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अब छत्तीसगढ़ में भी विकास पागल

रायपुर | संवाददाता: अब छत्तीसगढ़ में भी विकास पागल हो गया है. यह आरोप कांग्रेस पार्टी ने लगाया है. विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे ने पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत द्वारा विभाग के 14 साल के कामकाज और गिनाई उपलब्धियों पर तंज कसते हुए कहा कि गुजरात की तरह छत्तीसगढ़ में भी विकास पागल हो गया है. वियतनाम के पुल और सड़क को कोरिया का पुल बताने वाले मंत्री हकीकत में रायपुर पश्चिम के ही मंत्री हैं.

छत्तीसगढ़ में रमन सिंह सरकार के 14 साल पूरे हो रहे हैं और इस अवसर पर सभी मंत्री प्रेस कांफ्रेस के जरिए अपने-अपने विभागों की उपलब्धियां गिना रहे हैं तो दूसरी ओर मुख्य विपक्षी पार्टी उनकी उपलब्धियों पर सवाल खड़े कर रही है. इसी कड़ी में नेता प्रतिपक्ष श्री चौबे ने कहा कि 14 सालों में विभागों के बजट में कई गुना वृद्धि हुई है. पैसे का फ्लो जिस तरह बढ़ा है, उससे भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी भी बढ़ी है. उन्होंने आरोप लगाया कि पीडब्ल्यूडी में विकास पागल हो गया है.

उन्होंने कहा कि राजनांदगांव में फ्लाईओवर बनाया गया. अब उस फ्लाईओवर को बंद कर नया निर्माण चालू किया गया है. इसी तरह राजधानी के देवेन्द्रनगर सड़क में हर तीन माह में निर्माण कार्य होता है. बार-बार निर्माण और खर्च के पीछे कमीशन का बड़ा खेल है.

श्री चौबे ने तंज कसते हुये कहा कि हर सड़क को हर 6 महीने में दुबारा बनाने की नौबत क्यों आती है? क्यों पुलों में सालभर के अंदर ही दरार आती है? उन्होंने आरोप लगाया कि ठेकेदारों के साथ कमीशन का बड़ा खेल चल रहा है. प्लानिंग का पूर्णत: अभाव है. कांग्रेस के कार्यकाल में नार्थ-साउथ कॉरिडोर की बात हुई थी, 14 सालों में इस दिशा में कोई शुरुआत नहीं हुई. श्री चौबे ने कहा कि आॅनलाइन टेंडरिंग भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है. बिलासपुर में निर्माणाधीन पुल और रायपुर में सर्किट हाउस की छत ढह गई, कार्रवाई के नाम पर ठेकेदारों को बचा लिया गया. निर्माण कार्यों की क्वालिटी पर कोई नियंत्रण नहीं है. चिल्फी से सिमगा तक की सड़क पूरी नहीं हुई है और पूरा भुगतान हो चुका है. बताते हैं कि इस सड़क का निर्माण भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रिश्तेदार कर रहे हैं.

कांग्रेस नेता ने यह भी आरोप लगाया कि एसआर और एआर के काम कागजों में चलाया जा रहा है. प्रदूषण के मामले में रायपुर की गिनती प्रदूषित शहरों में होती है. रायपुर से बिलासपुर के बीच डस्ट चेंबर बन चुका है. पर्यावरण के नाम पर छोटे लोगों पर कार्रवाई होती है, जबकि बड़े उद्योगपतियों के मामले में चुप्पी साधे हुए है. रजिस्ट्री और डायवर्सन को लेकर पूरे प्रदेश में चिंता की स्थिति है. अवैध रूप से पेड़ों की कटाई जारी है, विकास की बातें कोरी हैं.

