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मुंबई ब्लास्ट के दोषियों की सजा मुकर्रर

मुंबई | संवाददाता: मुंबई ट्रेन धमाके के पांच दोषियों को फांसी की सजा विशेष अदालत ने सुनाई है. मुंबई की ट्रेन में यह धमाका साल 2006 में किया गया था. विशेष अदालत ने सात अन्य दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी है. मुंबई की एक विशेष अदालत ने लोकल ट्रेन में 11 जुलाई, 2006 को हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों के मामले में दोषी ठहराए गए 12 अभियुक्तों में से पांच को बुधवार को मृत्युदंड सुनाया और बाकी सात को उम्रकैद की सजा सुनाई. महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण विशेष कानून (मकोका) के न्यायाधीश वाई.डी. शिंदे ने 11 सितंबर को सभी दोषियों को मुंबई में 11 जुलाई, 2006 को हुए बम विस्फोटों से जुड़े मामले में दोषी पाया था. पश्चिमी रेलवे की उपनगरीय रेलगाड़ियों की सात बोगियों में हुए इन सिलसिलेवार बम विस्फोटों में 189 यात्रियों की जान गई थी, जबकि 817 लोग घायल हुए थे.

दोषी पाए गए कमाल ए. अंसारी (37), एहतेशाम सिद्दिकी (30), फैसल अताउर रहमान शेख (36), आसिफ खान उर्फ जुनैद (38) और नावेद हुसैन खान (30) को मृत्यदंड सुनाया गया है.

आजीवन कारावास की सजा पाने वाले सात अन्य दोषियों में तनवीर ए. अंसारी (37), मोहम्मद साजिद अंसारी (34), शेख मोहम्मद अली आलम शेख (40), मोहम्मद माजिद शफी (30), मुजम्मिल शेख (27), सोहेल मोहम्मद शेख (43) और जमीर अहमद शेख (36) शामिल हैं.

दोषियों की सजा पर करीब तीन सप्ताह तक चली बहस के दौरान विशेष लोक अभियोजक राजा ठाकरे ने 12 दोषियों में से आठ को ‘मौत का सौदागर’ बताकर उनके लिए मृत्युदंड की मांग की थी.

सुनवाई के बाद एक मात्र आरोपी शिक्षक अब्दुल वहीद शेख को मामले से बरी कर दिया गया, जबकि मुख्य आरोपी आजम चीमा, जो कथित तौर पर लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध है, उन 17 लोगों में शामिल है, जो फरार हैं. इन फरार 17 आरोपियों में 13 पाकिस्तानी नागरिक हैं.

सजा से स्तब्ध दोषियों के रिश्तेदारों ने कहा है कि वे इसके खिलाफ मुंबई उच्च न्यायालय में अपील करेंगे.

विशेष न्यायाधीश शिंदे ने फैसले में पाया कि एम. फैसल अताउर रहमान शेख (जिसे मौत की सजा सुनाई गई है) प्रशिक्षण के लिए दो बार पाकिस्तान गया था. उसने कुछ अन्य युवाओं को भी प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान भेजा था. अपने घर पर वह पाकिस्तानियों को टिकाता था और उसे हवाला के जरिए धन मिलता था.

इसी तरह कमाल ए. अंसारी ने भी पाकिस्तान में प्रशिक्षण लिया था. वहीं नेपाल सीमा के रास्ते मुंबई तक पाकिस्तानियों को लेकर आया था. उसने रेलगाड़ियों में बम लगाने में बड़ी भूमिका निभाई थी, जिनमें माटुंगा में विस्फोट हुआ था.

नावेद हुसैन खान ने रेलगाड़ियों का मुआयना किया था. गोवंडी से बांद्रा बम लेकर आया था और उस रेलगाड़ी में बम लगाया था, जिसमें खार स्टेशन पर विस्फोट हुआ था.

आसिफ खान उर्फ जुनैद ने बम बनाने की सामग्री जुटाई थी. उसने उस रेलगाड़ी में बम लगाया था, जिसमें बोरीवली में विस्फोट हुआ था.

प्रतिबंधित संगठन सिमी के महाराष्ट्र के संयुक्त सचिव एहतशाम सिद्दिकी ने रेलगाड़ियों की रेकी की थी, पाकिस्तानियों को मुंबई तक लाने में मदद की थी और मीरा रोड में जिस रेलगाड़ी में विस्फोट हुआ था, उसमें बम इसी ने रखा था.

उम्रकैद की सजा पाए सात लोगों में से पांच ने पाकिस्तान में प्रशिक्षण लिया था. मोहम्मद माजिद शफी पाकिस्तानियों को बांग्लादेश सीमा से लाया था. मोहम्मद साजिद अंसारी ने बमों के लिए इलेक्ट्रिकल सर्किट उपलब्ध कराए थे.

अभियोजन पक्ष के वकील राजा ठाकरे ने आठ दोषियों कमाल ए. अंसारी, तनवीर ए. अंसारी, मोहम्मद साजिद अंसारी, शेख मोहम्मद अली आलम शेख, एहतेशाम सिद्दिकी, फैसल अताउर रहमान शेख, आसिफ खान उर्फ जुनैद और नावेद हुसैन खान को मृत्यदंड देने की मांग की थी.

ठाकरे ने मोहम्मद माजिद शफी, मुजम्मिल शेख, सोहेल मोहम्मद शेख, जमीर अहमद शेख को उम्र कैद की सजा देने की मांग की थी.

ठाकरे ने सजा पर बहस में कहा कि इन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. शाम के पीक आवर में चर्चगेट-विरार खंड पर बम विस्फोट से अधिक से अधिक लोगों को मारने की इनकी सोच इनकी चरम दिमागी हालत का सबूत देती है.

रेलगाड़ियों मे शाम 6.23 बजे से विस्फोट शुरू हुए थे. 15-20 किलोग्राम आरडीएक्स का इस्तेमाल हुआ था. रेलगाड़ियों के मजबूत डिब्बों के परखच्चे उड़ गए थे.

आतंकवाद रोधी दस्ते ने कहा था कि आरोपियों को संबंध पाकिस्तानी खुफिया संस्था आईएसआई, लश्कर-ए-तैयबा और प्रतिबंधित संस्था सिमी से है.

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