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छत्तीसगढ़ में 86 प्रजाति के पेड़ों की कटाई की तैयारी

रायपुर | संवाददाता : छत्तीसगढ़ में कम से कम 86 प्रजाति के पेड़ों की बेरोक-टोक कटाई की तैयारी चल रही है. यह तैयारी राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के निर्देश के बाद शुरु की गई है.

राज्य सरकार इन 86 प्रजाति के पेड़ों की कटाई और उसके परिवहन अनुज्ञा यानी ट्रांजिट परमिट की अनिवार्यता को समाप्त कर सकती है.

पेड़ों के मामले में भूपेश बघेल की सरकार अब गुजरात मॉडल अपनाने की तैयारी में है. राज्य सरकार के शीर्ष अफसर इस मॉडल के लिये दिन-रात एक किये हुये हैं. वे किसी भी तरह राज्यपाल के निर्देश को पूरा करने में जुटे हुये हैं.

हालांकि वन विभाग के कुछ अधिकारियों का दावा है कि अगर ऐसा हुआ तो राज्य में वनों का क्षेत्रफल तेज़ी से कम हो सकता है.

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का पत्र

आनंदी बेन पटेल गुजरात
आनंदी बेन पटेल
असल में छत्तीसगढ़ में पिछले साल शपथ लेने के 20 दिन बाद ही राज्यपाल आनंदी बेन ने 5 सितंबर को मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को गुजरात की तरह खेतों में पेड़ों की लकड़ियों को काट कर बेचने हेतु कानून के सरलीकरण के लिये पत्र लिखा था.

राज्यपाल ने इसके लिये गुजरात के वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा 20 मई 2016 को जारी ज्ञापन का हवाला दिया गया था.

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने इस मामले में शीघ्रातिशीघ्र कार्यवाही किये जाने का उल्लेख अपने पत्र में किया था.

गुजरात मॉडल

गुजरात सरकार ने सौराष्ट्र ट्री कटिंग एक्ट 1951 में परिवर्तन कर के 86 वृक्षों की कटाई और परिवहन में किसी भी तरह की अनुमति की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है.

हालांकि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इसे आदिवासियों से जोड़ कर बताया है लेकिन हकीकत ये है कि इस क़ानून के तहत वन भूमि से बाहर किसी भी निजी भूमि में वृक्षों की कटाई की छूट दी गई है.

जाहिर है, छत्तीसगढ़ में अगर यह क़ानून लागू किया गया तो बेखौफ़ हो कर पेड़ कटाई शुरु हो जायेगी.

छत्तीसगढ़ में पेड़ों की कटाई

मालिक मकबूजा कांड जैसी स्थितियों का सामना कर चुके छत्तीसगढ़ में निजी भूमि पर लगे हुये 23 प्रजाति के पेड़ कटाई और परिवहन अनुज्ञा की आवश्यकता नहीं है.

इसके लिये छत्तीसगढ़ वनोपज नियम 2001 के तहत प्रावधान किया गया है.

इन पेड़ों में कैसूरिना, पापलर, बबूल, विलायती बबूल, आस्ट्रेलियन बूबल, इजरायली बबूल, सूबबूल, मेंजियम, नीलगिरी, सिरिस, रिमझा, रबर, केसिया साइमिया, बकैन, ग्लेरिसीडिया, खमेर, कदंब, सिस्सू, कपोक, महारुख, सिल्वर ओक, पाइन प्रजाति को छोड़ कर शंकुधारी प्रजातियां और नौ ज़िलों में बांस शामिल है.

इसके अलावा पंचायत की अनुमति से नीम, बेर, पलाश और जामुन को भी इन वृक्षों में शामिल किया गया है.

वनोपज नियम के अलावा भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 240 के तहत ग्राम पंचायत की लिखित अनुमति से जो सूख गये या जो सूख रहे हों, ऐसे नौ पेड़ों को कटाई और परिवहन अनुज्ञा की आवश्यकता नहीं है.

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