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सूखे के खिलाफ़ सामाजिक संगठन

भोपाल | समाचार डेस्क: चार बड़े सामाजिक संगठनों ने सूखे के खिलाफ़ आपसी गोलबंदी को रजामंदी दी है. अब यह चारों सामाजिक संगठन मिलकर सूखाग्रस्त इलाकों में ‘जल-हल यात्रा’ करेंगे. इसका उद्देश्य सूखे के खिलाफ़ जन आंदोलन खड़ा करना है जिसके लिये लोगों में चेतना फैलाई जायेगी. देश का बड़ा हिस्सा सूखे की विभीषिका झेल रहा है, सरकारों की तमाम योजनाओं के बावजूद प्रभावितों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. लिहाजा, देश के चार बड़े सामाजिक संगठनों ने गोलबंद होकर उन इलाकों तक पहुंचने की रणनीति बनाई है, जो समस्या ग्रस्त है.

ये संगठन सरकार की योजनाओं और अभी हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सरकारों को दिए गए निर्देशों से गांव और किसानों को अवगत कराने के लिए ‘जल-हल यात्रा’ निकाल रहे हैं. इस यात्रा के जरिए सूखा प्रभावित इलाकों की जमीनी हकीकत को भी जाना जाएगा.

ज्ञात हो कि 10 राज्यों के सूखा को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने सख्त रुख अपनाया हुआ है और केंद्र व राज्य सरकारों को बेहतर प्रबंधन के निर्देश दिए हैं. साथ ही कहा है कि गरीबों को राशन, बच्चों को मध्याह्न् भोजन, रोजगार, पीने के पानी आदि उपलब्ध कराने में किसी तरह की कोताही न बरती जाए और धन की भी कमी न आने दी जाए.

बताना लाजिमी होगा कि गांव और किसान के लिए केंद्र सरकार द्वारा अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, नहर व खेत को पानी, वॉटर शेड, जल स्रोतों की मरम्मत व संरक्षण, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी मिशन, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन जैसी कई योजनाएं प्रमुख हैं, उसके बावजूद गांव के हालात नहीं सुधरे हैं.

सरकारी योजनाओं की जानकारी लेने और उन्हें देने तथा सर्वोच्च न्यायालय ने जो सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए सरकारों को जो हिदायत दी है, उससे अवगत कराने के मकसद से चार संगठन ‘जल-हल यात्रा’ शुरू कर रहे हैं. इस यात्रा के जरिए सूखा और अकाल की स्थिति से जूझ रहे गांव के लोगों को हालात से लड़ने का संबल प्रदान करते हुए योजनाओं का लाभ लेकर आगामी मानसून में पानी को रोकने के लिए मानसिक रूप से तैयार करने की कोशिश होगी.

जल-जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने सोमवार को कहा कि स्वराज अभियान, एकता परिषद, नेशनल एलॉयंस ऑफ पीपुल्स मूवमेंट और जल बिरादरी मिलकर इस माह से तीन सूखा प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा करने जा रहे हैं.

उन्होंने बताया कि यात्रा की शुरुआत 21 मई को मराठवाड़ा से होगी और वहां के विभिन्न हिस्सों में 25 मई तक रहेगी. इसके बाद बुंदेलखंड में यह यात्रा 27 मई से 31 मई तक चलेगी और दो से छह जून तक तेलंगाना में यह यात्रा होगी.

जिन चार सामाजिक संगठनों ने गोलबंदी की है, उनका प्रभाव अपने अपने क्षेत्रों में है. स्वराज अभियान जिसका नेतृत्व योगेंद्र यादव कर रहे हैं, वह सूखा की स्थिति पर लड़ाई लड़ रहा है.

एकता परिषद के मुखिया पी.वी. राजगोपाल हैं, जो अरसे से आदिवासी हित और जमीन के लिए संघर्ष करते आ रहे हैं. इसी तरह नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर और जलपुरुष राजेंद्र सिंह का भी एनएपीएम से नाता है. लिहाजा, इन संगठनों से जुड़े लोगों की समाज के विभिन्न वर्गो में पहुंच है और वे अपने स्तर से समाज को जगाएंगे.

सिंह ने आगे बताया कि इस यात्रा का मूल मकसद सूखा प्रभावित लोगों से जानकारी लेना और देना है. उन्हें यह बताना है कि सर्वोच्च न्यायालय ने उनके लिए सरकारों को किस तरह के निर्देश दिए हैं, उसके साथ यह भी देखा जाएगा कि वास्तव में इन निर्देशों पर कितना अमल हो रहा है.

देश में संभवत : पहली बार हुई चार बड़े सामाजिक संगठनों की गोलबंदी समाज को उनके हक के प्रति जागृत करने में अहम भूमिका निभा सकती है, वहीं उन सरकारों के लिए यह सुखद संदेश नहीं है, जो सूखे को राजनीतिक रंग देकर अपने लिए ‘सुरक्षा कवच’ हासिल कर बचती रही हैं.

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