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दूसरे आपातकाल की संभावना नहीं

नई दिल्ली | एजेंसी: कुलदीप नैयर का कहनुा है कि देश में दूसरे आपातकाल की संभावना नहीं है. अनुभवी पत्रकार एवं राजनीतिक टिप्पणीकार कुलदीप नैयर का कहना है कि देश की जनता अब अधिक सतर्क हो गई है और संविधान में बदलाव के बाद अब देश में दूसरा आपातकाल लगने की संभावना नहीं है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इंदिरा गांधी के शासन में लगाए गए आपातकाल के उस दौर से वंशवाद वाली राजनीति नहीं करने का सबक सीख लेना चाहिए.

वर्ष 1975-77 में देश में लगाए गए आपातकाल के दौरान जेल में समय बिता चुके नैयर ने कहा, “देश की व्यवस्था अब भी सत्तारूढ़ पार्टी की साख पर निर्भर है, जबकि लोकसभा में आनुपातिक प्रतिनिधित्व होना चाहिए ताकि सदन में विपक्ष की भी सशक्त भूमिका हो.”

नैयर ने एक साक्षात्कार कहा, “लोकसभा में कम से कम 50 फीसदी सीटों पर आनुपातिक प्रतिनिधित्व होना चाहिए. हम अब भी सत्तारूढ़ पार्टी और प्रधानमंत्री की मर्जी पर निर्भर हैं. यदि आनुपातिक प्रतिनिधित्व हुआ तो विपक्ष भी मजबूत होगा.”

नैयर एक वरिष्ठ और अनुभवी पत्रकार हैं और कई किताबें लिख चुके हैं. उन्होंने कहा, “देश ने 25 जून, 1975 से लेकर 21 मार्च, 1977 तक के आपातकाल में सबक सीखा है. उस समय एक लाख से ज्यादा लोगों को जेल में बंद किया गया था. लोगों से नागरिक अधिकार छीन लिए गए थे और प्रेस पर सेंसर लगा दिया गया था.”

यह पूछे जाने पर कि यदि आपातकाल के बाद कांग्रेस ने पार्टी में बदलाव लाए होते तो स्थिति क्या होती, नैयर ने कहा कि कांग्रेस अब भी वंशवाद में फंसी हुई है और यही बात भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में काम कर रही है.

नैयर ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त भी रह चुके हैं. उन्होंने कहा, “जब तक वे वंशवाद से बाहर नहीं निकलेंगे, क्या हो सकता है? सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी, फिर उनकी बेटी प्रियंका गांधी. राजनीतिक वंशवाद अब एक सामंतवादी मुद्दा है. यह लोकतंत्र के साथ नहीं चल सकता. कांग्रेस को भी आपातकाल से सबक सीखना चाहिए था कि लोकतंत्र में राजनीतिक वंशवाद अच्छा नहीं होता है.”

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