देश विदेशप्रसंगवश

गांधी के बाद टाइम ने किसी को नहीं चुना

नई दिल्ली | संवाददाता: ब्रिटिश पत्रिका टाइम ने 1930 में गांधी को पर्सन ऑफ द ईयर चुना था. किसी भारतीय को पहली और अंतिम बार इसके लिये चुना गया था. महात्मा गांधी अपने नमक आंदोलन के लिये चर्चा में आ चुके थे और 1927 में जब टाइम ने पर्सन ऑफ द ईयर की शुरुआत की तो चौंथे ही साल उसके लिये ज़रुरी था कि वह अपनी विश्वव्यापी छवि को स्थापित करे.

इससे पहले चार्ल्स लिंडबर्ग, वाल्टर औऱ ओवेन डी यंग को इस सम्मान के लिये चुना जा चुका था. इसके बाद नमक आंदोलन और अपनी दांडी यात्रा से पूरी दुनिया में धमक बना चुके महात्मा गांधी को चुनने के उनके निर्णय की पूरी दुनिया में सराहना की गई.

टाइम की पर्सन ऑफ द ईयर के चयन के पीछे सबसे बड़ा कारण तो चुने गये व्यक्ति द्वारा वैश्विक स्तर पर प्रभावित करने वाले निर्णय को माना जाता है. इस लिहाज से ही संभवतः भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस दौड़ से बाहर कर दिया गया.

यह बात भी बहुत साफ है कि ऑनलाइन पोल को संबंधित प्रतियोगी के फैन्‍स के निर्णय के रूप में देखा जाता है यानी इसे महज भावनात्मक लगाव का नतीजा माना जा सकता है. इसके लिये जरुरी नहीं है कि जिस व्यक्ति को वोट दिये जा रहे हैं, उसका वैश्विक स्तर पर कोई महान निर्णय भी रहा हो. भारतीय प्रधानमंत्री को अगर इस कारण से भी टाइम ने अपने चयन से बाहर कर दिया हो तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिये.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!