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सीरिया पर हमला होगा

वाशिंगटन । एजेंसी: यह तय माना जा रहा है कि अमरीका के नेतृत्व में सीरिया पर सैन्य हमला किया जायेगा. हमला, सीरिया ने रासायनिक का उपयोग किया है कि नही उसे साबित किये बिना किया किया जायेगा. आज सीरिया पर सैन्य कार्यवाही करना अमरीका की आर्थिक जरूरत है. अंमरीका अपने देश के सैन्य उद्योग के दबाव में तो है ही बल्कि उस पर नैटो की जिम्मेदारी भी है. अमरीका के नेतृत्व में नैटो की मंशा है कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असाद को सत्ताच्युत कर कठपुतली सरकार बैठाई जाये.

अमरीकी गठजोड़ में फांस, ब्रिटेन तथा इजरायल है. इजराइल ने तो सीरिया के सीमा पर मिसाइल भी दागे हैं. लेबनान इस लड़ाई में सीरिया के साथ है. वास्तव में इन चारो देशो का गठजोड़ सीरियाई विद्रोहियों को हथियार मुहैया करवा रहा है. हमेशा की तरह इस सत्ता परिवर्तन में सीआईए अपनी भूमिका का बड़ी जिम्मेदारी से पालन कर रहा है.

पहले इराक फिर लीबिया में किये गये सैन्य हस्तक्षेप ने अमरीकी प्रशासन की हिम्मत में इजाफा किया है. मध्यपूर्व के देश तेल के भंडार के चलते विश्व राजनीति की राजनीति में अहम स्थान रखते हैं. इतना ही नही तेल के परिवहन के चलते स्वेज नहर के कारण मिस्र का भी महत्व दुनिया के राजनीति में अलग है.

हालांकि ब्रिटिश संसद हाउस ऑफ कामंस ने शुक्रवार को सीरिया पर हमलें के प्रस्ताव को बहुमत से खारिज कर दिया है. अब जब संयुक्त राष्ट्र संघ की टीम ने सीरिया छोड़ दिया है इस बात की पूरी आशंका है अमरीका के नेतृत्व में यीरिया पर सैन्य कार्यवाही शुरु की जाये.

अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा तथा विदेश मंत्री जॉन केरी ने व्हाइट हाउस में सीरिया के मुद्दे पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा है कि बतौर विश्व नेता वह अपनी भूमिका के निर्वहन के लिये तैयार है. अमरीका ने ऐलान किया है कि वह संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुमति के बगैर ही सीरिया पर सैन्य हमला कर सकता है.

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