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बीएचयू विवाद के लिये विश्वविद्यालय जिम्मेवार

बनारस | संवाददाता: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय ने लापरवाही बरती.अगर विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी और प्रबंधन चाहता तो पूरे घटनाक्रम को टाला जा सकता था. बनारस के कमिश्नर नितिन गोकर्ण ने अपनी जांच रिपोर्ट में यह दावा किया है. इस बीच कुलपति ने कहा है कि उन्हें कोई सस्पेंड नहीं कर सकता. उन्होंने दावा किया कि जब बाबा राम रहीम के मामले में फरार हनीप्रीत को पुलिस नहीं पकड़ पा रही है तो छेड़खानी के अज्ञात आरोपियों को कैसे पकड़ा जा सकता है.

बीएचयू में प्रबंधन की गड़बड़ी को उजागर करते हुये कमिश्नर नितिन गोकर्ण ने रिपोर्ट में कहा है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले को गलत तरीके से हैंडल किया और वक्त रहते इसका हल नहीं निकाला.

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर वक्त रहते इस मामले को सुलझा लिया गया होता तो इतना बड़ा विवाद खड़ा नहीं होता. रिपोर्ट के अनुसार इस पूरे मामले में सबसे बड़ा दोष प्रशासन का ही है, वह चाहते तो यह मामला आराम से निपट सकता था.

इस बीच खबर आई है कि प्रदर्शन कर रही छात्राएं कुलपति के आवास पर तो पहुंच गईं, मगर कुलपति ने खुद बाहर आकर बात करने से इनकार कर दिया था. उन्होंने छात्राओं के एक डेलीगेशन को बात करने के लिए अंदर बुलाया. पुलिस जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि इस दौरान केवल एबीवीपी की तीन छात्राओं को अंदर जाने की इजाजत दी गई. जिस पर वहां मौजूद दूसरी छात्राओं ने नाराजगी जताई. वो इस बात पर अड़ गईं कि सिर्फ एबीवीपी से जुड़ीं छात्राओं को ही कुलपति से मिलने के लिए अंदर क्यों भेजा गया. उन्होंने कुछ और छात्राओं को भी अंदर जाने की इजाजत देने की मांग की.

छात्राओं की इस मांग को वहां मौजूद अधिकारियों ने नहीं माना. जिसके बाद अचानक छात्राओं ने विरोध शुरू कर दिया. जांच रिपोर्ट के मुताबिक, छात्राओं के इस विरोध के बाद चीफ प्रॉक्टर के साथ खड़े बीएचयू गार्ड्स ने गाली गलौज और लाठीचार्ज शुरू कर दिया.

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