देश विदेश

सेज: रोजगार सृजन में फेल

नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: भारत में सेज से रोजगार नहीं बढ़ सका है. इसे भारतीय परिस्थितियों में फेल माना जा सकता है. गौरतलब है कि वर्ष 2013-14 में देश के सेज अर्थात् विशेष आर्थिक क्षेत्रों में 2.96 लाख करोड़ रुपयों का निवेश हुआ जबकि इसके बदले में 121 करोड़ वाली जनसंख्या वाले हमारे देश में महज 0.10 फीसदी लोगों को ही रोजगार मिल पाया है. इसकी जानकारी बुधवार को राज्यसभा में वाणिज्य और उद्योग राज्‍यमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा दिये गये लिखित उत्तर से मिलती है.

ज्ञात्वय रहे कि हमारे देश में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और स्थायित्व लाने तथा रोजगार पैदा करने उद्देश्य से विशेष आर्थिक क्षेत्रों सेज स्थापित किये जाते हैं. जून 2005 में विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम 2005 को लागू किया गया और सेज नियम-2006 भी लाए गए. राज्यसभा में मंत्री द्वारा दी गई जानकारी से जाहिर है कि रोजगार देने के मामले में सेज पूरी तरह से असफल रहें हैं.

राज्यसभा में दी गई जानकारी पर गौर करने से पता चलता है कि वर्ष 2013-14 में सेज में 2लाख 96हजार 663 करोड़ रुपयों का निवेश किया गया था. यह हमारे देश के सकल घरेलू उत्पादन के 2 फीसदी के करीब का है. इसके बावजूद इससे केवल 12लाख 83हजार 309 रोजगार मिले हैं जो जनगणना 2011 के हिसाब से महज 0.10 फीसदी का बैठता है.

इसी प्रकार से वर्ष 2012-13 में 2लाख 36हजार 717 करोड़ रुपयों का सेज में निवेश किया गया था इससे 10लाख 74हजार 904 लोगों को ही रोजगार मिल पाया है. वहीं, वर्ष 2011-2012 में सेज में 2लाख 01हजार 875 करोड़ रुपयों का निवेश हुआ था जिससे 8लाख 44हजार 916 लोगों को ही रोजगार के अवसर मिले थे.

आपकी जानकारी के लिये हम यहां बता दे कि सेज का घोषित उद्देश्य है अतिरिक्‍त आर्थिक गतिविधियों में बढावा देना, वस्‍तुओं और सेवाओं के निर्यात को बढावा देना, घरेलू और विदेश से निवेश को प्रोत्‍साहित करना, रोजगार के अवसर पैदा करना तथा बुनियादी सुविधाओं का विकास करना.

राज्यसभा में पेश किये गये सरकारी आकड़े चीख-चीखकर बता रहें हैं कि कम से कम रोजगार के मामले में तो सेज परियोजना पूरी तरह से फ्लाप रही है. इसमें जिस मात्रा में निवेश किया गया उसकी तुलना में रोजगार के अवसर यहां से उतपन्न नहीं हुए हैं. यह अलग बात है कि सेज के नाम पर उद्योगपतियों को कई तरह की रियायते दी जाती हैं.

यह जानना दिलचस्प होगा कि सेज को हमारे देश में शुरु करते समय दावें किये जा रहें थे कि इससे देश का आर्थिक विकास तेज होगा. आकड़े बताते हैं कि सेज रोजगार विहीन विकास का घोतक हैं, जिसमें विकास तो होता है परन्तु देश के नौजवानों को नौकरी नहीं मिल पाती है. अब भला ऐसे विकास से किसका भला होने जा रहा है इसे आम समझ सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!