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sc में कालेधनधारियों का नाम?

नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: सोमवार को सरकार काले धन रखने वाले तीन नामों को सर्वोच्य न्यायालय में पेश कर सकती है. इसी के साथ संभावना है कि केन्द्र सरकार अपना हलफनामा भी सर्वोच्य न्यायालय में पेश करेगी जिसमें विदेशों के साथ हुए टैक्स समझौतों के बारे में जानकारी दी जायेगी. कई देशों से भारत के डबल टैक्सेशन एवाएडेंस ट्रीटी है जिसका अर्थ है कि यदि एक व्यक्ति अपने आय पर एक देश में टैक्स जमा करा देता है तो उसे अपने देश में उस पर टैक्स से छूट मिल जाती है. स्वभाविक है कि एक ही आय पर दो बार आयकर लेना गैरवाजिब है.

मीडिया की खबरों के अनुसार केन्द्र सरकार के पास करीब 800 लोगों के नाम हैं जिन्होंने विदेशी बैंकों में अपना धन जमा करा रखा है. सूत्रों के अनुसार केन्द्र सरकार इनमें से केवल 136 नामों का ही खुलासा करने जा रही है. जाहिर है कि इससे राजनीतिक घमासान मचना स्वभाविक है. वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने वित्तमंत्री से मांग की है कि देश को धन की पूरी जानकारी दी जाये तथा पूरे नाम सर्वोच्य न्यायालय में पेश किये जाये.

खबरों के अनुसार सोमवार को जिन तीन नामों का सर्वोच्य न्यायालय में खुलासा हो सकता है उनमें से कोई भी राजनीतिज्ञ नहीं है. उधर, एक और घटनाक्रम में उद्योग संघ एसोचैम ने मांग की है कि विदेशों में काले धन रखने वालों के नाम उजागार नहीं करना चाहिये. एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने एक बयान में कहा, “डीटीएटी भारतीय व्यक्ति या कंपनी के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे वे दो बार कर देने से बच सकते हैं.” उन्होंने साथ ही कहा, “यही नहीं 88 देशों के साथ डीटीएटी के उल्लंघन से देश की विश्वसनीयता घटेगी.”

रावत ने कहा, “यदि नाम सार्वजनिक किए जाते हैं और उन नामों पर दोष साबित नहीं हो पाता है, तो इससे उस व्यक्ति और कंपनी की शाख को क्षति पहुंचेगी और इससे पूरी न्याय प्रणाली को नुकसान पहुंचेगा.” रावत ने इस मुद्दे पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के व्यवहारिक रवैये की सराहना करते हुए कहा, “मुद्दा न्यायालय में विचाराधीन है इसलिए सरकार मुद्दे की तह तक पहुंचने के लिए निश्चित रूप से सर्वोच्च न्यायालय को सहयोग देगी, लेकिन यइ सब सार्वजनिक तौर पर नहीं किया जा सकता है.”

एसोचैम का विरोध समझ में आता है कि वह उद्योगपतियों को बचाने के लिये ऐसा बयान देकर सरकार पर दबाव बनाना चाहती है. दूसरी तरफ, मोदी सरकार की दुविधा यह है कि उसने लोकसभा चुनाव के प्रचार के समय दावा किया था कि विदेशों में जमा काले धन को वापस लाकर देश के विकास में लगायेगी. हालांकि, चुनाव प्रचार में वादे करना तथा सरकार में बैठकर फैसला लेने में फर्क तो होता ही है परन्तु भाजपा ने चुनाव के समय काले धन के मुद्दे को इतना उछाला है कि उनके लिये अब पीछे हटना राजनीतिक हाराकिरी से कम नहीं होगी.

बहरहाल, सोमवार को केन्द्र सरकार सर्वोच्य न्यायालय में क्या हलफनामा देती है तथा किन तीन नामों को पेश करती है सब कुछ उस पर निर्भर करता है. कुल मिलाकर जनता उम्मीद कर रही है कि सोमवार से कालेधन की बिल्ली झोले से बाहर आना शुरु हो जायेगी.

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