बिलासपुर

यूजीसी: आतंकवाद पर रिपोर्टिग

बिलासपुर | एजेंसी: केंद्र सरकार चाहती है कि पत्रकार किसी भी तरह आतंकवाद से जुड़ी विचारधारा का पक्ष न लें. भावी पत्रकारों के लिए दिशा-निर्देश जारी कर अभी से घुट्टी पिलाई जा रही है. यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को आदेश जारी किया है. इसमें कहा गया है कि जनसंचार और पत्रकारिता विभाग के छात्र-छात्राओं को बताया जाए कि आतंकवाद से जुड़े मुद्दे पर कैसी रिपोर्टिग करनी है. गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलसचिव एच.एन. चौबे का कहना है कि यूजीसी का निर्देश मिला है. पत्रकारिता विभाग को प्रोत्साहित किया जाएगा कि वे देश व समाज में आतंकवाद के खिलाफ छात्रों का उचित मार्गदर्शन करें. ग्रांउड लेवल पर इसके लिए जो संभव हो व्यवस्था करेंगे.

यूजीसी ने पहली बार देश के सभी यूनिवर्सिटी को आतंकवाद के मामले में विशेष दिशा निर्देश जारी किया है. गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी व बिलासपुर यूनिवर्सिटी प्रशासन को मिले पत्र में कहा गया है कि जनसंचार एवं पत्रकारिता की शिक्षा देने वाली संस्थाएं ऐसे तत्वों से बचें, जो आतंकवाद के एजेंडे को आगे बढ़ा सकते हों.

यूजीसी की सिफारिश प्रशासनिक सुधार आयोग की आठवीं रिपोर्ट के अनुरूप है. यूजीसी ने एक अलग पत्र में देशभर के शिक्षण संस्थानों से कहा है कि वे अपने पाठ्यक्रमों में जनसंचार के साधन, निरस्त्रीकरण और रसायन शास्त्र के शांतिपूर्ण इस्तेमाल जैसे मुद्दों को पाठ्यक्रम में शामिल करें. स्टूडेंट महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संधियों से अनभिज्ञ हैं. यूजीसी ग्राउंड लेवल पर आतंकवाद के मुद्दे पर एक समान सोच चाहता है. इसीलिए भविष्य के पत्रकारों को अभी से आतंकवाद पर पाठ पढ़ाने की तैयारी है.

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. जी.डी. शर्मा के मुताबिक, प्रशासन संबद्ध कॉलेजों को भी इस बारे में दिशा निर्देश जारी करने जा रहा है. इससे कॉलेज पत्रकारिता के अलावा दूसरे पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों को इस मुद्दे से जोड़ा जा सके.

उन्होंने कहा, “आतंकवाद के एजेंडे पर यूजीसी ने विशेष दिशा-निर्देश दिया है. हालांकि हमारे यहां अभी पत्रकारिता विभाग संचालित नहीं है. फिर भी कॉलेजों को इसकी सूचना पहुंचा दी जाएंगी.”

यूजीसी के फरमान का असर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग और कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में देखने को मिलेगा. इससे आतंकवाद के एजेंडे को बढ़ावा देने वाली सामग्री से बचने का प्रयास किया जाएगा. इस फरमान को लेकर जानकारियां सार्वजनिक नहीं होने के चलते इस पर वरिष्ठ पत्रकारों की कोई प्रतिक्रिया अब तक सामने नहीं आई हैं.

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