स्वास्थ्य

‘जीका विषाणु बड़ा खतरा’

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: जीका वायरस एक बड़ा खतरा है जिससे भारत तो बचने की जरूरत है. कुछ दिन पहले तक मच्छर जनित जीका विषाणु के बारे में शायद ही कोई जानता था लेकिन आज यह दुनिया भर को परेशान करने वाले प्रमुख रोगजनक में शामिल हो गया है.

अब तक तो इसकी पहुंच अमरीकी महाद्वीप के देशों तक ही है लेकिन जिस तेजी से यह पैर पसार रहा है, उसे देखते हुए भारत को भी सावधान हो जाने की जरूरत है. इसे यहां तक पहुंचने से रोकने को लेकर उपयुक्त कदम नहीं उठाए गए तो इसके परिणाम गम्भीर हो सकते हैं.

एक अनुमान के मुताबिक जीका विषाणु अगले 12 महीनों में अमरीकी महाद्वीप में 40 लाख लोगों को अपनी चपेट में ले लेगा.

मई 2015 में ब्राजील में जीका विषाणु से जुड़ा पहला मामला सामने आया. तब से लेकर आज तक यह विषाणु ब्राजील सहित अमरीकी महाद्वीप के 22 देशों और क्षेत्रों में पैर पसार चुका है.

इस विषाणु के कारण गर्भवती महिलाओं पर गम्भीर खतरा है. स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक यह विषाणु मस्तिस्क में विषमता पैदा करता है, जिसे मेडिकल शब्दों में माइक्रोसेफेली कहा जाता है. इसके तहत नवजात बच्चों के सिर का आकार सामान्य से छोटा हो जाता है.

इसे लेकर हालांकि अब तक स्पष्ट सम्पर्क स्थापित नहीं किया जा सका है.

जीका विषाणु का संक्रमण एडीज प्रजाति के मच्छरों के काटने से होता है, जो डेंगू फैलाने वाले मच्छरों की तरह जमे हुए साफ पानी में पैदा होते हैं. डेंगू के मच्छर की तरह ही यह भी दिन में ही काटते हैं.

जानकार मानते हैं कि भारत में अगर इस बीमारी के जनक को आने और फैलने से रोकना है तो फिर भारतीयों के अफ्रीका, अमरीकी महाद्वीप के देशों, जिनमें कैरेबियाई देश भी शामिल हैं, जाने तथा वहां से आने वाले लोगों पर नजर रखनी होगी.

इस संबंध में मैक्स सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पीटल की सीनियर कंसलटेंट मोनिका महाजन कहना है, “भारत को अलर्ट रहना होगा क्योंकि दक्षिण अमरीका, अफ्रीका और कैरेबियाई देशों से आने वाले लोग इस रोगजनक को हमारे यहां तक ला सकते हैं.”

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि वह अमरीकी महाद्वीप में पहले ही काफी नुकसान पहुंचा चुके जीका वायरस से जुड़े मामलों को रोकने के लिए पूरी तरह तैयार है.

आईएमए ने अपने ताजातीन परामर्श में गर्भवती महिलाओं से उन देशों की यात्रा न करने की सलाह दी है, जहां जीका विषाणु का प्रकोप है.

बहरहाल, अधिकांश मामले सौम्य किस्म के हैं और पांच में से एक ही व्यक्ति में जीका विषाणु के लक्षण पाए जाते हैं, जिसे इससे जुड़े मच्छर काटते हैं. इसके लक्षण चिकनगुनिया और डेंगू से मिलते हैं लेकिन सौभाग्य से जटिलताएं काफी कम मामलों में देखी जाती हैं.

महाजन ने कहा, “अभी की चिंता के दो कारण हैं. पहला, 2015 में जब यह बीमारी सामने आई थी, तब से लेकर आज तक कई देश इसकी चपेट में हैं. दूसरा, अगर कोई गर्भवती इससे पीड़ित होती है तो जन्म लेने वाले बच्चे में जन्मजात दोष हो सकते हैं. ”

महाजन के मुताबिक भारत में डेंगू ने जिस तरह पैर पसारा है, उसके रिकार्ड को देखते हुए कहा जा सकता है कि यहां मच्छर काफी तेजी से पैदा होते हैं और उन पर नियंत्रण काफी कठिन होता है.

महाजन ने कहा, “मच्छरों से पैदा होने वाली बीमारियां भीड़ और गंदगी वाले इलाकों में अधिक तेजी से फैलती हैं. यह हालात भारत में आम है. ऐसे में हम मच्छरों को पैदा होने से रोककर भी एक तरह से जीका विषाणु जैसे रोगजनकों पर लगाम लगा सकते हैं.”

बीएलके सुपर स्पेशिलिटी हास्पीटल के सीनियर कंसल्टेंट और एचओडी के डॉक्टर जेएस भसीन मानते हैं कि भले ही यह जीका विषाणु अभी भारत में नहीं है लेकिन अगर कोई पीड़ित भारत आ गया और उसका संक्रमण सक्रिय रहा तथा उसे किसी एडीज मच्छर ने काट लिया तो फिर वह मच्छर जितने लोगों को काटेगा, उसे यह बीमारी हो जाएगी.

भसीन ने कहा, “अगर ऐसा हुआ तो इसके भारत में तेजी से फैलने का खतरा है.”

