राष्ट्र

कांग्रेस की मुसीबत आपरेशन ब्लूस्टार

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: इंदिरा गांधी के पीएम रहते 1984 में हुए आपरेशन ब्लूस्टार अब चुनाव के पहले कांग्रेस को परेशानी में डाले दे रहा है. मंगलवार को इस बात का खुलासा हुआ था कि ब्रिटिश विशेष वायु सेवा के एक अधिकारी ने आपरेशन ब्लू स्टार की सैन्य योजना का खाका तैयार किया था. हालांकि तत्कालीन मेजर जनरल कुलदीप सिंह बरार जिनके नेतृत्व में आपरेशन ब्लूस्टार को अंजाम दिया गया था इससे इंकार किया है.

पहले से विभिन्न प्रकार के विवादों में घिरी कांग्रेस की मुसीबत ब्रिटेन में हुए एक खुलासे से और बढ़ गई है. लंदन स्थित ब्रिटिश अभिलेखागार ने 30 वर्ष की गोपनीयता खत्म होने के बाद जो दस्तावेज जारी किया है उसके अनुसार भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर से आपरेशन ब्लूस्टार का खाका तैयार करने के लिये मदद मांगी थी. जिसे स्वीकार भी किया गया था. दस्तावेज में बताया किया गया है कि भारत की मदद के लिये एक ब्रिटिश अधिकारी ने भारत की यात्रा की थी.

गौरतलब है कि इसमें जिन दो प्रधानमंत्रियों का जिक्र किया गया है उनमें से दोनों अब नहीं रहें हैं. इंदिरा गांधी की 1984 में उनके ही सुरक्षा गार्डो ने हत्या कर दी थी. ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर की पिछले ही वर्ष मृत्यु हो गई.

आपरेशन ब्लूस्टार से संबंधित केवल लेफ्टिनेंट जनरल केएस बरार ही जीवित हैं जो इससे इंकार कर रहें हैं. अब आरोप केवल ब्रिटिश दस्तावेजों के आधार पर लगाये जा रहें हैं. मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने इस पर जांच की मांग करके सत्तारूढ़ कांग्रेस की मुसीबते बढ़ा दी है.

ब्रिटिश सरकार के प्रवक्ता ने सोमवार को बयान जारी किया है कि ‘इन घटनाओं में बड़ी संख्या में जाने गई और दस्तावेज के कारण पैदा होने वाले वाजिब़ चिंताओं को हम समझते हैं. प्रधानमंत्री ने कैबिनेट सचिव से कहा है कि वह इस मामले को तत्काल देखें और तथ्य पेश करें.’ ब्रिटिश प्रवक्ता ने यह भी कहा है कि इन दस्तावेजों को उद्घाटन के पहले प्रधानमंत्री तथा विदेश विभाग को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी.

वहीं ब्रिटिश लेबर पार्टी के सांसद टॉम वॉटसन तथा लॉर्ड इंद्रजीत सिंह ने इन दस्तावेजों पर ब्रिटिश सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है. आपरेशन ब्लूस्टार पर जब ब्रिटिश सरकार के तथ्य आयेंगे तो कांग्रेस के लिये मुसीबते और बढ़ सकती हैं.

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