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छत्तीसगढ़ की 80 फीसदी आबादी सरकारी राशन के भरोसे

रायपुर | प्रफुल्ल ठाकुर : कृषि उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यों में शुमार छत्तीसगढ़ की 80 फीसदी आबादी सरकारी राशन के भरोसे है. खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग के मुताबिक, राज्य की कुल 2 करोड़, 41 लाख, 74 हजार 517 लोग सरकारी राशन पर निर्भर हैं.

विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस
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विभाग की वेबसाइट से प्राप्त जानकारी के अनुसार, राज्य में कुल 77 लाख 24 हजार 699 परिवारों के राशन कार्ड बनाए गए हैं.

इनमें बीपीएल, प्राथमिकता, निराश्रित और निःशक्तजनों के कुल 68 लाख, 51 हजार, 454 राशन कार्ड बने हैं.

राज्य में गरीबी रेखा से ऊपर (एपीएल) के भी कुल 8 लाख, 73 हजार, 245 राशन कार्ड बनाए गए हैं. जिसके माध्यम से सामान्य परिवारों के भी कुल 28 लाख, 14 हजार 321 लाभार्थियों को राशन दिया जा रहा है.

नेशनल कमीशन आन पापुलेशन मिनिस्ट्री आफ हेल्थ एंड फैमली वेलफेयर के अनुसार, छत्तीसगढ़ की कुल जनसंख्या 1 मार्च 2024 की स्थिति में 3 करोड़, 5 लाख, 24 हजार है.

खाद्य विभाग की वेबसाइट के मुताबिक इनमें से कुल 2 करोड़, 69 लाख, 88 हजार 838 लोगों को राज्य में सरकारी राशन प्रदान किया जा रहा है.

प्रदेश की कुल आबादी में केवल 35 लाख, 35 हजार 162 लोग ही एसे हैं, जिन्हें सरकारी राशन नहीं मिलता. यानी जिनके पास राशन कार्ड नहीं है.

रायपुर जिले के 21 लाख लोगों को सरकारी राशन

प्रदेश में सर्वाधिक रायपुर जिले के 21 लाख 54 हजार 459 शहरी और ग्रामीण आबादी को सरकारी राशन प्राप्त हो रहा है. जिले में कुल 6 लाख, 2 हजार 124 परिवारों के राशन कार्ड बनाए गए हैं.

दूसरे स्थान पर बिलासपुर व तीसरे पर दुर्ग जिला है.

बिलासपुर के कुल 18 लाख, 18 हजार 986 व दुर्ग जिले के कुल 17 लाख, 3 हजार 329 व्यक्तियों को सरकारी राशन दिया जा रहा है.

बिलासपुर जिले में कुल 5 लाख 40 हजार 224 व दुर्ग जिले में कुल 4 लाख 78 हजार 275 परिवारों ने राशन कार्ड बनवाए हैं.

जिलेवार आंकड़ों पर नजर डालें तो सबसे कम नारायणपुर जिले के लोगों को सरकारी राशन मिल रहा है.

जिले में कुल 36 हजार 246 राशन कार्ड बनाए गए हैं, जिनके जरिए कुल कुल 1 लाख 36 हजार की आबादी को राशन दिया जा रहा है.

7 किलो चावल से महीने भर कैसे भरेगा पेट

राज्य सरकार गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को अंत्योदय कार्ड के जरिए हर महीने 35 किलो चावल 1 रुपए प्रति किलो की दर से मुहैया कराती है.

इसी तरह प्राथमिकता राशन कार्ड के जरिए भी लोगों को राशन दिया जाता है. लेकिन इसमें राशन की मात्रा परिवार के सदस्यों की संख्या पर निर्भर करती है.

एक सदस्य पर 10, दो सदस्य पर 20, तीन से पांच सदस्य पर 35 और 5 से अधिक सदस्य होने पर प्रति सदस्य 7 किलो चावल दिया जाता है.

अन्नपूर्णा राशन कार्ड में भी हर महीने 35 किलो चावल दिया जाता है. इसमें 10 किलो चावल के लिए कोई पैसे नहीं लिए जाते, बाकि 25 किलो चावल के लिए 1 रुपए की दर से पैसे लिए जाते हैं.

नि:शक्तजन राशन कार्ड में हर महीने 10 किलो चावल वितरित किया जाता है. इसके लिए लाभार्थी से कोई पैसे नहीं लिए जाते.

राशन कार्ड कोई भी हो, प्रत्येक व्यक्ति के हिस्से में महीने भर के लिए 7 किलो चावल ही आता है. इतने में किसी का पेट कैसे भरेगा, यह बड़ा सवाल है.

सामान्य वर्ग के परिवारों के लिए एपीएल कार्ड

सामान्य वर्ग में आने वाले एपीएल राशन कार्ड बनवा सकते हैं.

इसमें प्रति माह 35 किलो चावल वितरण किया जाता है. इसके लिए लाभार्थियों को प्रति किलो चावल के लिए 10 रुपए का भुगतान करना पड़ता है.

एपीएल राशन कार्ड बनवाने के लिए राज्य का कोई भी परिवार आवेदन कर सकता है.

शक्कर, मिट्टी तेल और नमक के लिए भी सरकारी निर्भरता

छत्तीसगढ़ में पात्रता अनुसार राशन कार्डधारियों को चावल, शक्कर, नीला मिट्टी तेल, नमक और चना का वितरण किया जाता है.

ये सामग्री अलग-अलग क्षेत्रों में पात्रता अनुसार वितरित की जाती है.

नीले मिट्टी तेल की कीमत 38 रुपए प्रति लीटर है और शक्कर की कीमत 17 रुपए प्रति किलो है.

राज्य की एक बड़ी आबादी शक्कर, मिट्टी तेल और नमक के लिए सरकार पर निर्भर है.

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