति की रपट में भी विधेयक के किसी भी खंड में किसी बदलाव की सिफारिश नहीं की गई है. इसमें हालांकि कहा गया है, “विचारार्थ विधेयक में संशोधन के सीमित अधिकार के मद्देनजर समिति यह राय रखती है कि ये मुद्दे इतने महत्वपूर्ण हैं कि इनपर सरकार द्वारा गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए.”
रपट में कहा गया है, “समिति सिफारिश करती है कि मंत्रालय विचार करे कि ये मुद्दे एमएमडीआर अधिनियम, 1957 में उचित स्तर पर शामिल किए जाएं और उसके तहत प्रासंगिक नियम/कानून बनाए जाएं.”
सदन में रपट पेश किए जाने के बाद विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, “जिस तरह खदान और कोयला विधेयकों को पारित कराने की कोशिश की जा रही है, हम उसपर अपना विरोध दर्ज कराना चाहते हैं.”
उन्होंने कहा, “विधेयकों को प्रवर समिति के बाद स्थायी समिति के पास नहीं भेजा गया. मेरी पार्टी ने कहा था कि हम अगले सत्र के प्रथम सप्ताह में रपट चाहते हैं. लेकिन हमारी पार्टी के सदस्यों और अन्य संबद्ध पक्षों की चिंताओं पर ध्यान नहीं दिया गया है.”
आजाद ने कहा कि इसके कारण विधेयक को एक प्रवर समिति के पास भेजने की पूरी कसरत निर्थक हो गई.