राष्ट्र

10 वर्षो में तीसरी फांसी

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: पिछले दस वर्षो में फांसी पर चढ़ने वाले याकूब मेमन तीसरे अपराधी हैं. याकूब से पहले मुहम्मद अजमल आमिर कसाब तथा मुहम्मद अफजल गुरु को फांसी दी गई गई थी. मुंबई बम विस्फोट मामले में याकूब मेमन को दी गई मौत की सजा को लेकर जहां देश भर में चर्चा है, वहीं राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की एक रपट कहती है कि गत 10 सालों (2004-2013) में देशभर में 1,303 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है. लेकिन इनमें से मात्र तीन को ही गत 10 सालों में फांसी दी गई. 14 अगस्त, 2004 को पश्चिम बंगाल के अलीपुर केंद्रीय कारागार में धनंजय चटर्जी को उसके 42वें जन्मदिन पर फांसी दी गई थी. उस पर एक किशोरी के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या करने का आरोप था.

21 नवंबर, 2012 को मुहम्मद अजमल आमिर कसाब को फांसी दी गई, जो 2008 के मुंबई आतंकी हमले में शामिल एकमात्र जीवित आतंकवादी था. उसे पुणे के यरवदा जेल में फांसी दी गई थी.

9 फरवरी, 2013 को मुहम्मद अफजल गुरु को फांसी दी गई, जो 2001 के संसद हमले का दोषी था. उसे दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दी गई.

2004 से लेकर 2012 तक हालांकि देश में किसी को भी फांसी नहीं दी गई.

गत 10 सालों में 3,751 फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदला गया.

याकूब मेमन को उसके 53वें वर्ष पूरे करने के दिन 30 जुलाई, 2015 को फांसी दी गई.

सोशल मीडिया पर मौत की सजा पर जारी बहस में कुछ निराधार आंकड़े भी दिए जा रहे हैं.

भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सिर्फ एक ही समुदाय के मुजरिमों को फांसी दिए जाने के विरोध में एशियन न्यूज इंटरनेशनल का आंकड़ा देते हुए कहा है कि 1947 के बाद से 170 लोगों को फांसी की सजा दी गई है, जिसमें से उस समुदाय विशेष के सिर्फ 15 मुजरिम हैं.

दिल्ली के राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की मृत्युदंड शोध रपट के मुताबिक, हालांकि आजादी के बाद से कम से कम उस समुदाय के 60 मुजरिमों को फांसी दी गई है.

इस रपट में हालांकि कई राज्यों से आंकड़े नहीं जुटाए जा सके, क्योंकि कई राज्यों ने कहा है कि उनके रिकार्ड दीमक खा गए हैं.

2007 : मृत्युदंड का वर्ष

2007 में सर्वाधिक 186 मृत्युदंड सुनाए गए. उसके बाद 2005 में 164 मृत्युदंड सुनाए गए थे. 2005 में हालांकि सर्वाधिक 1,241 मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदला गया.

गत 10 सालों में उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 318 मृत्युदंड सुनाए गए. महाराष्ट्र 108 के आंकड़े के साथ दूसरे स्थान पर रहा. उसके बाद रहे कर्नाटक (107), बिहार (105) और मध्य प्रदेश (104).

देश में गत 10 सालों में 57 फीसदी मृत्युदंड इन्हीं पांच राज्यों में सुनाए गए.

2004-2013 में दिल्ली में 2,465 मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदला गया. दूसरे स्थान पर 303 के आंकड़े के साथ रहे झारखंड और उत्तर प्रदेश, उसके बाद रहे बिहार (157) और पश्चिम बंगाल (104).

मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने में 66 फीसदी योगदान दिल्ली का रहा.

संयुक्त राष्ट्र की एक रपट के मुताबिक, 160 देशों ने कानूनन मौत की सजा समाप्त कर दी है या व्यावहारिक तौर पर समाप्त कर दी है. 98 फीसदी ने इसे पूरी तरह समाप्त कर दिया है.

भारत, चीन, अमरीका और जापान ने हालांकि इसे समाप्त नहीं किया है.

2013 में 22 देशों में 778 को फांसी दी गई, जो 2012 के 682 से 14 फीसदी अधिक है.

पाकिस्तान ने रमजान महीने के बाद सोमवार को दो मुजरिमों को फांसी दे दी. इससे पहले दिसंबर 2014 से पाकिस्तान ने 176 मुजरिमों को फांसी दी है.

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