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व्यापमं: सीबीआई जांच कई डरे!

भोपाल | समाचार डेस्क: व्यापमं की जांच सीबीआई को सौंपे जाने से राजनीतिक जगत से लेकर प्रशासनिक जगत से जुड़े लोगों में डर फैल गया है. ये वे लोग हैं जिनका या तो सीधे तौर पर नाम इस घोटाले में आया है या उनका नाम करीबी से इससे जुड़ा हुआ है, मगर अपने प्रभाव के चलते अब तक किसी भी तरह की संभावित कार्रवाई से बचे हुए थे.

राज्य का व्यापमं घोटाला देश में सुर्खियों में है, यह प्रकरण एसटीएफ, उच्च न्यायालय, एसआईटी से होते हुए दो वर्ष बाद गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय के जरिए सीबीआई के पास पहुंच गया है. मामले के सीबीआई में पहुंचते ही उन प्रभावशाली लोगों की धड़कने बढ़ गई है जो कहीं न कहीं इस मामले से जुड़े हुए हैं. सीबीआई व्यापमं के मुकदमों के साथ ही मौतों के मामलों की जांच करेगी, वहीं सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी पर फैसला 24 जुलाई को होगा.

व्यापमं घोटाले में बड़े लोगों का जुड़ाव किसी से छुपा नहीं है. राज्य के पूर्व मंत्री और शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी ओ.पी. शुक्ला, भाजपा नेता और कई भाजपा नेताओं के करीबी सुधीर शर्मा, व्यापमं के पूर्व नियंत्रक पंकज त्रिवेदी, व्यापमं के कंप्यूटर एनालिस्ट नितिन महेंद्रा घोटाले का सरगना डा. जगदीश सागर जेल में हैं.

जनता दल यूनाइटेड के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद यादव ने कहा, “इस मामले से जुड़े गुलाब सिंह किरार और उनके बेटे, प्रेम सिंह, सुधीर भदौरिया, राघवेंद्र सिंह तोमर, अजय मेहता का नाता किससे है, किसी से छुपा नहीं है. इसके अलावा एक प्राथमिकी में ‘मंत्राणी’ का जिक्र, व्यापमं घोटाले से जुड़े लोगों और सत्ता के तारों को सार्वजनिक करता है.”

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा का कहना है, “व्यापमं से जुड़े लोगों के रिश्ते मुख्यमंत्री चौहान, केद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा अन्य नेताओं से हैं, वहीं केंद्रीय मंत्री उमा भारती व संघ के सुरेश सोनी के नाम भी भर्ती कराने वालों के तौर पर आ चुके हैं. यह बात अलग है कि पुलिस को उमा भारती के नाम पर सफाई देनी पड़ी थी. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री की पत्नी और उनके प्रमुख सचिव भी इस घोटाले के अहम किरदार हैं. सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में सीबीआई जांच से सब कुछ साफ हो जाएगा.”

पूर्व मंत्री और कांग्रेस के विधायक अजय सिंह का कहना है, “सीबीआई जांच से वे लोग परेशान हो उठे हैं, जिनके दलालों से संपर्क हैं और जो पीड़ितों की रकम डकारकर मौज कर रहे हैं और रकम देने वाला जेल में है, राज्य सरकार ने एसटीएफ का उपयोग सबूत खत्म करने और गवाहों को दबाने में किया है.”

सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री चौहान ने भी माना, “उन पर कांग्रेस की ओर से घटिया आरोप लगाए जा रहे थे, छवि को धूमिल किया जा रहा था, कमर से नीचे तक प्रहार किए गए, ऐसा वातावरण बनाया जा रहा था, जैसे राज्य हत्यारों का राज्य बन गया हो, इसलिए सीबीआई जांच जरूरी थी सीबीआई को जांच सौंपे जाने से सच सामने आ जाएगा.”

इस मामले में राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ भी प्रकरण दर्ज हो चुका है, उनका ओएसडी जेल में है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी आर. के. शिवहरे जेल में है. वहीं कई प्रमुख लोग जमानत पर चल रहे है उनमें मुख्यमंत्री के ओएसडी और पूर्व परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा के अधीन रहा कर्मचारी भी शामिल है.

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रदेश सचिव बादल सरोज राज्य सरकार के हस्तक्षेप पर सवाल उठाते हुए कहते हैं, “अभी तक उच्च न्यायालय के निर्देश पर एसआईटी की देखरेख में एसटीएफ जांच कर रही थी, एसटीएफ बड़े लोगों पर हाथ डालने से कतरा रही थी, क्योंकि उसके अधिकारी सीधे तौर पर सरकार के अधीन आते हैं. अब मामला सीबीआई को गया तो सब कुछ सामने आ जाएगा.”

बीते दो वर्ष के घटनाक्रम पर गौर करें तो व्यापमं घोटाले के उजागर होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जांच एसटीएफ को सौंपी थी, उच्च न्यायालय ने जांच की निगरानी के लिए एसआईटी गठित की और गुरुवार तक यह जांच एसटीएफ कर रही थी.

इस घोटाले में बड़ी संख्या में छात्र, अभिभावक, दलाल, गिरोह चलाने वाले, स्कोरर पकड़े गए. इस मामले से जुड़े 49 लोगों की मौत हो चुकी है. कांग्रेस लगातार इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करती आ रही थी, काफी ना-नुकर के बाद मुख्यमंत्री चौहान ने मंगलवार को उच्च न्यायालय को सीबीआई जांच का खत लिखा था. उच्च न्यायालय ने मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित होने पर सुनवाई की तारीख 20 जुलाई तक के लिए टाल दिया था.

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