छत्तीसगढ़ विशेष

छत्तीसगढ़ में विकलांगों के लिए आरक्षित पदों पर 50% फर्जी विकलांग!

रायपुर। संवाददाताः ‘छत्तीसगढ़ में विकलांगों के लिए आरक्षित पदों में से लगभग 50 प्रतिशत पदों पर फर्जी विकलांगता सर्टिफिकेट के जरिए लोगों ने नौकरी हथियाई है.’यह आरोप छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने लगाया है.

संघ के अध्यक्ष बोहित राम चंद्राकर ने आरोप लगाते हुए कहा कि जिला मेडिकल बोर्ड में डॉक्टरों से लेनदेन कर फर्जी विकलांगता सर्टीफिकेट बनवाए जाते हैं. छत्तीसगढ़ में फर्जी विकलांगता सर्टीफिकेट बनाने वाले कई गैंग सकिय हैं, जो 50 हजार से 1 लाख रूपए तक में फर्जी सर्टीफिकेट बनवा कर देते हैं.

बोहित राम चंद्राकर ने बताया कि ऐसे कुछ मामलों की जानकारी डॉक्टर या स्टाफ हो भी होती है, लेकिन ज्यादातर मामलों में सर्टीफिकेट बनवाते समय पैसे देकर अन्य किसी विकलांग को जिला मेडिकल बोर्ड के डॉक्टरों के समझ प्रस्तुत कर दिया जता है. इससे डॉक्टर आसानी से सर्टीफिकेट जारी कर देते हैं.

इस प्रकार फर्जी व्यक्ति की सरकारी नौकरी लग जाती है और और वास्तविक विकलांग अपने अधिकार से वंचित रह जाता है.

बोहित राम चंद्राकर ने कहा कि ‘दिव्यांग व्यक्ति का जीवन संघर्षों से भरा होता है. फर्जी विकलांग हमारे अधिकारों पर डाका डाल रहे हैं. हमारे पास इनके पुख्त सबूत हैं. इनमें से कई लोग हमारे संघ के सदस्यों के साथ पढ़े-लिखे हैं.’

बोहित राम चंद्राकर ने बताया कि छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने प्रारंभिक तौर पर छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग यानी पीएससी से चयनित 7 डिप्टी कलेक्टर, 3 लेखा अधिकारी, 3 नायब तहसीलदार, 2 सहकारिता निरीक्षक, 3 पशु चिकित्सक अधिकारी सहित लगभग 25 लोगों की शिकायत शासन-प्रशासन से की है.

कृषि विभाग के 52 ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, उद्यान विभाग के 11 ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी, मुंगेली जिला के 39 अधिकारी कर्मचारी, जल संसाधन विभाग के लगभग 10 उपअभियंता, लोक निर्माण विभाग के लगभग 15 उप-अभियंताओं के फर्जी विकलांग होने की शिकायत संघ विगत 2 वर्षों से लगातार कर रहा है.

बोहित राम चंद्राकर ने बताया कि 2018 में स्कूल शिक्षा विभाग में विकलांग कोटे से चयनित शिक्षकों में से लगभग 70 प्रतिशत लोग फर्जी विकलांग हैं. इसी प्रकार उच्च शिक्षा विभाग की सहायक प्राध्यापक भर्ती में से 60 प्रतिशत लोग फर्जी विकलांग हैं. इनकी ज्वाइनिंग नवंबर 2019 के बाद हुई है.

छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ की शिकायत तथा राधाकृष्ण बनाम छत्तीसगढ़ शासन की जनहित याचिका क्रमांक 14/2019 के बाद छत्तीसगढ़ शासन ने 29 मई 2023 और 22 जून 2023 दो परिपत्र निकाले हैं, जिसमें साफ उल्लेख है कि नवंबर 2019 के बाद ज्वाइन किए समस्त शासकीय सेवकों की विकलांगता का भौतिक परीक्षण किया जाएगा, लेकिन शासन-प्रशासन कागजी घोड़ा दौड़ा रहे हैं. आज तक किसी किसी भी विभाग ने इस परिपत्र का पालन नहीं किया.

फर्जी लोग दमदारी से नौकरी कर रहे हैं और वास्तविक विकलांग दो-दो यूजी और पीसी कोर्स करने के बावजूद दर-दर की ठोकर खा रहे हैं.

