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अफसरों ने सड़ा दिया हज़ारों क्लिंटल चावल

रायपुर | संवाददाता: गरीबों को बांटने के लिये खरीदा गया 18 हज़ार क्विंटल चावल नागरिक आपूर्ति निगम ने सड़ा दिया.सरकार ने 2012-13 में यह चावल खरीद कर वेयर हाउस में रखा था. लेकिन अफसरों और कर्मचारियों ने इस चावल पर ध्यान ही नहीं दिया.

अब जब पांच साल बाद बोरियां निकाली गईं, तब जा कर पता चला कि 18 हज़ार क्विंटल चावल सड़ गया है. यह आंकड़ा केवल रायपुर के 12 गोदामों का है. राज्य के दूसरे वेयर हाउसों में भी इसी तरह हज़ारों क्विंटल चावल और सड़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा रहा है.

छत्तीसगढ़ सरकार हर साल इसी तरह लाखों क्विंटल धान सड़ाने के बाद उसे औने-पौने भाव में बेचती रही है. 2012-13 में ही करीब पांच हज़ार मेट्रिक टन धान मिलरों के पास रखे-रखे सड़ गया था, जिसे खपाने के लिये राज्य सरकार ने मिलरों पर भारी दबाव बनाया था. इस मामले में रायपुर बंद भी किया गया था.

इसके अलावा साल 2012-13 में खरीदा गया लगभग 8 लाख मीट्रिक टन धान सरकारी गोदाम तक पहुंचा ही नहीं और संग्रहण केंद्रों में ही पड़ा रह गया और इसमें से अधिकांश धान सड़ गया था.अकेले रायपुर जिले के संग्रहण केंद्रों में सवा लाख मीट्रिक टन धान पड़ा रह गया. कई ज़िलों में 2010-11 में खरीदे गए धान भी मिलिंग के लिए नहीं ले जाए गए थे. यानी सरकारी लापरवाही से अरबों रुपये का धान सड़ गया.

लेकिन अब 2012-13 के ही चावल सड़ने की खबर चौंकाने वाली है. नागरिक आपूर्ति निगम के डिप्टी मैनेजर एमएम शुक्ला का कहना है कि दुकानों में जब यह चावल भेजा गया, तब चावल के सड़ने की खबर उन्हें मिली. इसके बाद उन्होंने सड़ा हुआ चावल को टेंडर के माध्यम से बेचने का निर्णय लिया है.

छत्तीसगढ़ में नागरिक आपूर्ति निगम पर 36 हज़ार करोड़ के घोटाले का आरोप है. इस मामले में राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह समेत कई बड़े अफसरों पर आरोप हैं. इस मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो के छापे के बाद 18 अधिकारियों को निलंबित किया गया था. इसके अलावा दो आईएएस अफसरों के खिलाफ भी केंद्र सरकार ने मुकदमा चलाने की अनुमति दे रखी है. लेकिन राज्य सरकार इन दोनों अफसरों के खिलाफ कार्रवाई से बच रही है.

राज्य में कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने आरोप लगाया था कि एक छापेमारी के दौरान एंटी करप्शन ब्यूरो ने एक डायरी ज़ब्त की थी, जिसमें कथित तौर पर मुख्यमंत्री, उनकी पत्नी, उनकी साली के अलावा मुख्यमंत्री निवास के कर्मचारी, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव सहित अन्य वरिष्ठ अफ़सरों के नामों का उल्लेख है.

एंटी करप्शन ब्यूरो ने इस मामले में स्थानीय अदालत में जो चालान प्रस्तुत किया, उसमें भी इस डायरी के पन्ने को प्रस्तुत किया है. इसके अलावा एंटी करप्शन ब्यूरो के मुखिया मुकेश गुप्ता साफ तौर पर कह चुके थे कि एंटी करप्शन ब्यूरो का जो अधिकार क्षेत्र है, उसमें सारे पहलुओं की जांच संभव नहीं है.

इसके बाद इस मामले में पहले सुप्रीम कोर्ट में और फिर हाईकोर्ट में भी याचिकायें दायर की गई हैं.

किसान नेता आनंद मिश्रा और नंद कश्यप ने कहा है कि 2012-13 से लेकर अब तक धान और चावल की सरकारी खरीदी और उसके वितरण की जांच की जाये तो यह देश का एक बड़ा घोटाला साबित हो सकता है. किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार में शामिल नेता और अफसर इस मामले में बड़ा खेल खेल रहे हैं और राज्य भर वित्तिय बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है.

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