इधर एक अन्य प्रेस कांफ्रेस में पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत ने विभाग की उपलब्धियां गिनाईं. उन्होंने कहा कि राज्य निर्माण के समय लोक निर्माण विभाग का वार्षिक बजट सिर्फ 229 करोड़ रुपए होता था, जो आज 34 गुना बढ़कर 7795 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. उन्होंने राजधानी में बन रहे स्काइवॉक के कारण गिनाते हुए कहा कि शहीद स्मारक से लेकर अंबेडकर अस्पताल और कलेक्ट्रोरेट, जिला न्यायालय, तहसील कार्यालय के चारों तरफ पैदल चलने वालों की संख्या का आकलन करने के बाद ही स्काइवॉक बनाने का निर्णय लिया गया है, ताकि इन संस्थाओं में जाने वाले लोग मल्टीलेवल पार्किंग में वाहन खड़ी कर पैदल जा सके.

श्री मूणत ने कहा कि राज्य के उनके विभाग ने विगत 14 साल में 995 नए और बड़े पुलों का निर्माण करवाया. इसके अलावा विभाग द्वारा 6081 विभिन्न शासकीय भवनों का निर्माण किया गया. उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश के सभी 146 विकासखंड मुख्यालयों को सात मीटर चौड़ी सड़कों से जोड़ने की योजना बनाकर अब तक 124 ब्लॉक मुख्यालयों को इससे जोड़ा जा चुका है. सभी प्रमुख शहरों में बाइपास रोड निर्माण की योजना पर काम तेजी से चल रहा है. इसके अंतर्गत 16 बाइपास सड़कों का निर्माण पूरा हो चुका है, जिनमें रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, जगदलपुर, अम्बिकापुर आदि शामिल हैं. शेष शहरों को बाइपास मार्गों से जोड़ने की दिशा में काम चल रहा है.

उन्होंने यह भी कहा कि केवल रायपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य नहीं हो रहा है, बल्कि पूरे रायपुर और प्रदेश में विकास कार्य कराए जा रहे हैं. सड़क निर्माण के लिए जो पेड़ काटे गए हैं, विभाग ने उसके लिए 10 गुना राशि राशि वन विभाग को दी है, ताकि पेड़ लगाए जा सके.

उन्होंने दावा किया कि रायपुर-बिलासपुर फोर-सिक्सलेन सड़क निर्माण के एक तरफ का काम मार्च-अप्रैल 2018 तक पूरा कर लिया जाएगा. इसके अलावा रायपुर से दुर्ग के बीच ट्रैफिक के दबाव को देखते हुए चार फ्लाईओवर को सैद्धांतिक सहमति मिली है, जिसमें डीपीआर बनाने का काम चल रहा है. राजधानी के कमल विहार, भाठागांव, चंगोराभाठा, न्यू राजेन्द्रनगर, अशोकनगर एक्सप्रेस-वे में भी फ्लाईओवर बनाए जाएंगे.

मंत्री ने कहा कि नक्सल प्रभावित बस्तर अंचल के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में अब तक 1890 किलोमीटर सड़कों का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित इलाकों के लिए केन्द्रीय योजना (एलडब्ल्यूई योजना) के तहत 1326 किलोमीटर सड़कें बनाई जा चुकी हैं. बस्तर अंचल में ही 138 पुलों का निर्माण किया गया है. छत्तीसगढ़ में 1962 किलोमीटर सड़कों को राजमार्ग और 12432 किलोमीटर सड़कों को मुख्य जिला मार्ग घोषित किया गया है. छत्तीसगढ़ में भारत माला परियोजना के तहत 460 किमी को राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में विकसित किया जाएगा.

श्री मूणत ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने वर्ष 2007 में दो और वर्ष 2012 में नौ नए जिलों का निर्माण किया, जिनमें कलेक्टोरेट भवन, सरकारी कर्मचारियों के लिए आवास गृह और ट्रांजिट हॉस्टल आदि के निर्माण के साथ-साथ इन सभी जिला मुख्यालयों को राष्ट्रीय राजमार्गों से भी जोड़ा गया.

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