कांग्रेस-भाजपा दोनों के मंत्रियों से मिले

बोहित राम चंद्राकर ने बताया कि कांग्रेस शासन काल में वे लोग मुख्यमंत्री से लेकर लगभग सभी संबंधित मंत्रियों से मिले थे, लेकिन उन्होंने सिर्फ आश्वासन दिया गया, कोई कार्रवाई नहीं की गई.

वर्तमान में संघ के पदाधिकारी उप-मुख्यमंत्री विजय शर्मा, अरूण साव, मंत्री ओपी चौधरी, लक्ष्मी रजवाडे, रामविचार नेताम से मुलाकात कर उनके समक्ष अपनी बातें रख चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई विशेष परिणाम सामने नहीं आया है.

उनकी शिकायतों में उल्लेखित नामों में से केवल 3 का राज्य मेडिकल बोर्ड से परीक्षण हुआ है, जिसमें तीनों फर्जी विकलांग साबित हुए हैं.

इसमें रिचा दुबे, सहायक संचालक कृषि, महासमुंद बर्खास्त हो चुकी हैं. लेकिन उन पर विभाग ने आज तक प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई है.

वहीं सत्येन्द्र सिंह चंदेल, व्याख्याता, जिला जांजगीर एवं अक्षय सिंह राजपूत, व्याख्याता, जिला मुंगेली की बर्खास्ती भी आज तक नहीं हो पाई है. विभाग के लोग दोनों को बचा रहे हैं.

फर्जी लोगों को बचा रहे अधिकारी

बोहित राम चंद्राकर ने बताया ने बताया कि सभी विभाग अपने अधिनस्त अधिकारी- कर्मचारी को विकलांगता परीक्षण के लिए पत्राचार करते हैं, लेकिन उनकी शिकायत में उल्लेखित लगभग 200 नामों में से अब तक केवल 3 लोग ही राज्य/संभाग मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित हुए हैं, जिसमें तीनों फर्जी साबित हुए हैं.

बाकि लोग डर के मारे मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित नहीं हो रहे हैं.

बोहित राम चंद्राकर ने आरोप लगाया कि विभागों को इनका वेतन रोक कर कड़ी कार्रवाई करना चाहिए, लेकिन विभाग के लोग खुद लेन-देन कर उनका सहयोग कर रहे हैं. इन लोगों के खिलाफ ऐसे पत्र निकाले जाते हैं, जिससे उन्हें कोर्ट में स्टे मिल जाए या जांच कराने पर भी कोई कार्रवाई न हो सके.

बोहित राम चंद्राकर ने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के आदेश के तहत जिला मेडिकल बोर्ड की अपील संभाग मेडिकल बोर्ड में होगी एवं संभाग मेडिकल बोर्ड की अपील राज्य मेडिकल बोर्ड में होगी.

उनकी शिकायतों में उल्लेखित सभी लोगों का विकलांगता प्रमाण पत्र जिला मेडिकल बोर्ड से बना है. लेकिन संबंधित विभाग इस परिपत्र का पालन नहीं कर रहे हैं. गलत पत्र निकाल कर संबंधितों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं.

शिकायत में उल्लेखित नामों में से लगभग 50 लोग छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट चले गए हैं. ये लोग कोर्ट में 50-60 हजार रुपए खर्चा कर आ रहे हैं, लेकिन उन्हें एक दिन राज्य/संभाग मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित होकर जांच कराने में दिक्कत हो रही है.

ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर सुर्खियों में

फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए आईएएस बनने का मामला इन दिनों सुर्खियों में हैं. ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर पर फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए नौकरी हथियाने के आरोप लगे हैं. इस मामले को लेकर जांच जारी है.

इस मामले में यूपीएससी ने पूजा खेडकर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है.

विवाद सामने आने पर यूपीएससी ने महाराष्ट्र सरकार को पत्र लिखकर पूजा खेडकर के सभी सर्टिफिकेट व अन्य दस्तावेज मांगे थे.

पूजा खेडकर की प्रोबेशनरी ट्रेनिंग भी रद्द कर दी गई है.

पूजा खेडकर महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी आईएएस अधिकारी हैं. उनकी फील्ड ट्रेनिंग शुरू होते ही उनको लेकर कई विवाद खड़े हो गए थे.

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