डब्ल्यूएचओ की महानिदेशक मार्गरेट चान के मुताबिक हालात गम्भीर हैं क्योंकि इससे जुड़े कई सवाल अनसुलझे हैं और अस्थिरता और अज्ञानता का माहौल बना हुआ है. हमें जल्द ही इन सवालों के हल निकालने होंगे.

एक नई बीमारी के दुनिया के सामने आने के बाद डब्ल्यूएचओ काफी सतर्क है क्योंकि बीते साल इबोला महामारी को लेकर उपयुक्त कदम नहीं उठाए गए थे, जिसके कारण 10 हजार लोगों की जान चली गई थी. इसे लेकर डब्ल्यूएचओ की काफी आलोचना हुई थी.

जीका विषाणु को लेकर उठे गम्भीर खतरे के बीच डब्ल्यूएचओ ने एक बयान जारी कहते हुए कहा, “जीका विषाणु के संक्रमण और बच्चों में जन्मजात दोषों के बीच सम्बंधों का खुलासा हुआ है लेकिन इन सम्बंधों पर गम्भीर संदेह है. ”

अपने स्तर पर जीका विषाणु से निपटने के लिए तैयार डब्ल्यूएचओ ने इस बीच इससे बचाव के लिए कई उपाय सुझाए हैं. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक जीका विषाणु के संक्रमित व्यक्ति में हल्का बुखार, त्वचा पर चकत्ते और आंखों में जलन संबंधी परेशानी होती है.

जीका विषाणु के संक्रमण को रोकने का सबसे अच्छा उपाय है, मच्छरों से बचाव. इसके लक्षणों में बुखार, त्वचा पर चकत्ते और आंखों में जलन, मांसपेशी और जोड़ों में दर्द की परेशानी होती है. यह लक्षण आमतौर पर 2 से 7 दिनों तक रहते हैं.

जीका विषाणु एडीज मच्छर के काटने से फैलता है. उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में यह मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी से फैलता है. यही मच्छर डेंगू, चिकनगुनिया और पीत ज्वर के लिए जिम्मेदार होता है.

इसके निदान का पता लगाने के लिए पॉलिमेरेज चेन रिएक्शन और रक्त के नमूनों से विषाणु की जांच की जाती है तथा इसके रोकथाम के लिए वही उपाय सुझाए गए हैं, दो आमतौर पर मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया से बचने के लिए सुझाए जाते रहे हैं.

दुनिया भर में जीका विषाणु चिंता का कारण बना हुआ है. अमरीका भी इसे लेकर चिंतित है. अमरीका के वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि देश के शोधकर्ता जीका वायरस के दो संभावित टीकों पर काम कर रहे हैं.

अधिकारियों ने कहा कि टीका तैयार होने और इसका इस्तेमाल करने में कई साल लग सकते हैं. अमरीका के एलर्जी एवं संक्रामक रोगों के राष्ट्रीय संस्थान के निदेशक एंथनी फौसी ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि ये दोनों ही टीके वेस्ट नाइल और डेंगू संक्रमणों से संबंधित हैं.

000विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इससे बचाव के लिए उपाय सुझाए हैं. यहां आपको बताते हैं इससे संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी.

– जीका विषाणु एडीस मच्छरों के काटने से फैलता है.

– जीका विषाणु के संक्रमित व्यक्ति में हल्का बुखार, त्वचा पर चकत्ते और आंखों में जलन संबंधी परेशानी होती है.

– जीका विषाणु के संक्रमण को रोकने का सबसे अच्छा उपाय है, मच्छरों से बचाव.

– अफ्रीका, एशिया, अमेरिका और प्रशांत क्षेत्रों में इस विषाणु के फैलने की जानकारी मिली है.

लक्षण – जीका विषाणु से संक्रमित होने पर बुखार, त्वचा पर चकत्ते और आंखों में जलन, मांसपेशी और जोड़ों में दर्द की परेशानी होती है. यह लक्षण आमतौर पर 2 से 7 दिनों तक रहते हैं.

संक्रमण – जीका विषाणु एडीस मच्छर के काटने से फैलता है. उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में यह मुख्य रूप से एडीस एजिप्टी से फैलता है. यही मच्छर डेंगू, चिकनगुनिया और पीत ज्वर के लिए जिम्मेदार होता है.

निदान- जीका विषाणु का पता लगाने के लिए पॉलिमीरेज चेन रिएक्शन और रक्त के नमूनों से विषाणु की जांच की जाती है.

रोकथाम- मच्छरों से बचने के लिए पूरे शरीर को ढंक कर रखें और हल्के रंग के कपड़े पहनें. इसके अलावा, कीड़ों से बचाने वाली क्रीम और मच्छरदानी का उपयोग करें.

– मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए अपने घर के आसपास गमले, बाल्टी, कूलर आदि में भरा पानी निकाल दें.

चिकित्सा- वर्तमान में इसका कोई विशिष्ट इलाज और टीका उपलब्ध नहीं है. जीका विषाणु से संक्रमण से संबंधित लक्षण नजर आने पर दर्द और बुखार की सामान्य दवाइयों के साथ अधिक से अधिक तरल पदार्थो का सेवन और भरपूर आराम करना चाहिए.

– डब्ल्यूएचओ का कहना है कि स्थिति में सुधार नहीं होने पर फौरन चिकित्सक को दिखाना चाहिए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!