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व्यापमं: सीबीआई की बड़ी कार्यवाही

भोपाल | समाचार डेस्क: सीबीआई ने व्यापमं घोटाले के सिलसिले में गुरुवार को 40 स्थानों पर छापे मारे. इसे सीबीआई द्वारा व्यापमं घोटाले अपने हाथ में लेने के बाद सबसे बड़ी कार्यवाही माना जा रहा है. मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले की जांच कर रहे सीबीआई ने गुरुवार को मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के करीब 40 स्थानों पर पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा सहित अन्य आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी की. जांच एजेंसी की इस कार्रवाई को काफी अहम माना जा रहा है. व्यापमं घोटाले की सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई जांच कर रही है. सीबीआई 90 से ज्यादा प्राथमिकी पहले ही दर्ज कर चुकी है, वहीं इस मामले से जुड़े लोगों की मौत की भी सीबीआई जांच कर रही है. मगर यह पहली ऐसी कार्रवाई है, जिसमें सीबीआई ने कई स्थानों पर दबिश दी है.

सूत्रों के अनुसार, सीबीआई के कई दलों ने राजधानी भोपाल के व्यापमं के दफ्तर के अलावा इंदौर, उज्जैन, जबलपुर और उत्तर प्रदेश के कानपुर व लखनऊ, मऊ, इलाहाबाद आदि स्थानों पर दबिश दी है.

इस मामले में मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, व्यापम के अधिकारी पंकज त्रिवेदी, नितिन महेंद्रा, के.सी. मिश्रा आदि जेल में हैं. वहीं राज्यपाल रामनरेश यादव और उनके बेटे पर भी मामला दर्ज हुआ था. इसमें राज्यपाल को न्यायालय से राहत मिली थी. इसी मामले से जुड़े उनके बेटे शैलेश यादव की लखनऊ में मौत हो चुकी है.

सीबीआई सूत्रों के अनुसार, गुरुवार को व्यापमं कार्यालय के अलावा आरोपी पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, संजीव सक्सेना, सुधीर शर्मा के भोपाल, पंकज त्रिवेदी व डॉ. जगदीश सागर के इंदौर, संतोष गुप्ता के जबलपुर आवास पर दबिश दी गई. इसके अलावा रीवा, अशोकनगर और उत्तर प्रदेश के लखनऊ, इलाहाबाद व कानपुर में कई स्थानों पर दबिश दी गई. इन छापों के दौरान सीबीआई को अहम दस्तावेज मिले हैं.

उत्तर प्रदेश में छापेमारी राजधानी लखनऊ में दो जगहों के अलावा इलाहाबाद, मऊ, देवरिया और इलाहाबाद के कई मेडिकल कालेजों में हुई है.

मालूम हो कि सीबीआई की जांच से पहले तक जांच कर रही एसटीएफ ने व्यापमं घोटाले में कुल 55 प्रकरण दर्ज किए थे. इस मामले में 2100 आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है, वहीं 491 आरोपी अब भी फरार है. इस घोटाले से जुड़े 48 लोगों की मौत हो चुकी है. इन मौतों का रहस्य जानने के लिए दिल्ली से पहुंचे समाचार चैनल ‘आजतक’ के पत्रकार अक्षय सिंह की भी मौत हो जाने के बाद इस महाघोटाले ने देशभर को झकझोर डाला.

इस मामले का जुलाई 2013 में खुलासा होने के बाद जांच का जिम्मा अगस्त 2013 में एसटीएफ को सौंपा गया था. फिर इस मामले को उच्च न्यायालय ने संज्ञान में लेते हुए पूर्व न्यायाधीश चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल 2014 में एसआईटी बनाई, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच कर रही थी. अब मामला सीबीआई के पास है.

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