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लीबियन पीएम का नाटकीय अपहरण

वाशिंगटन | एजेंसी: लीबिया के प्रधानमंत्री अली जिदान का गद्दाफी समर्थक कथित विद्रोहिंयों ने नाटकीय ढ़ंग से अपहरण कर लिया. उनका अपहरण लीबिया की राजधानी त्रिपोली के होटल कोरिन्थियन से किया गया. हैरत की बात है कि एक देश के प्रधानमंत्री का शांतिपूर्ण ढ़ंग से अपहरण कर लिया गया तथा उनके सुरक्षाकर्मी देखते रह गये.

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जिदान को होटल से हथियारबंद विद्रोही बाहर लाए और बाहर इंतजार कर रहे कारों के एक काफिले के साथ उन्हें लेकर फरार हो गए. प्रधानममंत्री जिदान के प्रवक्ता ने बताया कि विद्रोहियों ने जिदान का अपहरण कर उन्हें एक गुप्त ठिकाने पर रखा है.

एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि बंदूकधारी अपहरणकर्ता उनके साथ सम्मान से पेश आ रहे थे और उन्होंने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया.

घटना से एक दिन पूर्व ही लीबिया के इस्लामिक संगठनों ने त्रिपोली के होटल से अमेरिकी सेना द्वारा अल-कायदा नेता अबु अनस अल-लीबी को गिरफ्तार किए जाने पर प्रतिशोध लिए जाने की धमकी दी थी.

अली जिदान
जिदान पूर्व मानवाधिकार अधिवक्ता हैं, जो जेनेवा में कार्यरत थे. उन्होंने नवंबर 2012 में लीबिया के प्रधानमंत्री का पद संभाला था. वे 1970 के दशक में भारत में लीबिया के राजनयिक थे. 1980 से वे जेनेवा में निर्वासित रूप से रह रहे थे. गद्दाफी को हटाने के बाद वे लीबिया के प्रधानमंत्री बने.

अबु अनस अल-लीबी
यह अलकायदा का ऊचें दर्जे का आतंकवादी है तथा लीबियन इस्लामिक ग्रुप का प्रमुख सदस्य है. सीआईए के एक पूर्व अधिकारी के अनुसार अल-लीबी ‘वह एक योद्धा है. वह एक कवि है. वह एक विद्वान है. उन्होंने कहा कि एक पंडित है. वह एक सैन्य कमांडर है. और वह अल कायदा के भीतर एक बहुत करिश्माई, युवा, ढीठ बढ़ती स्टार है, और मुझे लगता है कि वह पूरे वैश्विक जिहादी आंदोलन पर लेने के मामले में ओसामा बिन लादेन के उत्तराधिकारी बन गया लगता है.’

मुअम्मर अल-गद्दाफ़ी
लीबिया की जनता ने कभी मुअम्मर गद्दाफी को अपना नायक माना था. वक्त बदला और गद्दाफी की फि़तरत भी बदली, तो बहुत सारे लोगों को अपने इस नायक में खलनायक नजर आने लगा. यही वजह रही कि 42 साल बाद गद्दाफी और उनकी हुकूमत का अंत एक तानाशाह की माफिक हुआ.

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