प्रसंगवश

इस सूरज को रोशनी चाहिये

आप मुझे बचा सकते हैं
रायपुर | रविंद्र सिंह क्षत्री: कोरबा से फोन द्वारा जानकारी मिलने पर शनिवार को मैं रिंग रोड नंबर 2 स्थित गौरव हॉस्पिटल बिलासपुर पंहुचा, जहाँ सूरज दास नाम का वह नौजवान भर्ती था. सबसे पहले परिवार वालों और डॉक्टर से मिलने के बाद मैंने सूरज से मुलाकात की.

सूरज 18 दिसम्बर को अपने दोस्तों के साथ कोरबा के पास स्थित एक जलाशय में नहाने के लिये गये थे. वहां पानी का स्तर काफी कम था लेकिन नहाते वक़्त सूरज का संतुलन बिगड़ने से सूरज अपनी गर्दन के बल पानी में सीधे गिर गये. जिससे इनके गले के पास की हड्डी टूट गई. इस स्पाइनल कॉड के टूटने से इस युवक के शरीर के गले से नीचे का हिस्सा पूरी तरह सुन्न हो गया था. दोस्तों और परिजनों ने सूरज को एक स्थानीय अस्पताल में पहुंचाया, जहां से डाक्टरों ने सूरज को बिलासपुर रेफर कर दिया. जहां सूरज को गौरव हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. डॉक्टरों ने भी सूरज की बिगड़ती हालत को देखते हुए तत्काल ऑपरेशन करने का निर्णय लिया और समय रहते आपरेशन हो जाने से सूरज की जान बच पायी.

अब थोड़ी जानकारी सूरज के बारे में. सूरज कोरबा में बीए प्रथम वर्ष का छात्र है, पिता जी एक प्लांट में मजदूरी करते हैं, पर प्लांट में मजदूरों की छंटनी के बाद उनका यह रोजगार भी छीन गया है. सूरज के दो भाई हैं, जो होटल और कपड़े की दूकान में नौकरी करते हैं. घर इसी से चलता है.

शनिवार को जब मैं सूरज से मिला तो वह सिर्फ बोल पा रहा था. पूरा शरीर सुन्न जैसा पड़ा था. मैंने सूरज से थोड़ी देर तक बातचीत की, उसे हौसला देने की कोशिश की, हंसाने की कोशिश की लेकिन यह सब कुछ करते हुये मैं लगातार असहज था क्योंकि सूरज की आंखों से लगातार आंसू झर रहे थे. इन बहते हुये आंसुओं को वो पोंछ भी नहीं सकते थे क्योंकि शरीर का निचला हिस्सा बिल्कुल काम नहीं कर रहा था.

डॉक्टर से बात की इस मुद्दे पर तो उन्होंने भी सूरज के भविष्य को लेकर चिंता जताई. आशंका इस बात की है कि सूरज को अपनी बची हुई पूरी ज़िंदगी शायद व्हीलचेयर पर ही गुजारनी पड़ जाए. सूरज की जान तो बच गयी है पर अभी उसे अपने जिंदगी में आने वाली चुनौतियों का सामना करना बाकी है.

सूरज के परिवार के लोगों ने किसी तरह बीस हजार रूपये इकट्ठा किया था, जिन्हें यह साथ लेकर हॉस्पिटल आये थे. वहां के डॉक्टरों ने अपनी मानवता का परिचय देते हुए, बिना फीस की परवाह करते हुए इस युवक का तुरंत ऑपरेशन कर सूरज का जान बचायी. एक गंभीर मरीज की जिंदगी बचाने के पीछे डॉक्टर के साथ-साथ उसकी टीम में मौजूद नर्स, कंपाउंडर,एनिस्थिसिया स्पेशलिस्ट से लेकर और भी बहुत से लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.

दोस्तों डॉक्टरों ने अपना फर्ज बखूबी निभाया है. अब एक जिम्मेदारी लेने की बारी हमारी है. यह परिवार इतना सक्षम नहीं है कि अपने बेटे की सर्जरी का बिल जमा कर पाए. वे हर तरफ हाथ-पैर मार रहे हैं. हॉस्पिटल प्रबंधन के अनुसार इस युवक के ऊपर अभी तक एक लाख चालीस हजार (1,40,000/-) का खर्च हो चुका है. मैंने इस युवक की मदद के लिए अपने कुछ जान-पहचान वालों से बात की है. क्या आप सूरज की मदद करेंगे ?

आपकी छोटी से छोटी मदद सूरज की जिंदगी में रोशनी भरने का काम कर सकती है. आप सूरज के पिता के खाते में अपनी राशि जमा करवा सकते हैं. इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए आप मुझसे मेरे फोन +91 7415191234 पर संपर्क कर सकते हैं. सूरज के भाई हेमदास जी का नंबर है- +91 9691858985

आप मेरे लिखे को दूसरे साथियों के साथ वाट्सऐप, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया में साझा कर सकें तो भी सूरज को मदद मिलेगी. सूरज के पिता जी के अकाउंट से संबंधित जानकारी ये रही-

MAHADEV MANIKPURI
Account: 10326149903
State Bank Of india, Balco Township Branch
IFSC- SBIN0002819

*लेखक सुमित फाउंडेशन जीवनदीप से जुड़े हुये हैं.

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