प्याज की कीमतों में 245 फीसदी वृद्धि
नई दिल्ली | एजेंसी: थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई दर अगस्त में बढ़कर 6.10 फीसदी दर्ज की गई. जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यह दर पिछले छह महीनों में सर्वाधिक है और खाद्य महंगाई में 18 फीसदी वृद्धि तथा प्याज की कीमतों में 245 फीसदी वृद्धि ने समग्र महंगाई में वृद्धि में प्रमुख भूमिका निभाई. इसके साथ ही महंगाई में वृद्धि के कारण इस सप्ताह के आखिर में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा की जाने वाली मौद्रिक नीति की घोषणा में दर कटौती की उम्मीद भी धाराशायी हो गई.
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर अगस्त में बढ़कर 6.10 फीसदी रही, जो जुलाई में 5.79 फीसदी थी. पिछले साल की समान अवधि में यह दर 8.01 फीसदी थी.
अगस्त में खाद्य महंगाई दर बढ़कर 18.18 फीसदी रही, जो एक साल पहले समान अवधि में 9.34 फीसदी थी. इस साल जुलाई में यह दर 11.9 फीसदी थी. इस दौरान सब्जियों की कीमत बढ़कर लगभग दो गुनी हो गई. प्याज इस बीच 244.62 फीसदी महंगा हो गया. अंडे, मांस और मछलियां 18.86 फीसदी, चावल 20.13 फीसदी, गेहूं 7.6 फीसदी और अनाज 14.35 फीसदी महंगा हो गए.
ताजा आंकड़ों पर अपनी प्रतिक्रिया में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष सी. रंगराजन ने कहा कि रुपये में अवमूल्यन से महंगाई का दबाव बढ़ा है.
रंगराजन ने हालांकि कहा कि मानसून बेहतर रहने के कारण आने वाले दिनों में महंगाई में कमी आएगी. उन्होंने कहा कि कारोबारी साल की समाप्ति तक महंगाई दर 5.5 फीसदी पर आ जाएगी.
जून महीने के लिए थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर को संशोधित कर 5.16 फीसदी कर दिया गया, जिसे पहले 4.86 फीसदी पर रखा गया था.
अगस्त में ईंधन, बिजली और प्राथमिक वस्तुओं में भी महंगाई काफी बढ़ी. प्राथमिक वस्तुओं में महंगाई 11.72 फीसदी और ईंधन तथा बिजली की महंगाई 11.34 फीसदी बढ़ी.
भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, “महंगाई में तेजी और खासकर खाद्य कीमतों में तेजी से आपूर्ति बाधाओं को दूर किए जाने की जरूरत का पता चलता है.”
उन्होंने कहा कि महंगाई बढ़ने के बावजूद रिजर्व बैंक को दर में कटौती से पीछे नहीं हटना चाहिए.
रिजर्व बैंक 20 सितंबर को मौद्रिक नीति की घोषणा करेगा.
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के महासचिव ए. दीदार सिंह ने दर में कटौती पर जोर देते हुए कहा, “महंगाई दर को कम रखना प्राथमिकता होनी चाहिए, लेकिन यह जरूरी है कि हम निवेशकों में आशा का संचार करें और उच्च विकास के लिए काम करें.”