रायपुर

दुर्ग में 840 किलो नकली मावा पकड़ाया

दुर्ग | एजेंसी: छत्तीसगढ़ में त्योहारी सीजन आते ही मिठाइयों के लिए नकली मावे कि खेप पहुंचनी शुरू हो गई है. रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और राजनांदगांव में विभिन्न माध्यमों से लगातार नकली मावा आपूर्ति किए जाने की खबर है. ऐसी ही एक सूचना पर ग्वालियर से भारी मात्रा में दुर्ग पहुंचे 840 किलोग्राम नकली मावा अपराध शाखा और खाद्य विभाग कि टीम ने पकड़ा है. मामले में पहले से ही मिलावट के एक आरोपी पर नजर रखी जा रही है.

दुर्ग शहर में मिलावटी खोवा सप्लाई करने के एक मामले का शुक्रवार शाम को भंडाफोड़ हुआ. अपराध शाखा की टीम ने शुक्रवार की शाम करीब छह बजे शहीद चौक पर एक मारुति वैन को रोककर उसकी तलाशी ली. वैन में टीम को खोवा से भरे 21 बारदाने मिले. इन सबका कुल वजन 840 किलोग्राम है.

यह खोवा ग्वालियर से बस स्टैंड स्थित कृष्णा रेस्टोरेंट के लिए भेजा गया था. एक साथ इतनी मात्रा में खोवा पकड़े जाने से शहर में बड़े पैमाने पर नकली खोवे के कारोबार की आशंका को बल मिला है. मौके पर पहुंची खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम ने जब्त खोवे का नमूना लेकर जांच के लिए उसे राजधानी रायपुर भेज दिया है.

खाद्य निरीक्षक अश्विनी देवांगन ने बताया कि कृष्णा रेस्टोरेंट के संचालक विनोद मिश्रा को पिछले साल भी नकली खोवा मामले में पकड़ा जा चुका है. वह मामला एडीएम की अदालत में चल रहा है.

देवांगन ने बताया कि दिवाली को देखते हुए खाद्य सामग्री में नकली खोवा आदि की मिलावट करने की आशंका बढ़ गई है. विभाग द्वारा खाद्य सामग्री की खरीद-बिक्री करने वालों की जांच की जा रही है. इसी श्रृंखला में संदिग्ध होने के कारण विनोद मिश्रा पर नजर रखी जा रही थी.

अपराध शाखा के एएसआई एसएन सिंह ने बताया कि रेलवे स्टेशन से बड़ी मात्रा में खोवा मारुति वैन में लोड किए जाने की सूचना पर शहीद चौक में वैन को रोका गया. इसे ड्राइवर आनंद शर्मा चला रहा था. पूछताछ में खोवा के नकली होने के संदेह पर खाद्य विभाग को सूचित कर आगे की कार्रवाई के लिए दे दिया गया है.

सूत्रों ने बताया कि ग्वालियर से चला यह खोवा दो दिन ट्रेन में ही घूमता रहा. खोवा ग्वालियर से चलकर पहले बिलासपुर पहुंचा. वहां से इसे दुर्ग के लिए इंटरसिटी एक्सप्रेस में लोड किया गया, लेकिन दुर्ग उतरने के बजाय यह नागपुर पहुंच गया. नागपुर से इसे फिर शिवनाथ एक्सप्रेस में दुर्ग के लिए लोड किया गया.

इस तरह दो दिन विभिन्न ट्रेनों में पड़ा रहने के बाद शुक्रवार को यह दुर्ग पहुंचा. अब इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर खोवा असली भी होगा तो इसकी गुणवत्ता क्या होगी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!