राष्ट्र

मदद मंत्री बनने के पहले की: सुषमा

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: सुषमा स्वराज ने स्पष्ट किया कि ललित मोदी की मदद मंत्री बनने से पहले की थी. उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि ललित मोदी की मदद उन्होंने मानवीय आधार पर की थी. उधर, कांग्रेस ने सुषमा स्वराज का नैतिक आधार पर इस्तीफा मांगा है. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, “सुषमा स्वराज को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए.” दिग्विजय ने कहा, “मंत्री ने ललित मोदी जैसे एक व्यक्ति की मदद की, जिसके खिलाफ यहां लुकआउट नोटिस जारी किया गया था. यह बहुत गंभीर मामला है. विदेश मंत्री ऐसे व्यक्ति की मदद कर रही हैं, जो फरार है.” विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रविवार को कहा कि उन्होंने आईपीएल के पूर्व प्रमुख ललित मोदी को 2013 में देश से बाहर जाने में मानवीय आधार पर मदद की थी, जब वह अपनी कैंसर पीड़ित पत्नी से मिलना चाहते थे. स्वराज ने लगातार कई ट्वीट कर कहा कि ललित मोदी ने उनसे कहा था कि उनकी पत्नी कैंसर से जूझ रही है, इसलिए मैंने उनकी मदद की. उनकी पत्नी की पुर्तगाल में सर्जरी की गई थी. ललित वित्तीय अनियमितता के आरोपों के कारण 2010 से लंदन में रह रहे हैं.

सुषमा ने हालांकि, इस बात से इंकार किया है कि उन्होंने इसके बदले में ससेक्स युनिवर्सिटी में कानून के पाठ्यक्रम में अपने भतीजे ज्योतिर्मय कौशल के दाखिले को लेकर कोई मदद मांगी थी.

स्वराज ने ट्वीट कर कहा, “मैंने ललित मोदी को क्या फायदा पहुंचाया-यही कि वह कैंसर से जूझ रही अपनी पत्नी की सर्जरी कराने से संबंधित दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर पाएं? वह लंदन में थे. पत्नी की सर्जरी के बाद वह लंदन आ गए. मैंने क्या बदल दिया?”

ऐसा माना जा रहा है कि सुषमा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस संबंध में मुलाकात की है, जबकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह उनके समर्थन में आ खड़े हुए हैं.

सुषमा की ओर से यह स्पष्टीकरण ऐसे समय में आया है, जब एक ब्रिटिश अखबार संडे टाइम्स ने एक रपट में कहा है ब्रिटेन में भारतीय मूल के सबसे लंबे समय से सांसद कीथ वाज ने ललित मोदी को यात्रा दस्तावेज उपलब्ध करवाने के लिए ब्रिटेन के शीर्ष आव्रजन अधिकारी पर दबाव बनाने हेतु स्वराज के नाम का इस्तेमाल किया था.

सुषमा ने कहा, “मोदी ने मुझसे कहा था कि उनकी पत्नी कैंसर से जूझ रही है और चार अगस्त को पुर्तगाल में उनकी सर्जरी होनी है. उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर करने के लिए अस्पताल में मौजूद रहना पड़ेगा.”

उन्होंने कहा, “उन्होंने मुझे बताया था कि उन्होंने लंदन में यात्रा दस्तावेजों के लिए आवेदन दिया था. ब्रिटेन सरकार उन्हें यात्रा दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए तैयार थी. लेकिन संप्रग सरकार के एक संदेश के कारण वे इससे बच रहे हैं, क्योंकि उसमें कहा गया था कि इससे भारत-ब्रिटेन संबंधों में खटास आएगी.”

सुषमा ने कहा, “मानवीय पहलू को देखते हुए, मैंने ब्रिटिश उच्चायोग से कहा कि ब्रिटिश सरकार को ब्रिटेन के नियमों के आधार पर ललित मोदी के आग्रह की जांच करनी चाहिए. यदि ब्रिटिश सरकार मोदी को यात्रा दस्तावेज उपलब्ध कराती है तो इससे दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध नहीं बिगड़ेंगे.”

उन्होंने कहा, “कीथ वाज ने मुझसे भी बात की और मैंने उन्हें साफतौर पर वह सब कुछ बताया जो ब्रिटिश उच्चायोग से मैंने कहा था.”

सुषमा ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि इस तरह की स्थिति में किसी भारतीय नागरिक को आपात यात्रा दस्तावेज देने से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध खराब नहीं हो सकते और न ही होने चाहिए.

उन्होंने कहा कि इसके चंद दिनों बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने तत्कालीन कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें मोदी का पासपोर्ट जब्त करने की बात कही गई थी.

प्रवर्तन निदेशालय ने ललित मोदी के खिलाफ मामला शुरू किया था और मार्च 2010 में मुंबई के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय ने उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया था.

सुषमा ने अपने भतीजे के दाखिले के संबंध में कहा, “जहां तक ज्योतिर्मय के दाखिले की बात है, उसे सामान्य प्रवेश प्रक्रिया के जरिए 2013 में दाखिला मिल गया था, वह भी मेरे मंत्री बनने के एक साल पहले.”

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