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अग्रेज भारत को हर्जाना दें: थरूर

नई दिल्ली | बीबीसी: पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर ने अंग्रेजों से भारतीय अर्थ व्यवस्था को पंगु कर देने के लिये हर्जाना मांगा है. एक वाद-विवाद प्रतियोगिता में शशि थरूर ने दावा किया कि ब्रितानी शासन में भारत का विदेश व्यापार घट गया था जिसके लिये वर्तमान ब्रितानी शासन को भारत को हर्जाना देना चाहिये. भारतीय नेता शशि थरूर का एक जज़्बाती भाषण यूट्यूब पर ट्रेंड कर रहा है. इस भाषण में थरूर ने ब्रिटेन से अपने पूर्व उपनिवेशों को मुआवज़ा देने को कहा है.

इसे अब तक आठ लाख हिट मिल चुके हैं और उनके भाषण से एक ऑनलाइन बहस भी शुरू हो गई है. भारत के पूर्व विदेश राज्य मंत्री और कांग्रेस सांसद शशि थरूर ऑक्सफ़र्ड यूनिवर्सिटी की वादविवाद सोसायटी, ऑक्सफ़र्ड यूनियन में बोलने वाले आठ लोगों में से सातवें थे.

वादविवाद का विषय था, “सदन का मानना है कि ब्रिटेन को अपने पूर्व उपनिवेशों को मुआवज़ा देना चाहिए.” अपने पंद्रह मिनट के भाषण में थरूर लगातार भारत के उस नैतिक कर्ज़ की बात कर रहे हैं जो ब्रिटेन को चुकाना है.

भारत की अर्थव्यवस्था
थरूर का कहना है कि ब्रिटेन के राज से विश्व व्यापार में भारत के हिस्से में भारी गिरावट आई. थरूर कहते हैं, “जब ब्रिटेन भारत आया तो दुनिया की अर्थव्यवस्था में 23 फ़ीसदी हिस्सा भारत का था. जब ब्रिटेन ने भारत छोड़ा तो यह हिस्सा सिर्फ चार फ़ीसदी रह गया. क्यों? क्योंकि भारत पर शासन ब्रिटेन के फ़ायदे के लिए किया गया था. दो सौ साल तक ब्रिटेन के उत्थान के पीछे भारत में की गई लूटमार का योगदान था.”

हालांकि थरूर ने अपने आंकड़ों का स्रोत नहीं बताया लेकिन कुछ आर्थिक ऐतिहासिक शोधकर्ता उनके आंकड़ों का समर्थन करते हैं. हालांकि वादविवाद में उनके विपक्षी वक्ताओं ने तर्क रखा कि कुल मिला कर भारत को ब्रितानी शासन से फ़ायदा ही हुआ.

भाषण पर ऑनलाइन बहस
थरूर के भावपूर्ण भाषण से एक ऑनलाइन बहस शुरू हो गई है. बहुत से युवा भारतीयों ने इस वीडियो पर टिप्पणी भी की है.

थरूर भाषण एक दर्शक ने लिखा है, “शशि थरूर, आपने अच्छा तर्क दिया. भारत में अपने शासन के लिए ब्रिटेन को बहुत श्रेय मिला है और इसकी आलोचना कम ही हुई है.”

एक अन्य दर्शक ने लिखा है, “उपनिवेशवाद की असलियत बहुत हद तक उजागर हुई है.” एक और दर्शक ने लिखा है, “ब्रितानियों ने सिर्फ और सिर्फ लूटा है और जब बहुत हो गया तो उन्हें बाहर निकाल दिया गया.”

ट्विटर पर एक व्यक्ति ने लिखा, “बहुत अच्छा भाषण था. मुआवज़ा, हां बिल्कुल. लेकिन उससे अहम है, एक माफ़ीनामा, उस विभीषिका की एक विनम्र स्वीकृति.”

थरूर से असहमति भी
लेकिन सभी भारतीय दर्शक थरूर से सहमत नहीं हैं. थरूर ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव का चुनाव लड़ा था लेकिन वो बान की मून से हार गए थे.
एक ने टिप्पणी की, “मुआवज़े की मांग मूर्खतापूर्ण है. अगर उन्होंने अतीत में हमसे कुछ लिया भी है तो भी उन पर हमारा कोई बकाया नहीं है. हमें अपनी चीज़ों को खुद व्यवस्थित और संचालित करना सीखना होगा.”

वर्ष 2013 में भारत को ब्रिटेन से 26 करोड़ 90 लाख पाउंड की वित्तीय मदद मिली थी.

कुछ लोगों ने इस पर सवाल भी उठाया था कि एक देश जो परमाणु शस्त्र से लैस है. जिसका अंतरिक्ष कार्यक्रम है और जिसकी अर्थव्यवस्था फलफूल रही है, उसे ब्रितानी सहायता क्यों मिलनी चाहिए.

जहां तक ऑक्सफ़र्ड यूनियन की वादविवाद प्रतियोगिता का सवाल है, थरूर की टीम 56 वोट के बदले 185 वोट से जीत गई.

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