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राजीव गांधी ने की थी विमान की दलाली

नई दिल्ली | संवाददाता: विकीलीक्स ने कहा है कि राजीव गांधी ने विमानों की दलाली की थी. विकीलीक्स के अनुसार प्रधानमंत्री बनने से पहले स्वीडिश कंपनी साब स्कैनिया से जुड़े हुए थे और कंपनी में उद्यमी की तरह काम कर रहे थे. यह कंपनी भारत को युद्धक विमान बेचने की कोशिश कर रही थी. ये कंपनी 70 के दशक में भारत को युद्धक विमान बेचने की कोशिश कर रही थी लेकिन सौदा हो नहीं पाया था. विकीलीक्स के मुताबिक कंपनी को लगता था कि राजीव गांधी का पारिवारिक पृष्ठभूमि उनके लिए मददगार होगी. हालांकि भारत ने ब्रिटिश फाइटर प्लेन जगुआर को खरीदने का फैसला किया था.

किसिंगर केबल के हवाले से विकीलीक्स ने दावा किया है कि राजीव गांधी 1974 से 1976 के बीच जब इंडियन एयरलाइंस में पायलट थे तब वे एक स्वीडिश कंपनी साब स्कानिया में एक उद्यमी के तौर पर कार्यरत थे और वे उक्त कंपनी के मददगार थे.

इस दौरान राजीव गांधी चाहते थे कि इस स्वीडिश कंपनी द्वारा निर्मित मिराज या विजेन नामक लड़ाकू विमानों में से किसी एक का भारत के साथ सौदा हो जाए लेकिन ऐसा हो नहीं सका. स्वीडिश कंपनी अपने ये विमान भारत को बेचना चाहती थी.

इस डील के तहत भारत को 50 विजेन विमान बेचने की योजना थी. एक विमान की कीमत उस वक्त 50 मिलियन डॉलर थी. स्वीडिश कंपनी को पता था कि राजीव गांधी इंदिरा गांधी के बेटे हैं और उनके रसूख का फायदा उठाया जा सकता है.

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