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वेश्यावृति वैध या अवैध?

नई दिल्ली | एजेंसी: राष्ट्रीय महिला आयोग वेश्यावृत्ति वैध बनाने के पक्ष में है. इसकी जानकारी महिला आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम ने दिया है. उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम ने बुधवार को कहा कि भारत में वेश्यावृत्ति को वैध बनाने से संबंधित एक प्रस्ताव आठ नवंबर को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित समिति के समक्ष पेश किया जाएगा. राष्ट्रीय महिला आयोग ने एक बयान में कहा, “सर्वोच्च न्यायालय की समिति वेश्यावृत्ति वैध बनाने से संबंधित इस प्रस्ताव को आठ नवंबर को प्रस्तावित राष्ट्रीय रायशुमारी में पेश करेगी.”

सर्वोच्च न्यायालय ने इस समिति का गठन वर्ष 2010 में यौनकर्मियों के पुनर्वास को लेकर दाखिल की गई जनहित याचिका के बाद किया है.

न्यायालय ने 24 अगस्त, 2014 को अपने आदेश में राष्ट्रीय महिला आयोग को समिति की बैठकों में शामिल होने का निर्देश दिया था.

कुमारमंगलम ने उस मीडिया रपट का खंडन किया है, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने वेश्यावृत्ति को वैध बनाने से संबंधित प्रस्ताव मंत्रिमंडल की बैठक में पेश करने की योजना बनाई है. राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष के बयान के सवाल उठता है कि वेश्यावृति सामाजिक तौर पर वैध या अवैध.

कुमारमंगलम ने कहा, “यौनकर्मियों को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मान पूर्वक जीवनयापन की परिस्थिति मुहैया कराने के लिए समिति को अनैतिक आवागमन अधिनियम-1956 में संभावित संशोधन के लिए कुछ निश्चित सिफारिशें करनी होंगी.”

यौनकर्मियों के अधिकारों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हालांकि एनसीडब्ल्यू के इस प्रस्ताव पर चिंता और नाराजगी जाहिर की है.

सेंटर ऑफ सोशल रिसर्च की निदेशक रंजना कुमारी ने एक वक्तव्य जारी कर कहा, “वेश्यावृत्ति को वैधता प्रदान करना अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की सम्मानजनक कार्य की परिभाषा के खिलाफ है, क्योंकि आइएलओ वेश्यावृत्ति को संकट के कारण देह की बिक्री मानता है.”

रंजना कुमारी ने कहा, “देह व्यापार को अपराध की श्रेणी में रखे जाने की जगह हम यौनकर्मियों का शोषण करने वाले लोगों के हाथ में और ताकत सौंप रहे हैं. इसके जरिए हम यौनकर्मियों को किसी सामान की तरह बर्ताव कर रहे हैं जिसे बाजार में खरीदा-बेचा जा सकता है.”

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