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छत्तीसगढ़: किसकी बनेगी सरकार ?

रायपुर | समाचार डेस्क: राष्ट्रीय मीडिया द्वारा कराये गये एक्जिट पोल ने चार राज्यों में भाजपा की बहुमत की ओर इशारा किया है. इसमें छत्तीसगढ़ में एक बार फिर भाजपा सरकार बनने की बात कही गई है. यदि राष्ट्रीय एक्जिट पोल पर भरोसा किया जाए तो मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी भाजपा मजबूत होकर सामने आने वाली है.

गौर तलब है कि सीजीखबर.कॉम ने भी अपना सर्वेक्षण पेश किया है जिसमें कांग्रेस को बहुमात मिलता दिख रहा है. खैर, नतीजे में अब सिर्फ एक ही दिन शेष रह गए हैं तो प्रत्याशियों के साथ-साथ दोनों ही दलों के बड़े नेताओं की धड़कनें भी तेज हो चली हैं.

छत्तीसगढ़ की ताजा स्थितियों पर नजर डालें तो यहां दोनों ही दलों में सीधी और कांटे की टक्कर रही है. इसके अलावा बस्तर और सरगुजा संभाग में कांग्रेस की सीटें बढ़ने की संभावना को देखते हुए भाजपा का समीकरण गड़बड़ाने की बात कही जा रही है. कहीं-कहीं तो सीधे तौर पर त्रिकोणीय संघर्ष भी देखने को मिला है.

एक्जिट पोल की मानें तो भाजपा की सरकार अगर फिर बनती है तो यहां मुख्यमंत्री रमन सिंह की व्यक्तिगत छवि के साथ ही साथ दो रुपये किलो चावल, संजीवनी एक्सप्रेस, लैपटॉप वितरण, धान पर बोनस जैसे अन्य महत्वपूर्ण योजनाओं का जनता पर सीधा असर माना जाएगा.

दूसरी तरफ, कांग्रेस पार्टी की तरफ से इन 10 वर्षो में कोई ऐसी उपलब्धि नहीं रही है, जिससे सरकार कटघरे में खड़ी दिखाई दे रही हो. लेकिन रिकॉर्ड मतदान से कांग्रेस की उम्मीदें सत्ता परिवर्तन को लेकर बंधी हुई हैं.

उल्लेखनीय है कि टाइम्स नाउ और इंडिया टीवी ने छत्तीसगढ़ में भाजपा को 44, कांग्रेस को 41, अन्य को 5 सीटें मिलने का दावा किया है. इंडिया टुडे के अनुसार, भाजपा 53, कांग्रेस 33 और अन्य 4, न्यूज-24 ने भाजपा को 51 और कांग्रेस 39 सीटें, आईबीएन-7 ने भाजपा को 45-55, कांग्रेस को 32-40 सीटें मिलने का आंकलन पेश किया है.

एक्जिट पोल के परिणाम कहां तक सटीक बैठते हैं, यह जानने में अब सिर्फ एक दिन का इंतजार है. लेकिन कांग्रेस-भाजपा के बीच सीधी टक्कर के अलावा कहीं-कहीं त्रिकोणीय संघर्ष ने जरूर पार्टियों की नींद उड़ा रखी है.

इन सबके बीच सबकी नजरें सीधे बस्तर सीट पर ही ज्यादा लगी हुई हैं. यहां पिछली बार भाजपा को 12 में से 11 सीटें मिली थीं. सिर्फ कोंटा की एक सीट ही कांग्रेस बचाने में कामयाब रही. इस बार यहां त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिला है. यहां मनीष कुंजाम ने दोनों ही दलों के प्रत्याशियों को कड़ी टक्कर दे रखी है. लेकिन कांग्रेस ने बस्तर से सीधे 6-7 सीट मिलने का भरोसा जताया है.

अब देखना है कि भाजपा बस्तर में अपनी पुरानी सीटों पर काबिज होती है या उसे नुकसान उठाना पड़ता है. यदि यहां से भाजपा की कुछ सीटें छिनीं तो इसका सीधा फायदा कांग्रेस को ही मिलने की संभावना है. लगभग यही स्थिति सरगुजा की है.

राजधानी रायपुर में भाजपा और कांग्रेस ने कोई स्पष्ट संकेत तो नहीं दिए हैं, लेकिन यहां आंकड़ा दो-दो का हो सकता है. एक सीट पर ही भाजपा यहां से निश्चिंत दिखाई दे रही है.

त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति राज्य के कई विधानसभाओं में स्पष्ट देखने को मिली है. इसमें मुख्य रूप से अभनपुर, कोंटा, महासमुंद, आरंग, दुर्ग शामिल हैं. दुर्ग से कांग्रेस के दिग्गज नेता और राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा के पुत्र अरुण वोरा और भाजपा के हेमचंद यादव के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल सकता है.

सुनने में आया है कि मोतीलाल वोरा ने अपने पुत्र को जिताने के लिए यहां से काफी मेहनत की है, लेकिन स्वाभिमान मंच की प्रत्याशी उर्वशी साहू के भी मैदान में होने से मुकाबला दिलचस्प हो चला है.

यही स्थिति महासमुंद और आरंग में दिखाई दे रही है. महासमुंद में कांग्रेस से अग्नि चंद्राकर तो भाजपा से पूनम चंद्राकर के बीच मुकाबले को विमल चोपड़ा ने निर्दलीय प्रत्याशी के बतौर अपनी जबरदस्त उपस्थित दर्ज कर त्रिकोणीय स्थिति निर्मित कर दी है.

अभनपुर में वर्तमान मंत्री और विधायक चंद्रशेखर की स्थिति काफी असमंजस भरी हुई प्रतीत हो रही है. लोगों के नजरिए से कांग्रेस यहां से आसानी से जीतती दिखाई देती है, तो स्वाभिमान मंच के प्रत्याशी की उपस्थिति भी दोनों ही पार्टी के नेताओं को बेचैन किए हुए है. यदि स्वाभिमान मंच यहां से ज्यादा से ज्यादा वोट बटोर लेता है तो इसका सीधा नुकसान कांग्रेस पार्टी को ही होने की संभावना दिख रही है.

छत्तीसगढ़ के नतीजे आने से पहले राष्ट्रीय एक्जिट पोल ने भाजपा को जरूर राहत दिलाई है. एक्जिट पोल के आंकड़े से उत्साहित रमन सिंह हैट्रिक बनाने की बात कह रहे हैं तो कांग्रेस का कहना है कि उसे विधानसभा चुनाव के एक्जिट पोल पर जरा भी भरोसा नहीं है. लेकिन जब तक वास्तविक नतीजे नहीं आ जाते, तब तक दोनों ही दलों में संशय की स्थिति बरकरार है. साथ ही साथ मतदाताओं में भी कौतुहल का भाव है, वह भी उस प्रत्याशी को जीतते देखना चाहता है जिसे उसने वोट दिया था. वैसे 24 घंटे के अंदर ही पता चल जायेगा कि किसकी सरकार बनने वाली है.

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