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मुफ्ती सईद राजनीति जिनका जुनून

जम्मू | समाचार डेस्क: युवा अवस्था से ही राजनीति मुफ्ती मुहम्मद सईद का जुनून रहा है जिसकी बदौलत वह इस स्थान तक पुंचे हैं. मुफ्ती मुहम्मद सईद ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस से उन दिनों की थी जब कश्मीर में शेख अब्दुल्ला की तूती बोली जाती थी. मुफ्ती मुहम्मद सईद ने जम्मू एवं कश्मीर में दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. सईद में राजनीति के प्रति जुनून किशोरोवस्था में उसी समय पैदा हो गया था, जब उन्होंने कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री बख्शी गुलाम मोहम्मद से 1950 के मध्य में अपनी उच्च शिक्षा में वित्तीय मदद के लिए मुलाकात की थी.

सईद के पिता मुफ्ती गुलाम मुहम्मद दक्षिणी कश्मीर के बिजबेहरा गांव में मौलवी थे. उनकी कमाई का जरिया शिष्यों से मिलने वाला दान और बच्चों को धार्मिक शिक्षा देने से मिलने वाली धनराशि थी.

परिवार में सईद पहले व्यक्ति थे, जो औपचारिक रूप से शिक्षा ग्रहण कर रहे थे और उन्हें उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय मदद की जरूरत महसूस हुई. इसलिए उन्होंने श्रीनगर में बख्शी के कार्यालय में उनसे मुलाकात की.

उनके एक करीबी दोस्त ने कहा, “उस दिन कुछ हुआ था.”

मित्र ने बताया कि बख्शी से मिलने बड़ी संख्या में लोग गए थे. मुफ्ती ने सोचा कि क्या उनके जीवन में भी कभी ऐसा मौका आएगा, जब इतने लोग उनसे मिलने आएंगे.

सईद ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से परास्नातक किया और फिर वहीं से कानून की डिग्री ली.

जब वह कश्मीर लौटे, तब उन्होंने अपने राजनीति के सपने को महसूस किया.

सईद का जन्म अनंतनाग जिले के बिजबेहरा गांव में 12 जनवरी, 1936 को हुआ था और वह अभी भी राज्य के विकास में बख्शी के योगदान के लिए उन्हें आदर के साथ याद करते हैं.

इस दौरान सईद ने सबकी सुनने और उसके बाद खुद से निर्णय लेने की आदत भी विकसित की.

उनके एक अन्य मित्र ने कहा, “उनके राजनीतिक कॅरियर में उतार-चढ़ाव आया, लेकिन उन्होंने बुरे और अच्छे दिन से खुद को अप्रभावित रखा.”

सईद ने राज्य में कांग्रेस पार्टी का उस वक्त गठन किया, जब भारत समर्थक पार्टी का सदस्य होना और शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की नेशनल पार्टी का विरोध करना पाप माना जाता था.

अनंतनाग शहर के अब्दुल रहमान ने कहा, “लेकिन उन्होंने शेख अब्दुल्ला का मुकाबला किया.”

सईद जी.एम.सादिक के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में 1967 में कनिष्ठ मंत्री बने.

1989 में सईद वी.पी.सिंह के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में गृह मंत्री बनने वाले पहले मुस्लिम नेता रहे.

उस समय कश्मीर में आतंकवाद अपनी जड़े जमा रहा था. इस वजह से आतंकवादियों ने सईद की बेटी रूबिया सईद का श्रीनगर में अपहरण कर लिया था.

उसे जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के सात सदस्यों की रिहाई के बदले में छोड़ा गया था.

1999 में सईद ने अपने बड़ी बेटी महबूबा मुफ्ती के सहयोग से पीडीपी का गठन किया.

उनकी पार्टी ने 2002 के विधानसभा चुनाव में 16 सीटें जीती थी और सईद कांग्रेस के सहयोग से बनी गठबंधन सरकार में तीन साल तक मुख्यमंत्री रहे थे.

2008 में पीडीपी ने 21 सीटें जीतीं, लेकिन इसे विपक्ष में बैठना पड़ा, क्योंकि कांग्रेस ने नेशनल कांफ्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली थी.

पिछले आम चुनाव में कश्मीर घाटी की सभी तीन लोकसभा सीटें जीतने के बाद यह आमतौर पर महसूस किया जाने लगा था कि पीडीपी पिछले वर्ष नवंबर-दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में 40 सीटों के करीब पहुंच जाएगी.

00पीडीपी 28 सीटों के साथ सबसे

बड़ी पार्टी के रूप में तो उभरी, लेकिन उसके पास अकेले सरकार बनाने लायक सीट संख्या नहीं थी. भाजपा को 25 सीटें हासिल हुई थीं, और दोनों दलों के बीच दो महीने से भी अधिक समय तक चली बातचीत के बाद अंतत: दोनों पार्टियां राज्य में मिलकर सरकार बनाने को सहमत हो गईं.

सईद के सहयोगियों का कहना है कि वह जम्मू एवं कश्मीर से भ्रष्टाचार उखाड़ फेंकने के लिए संकल्पित हैं और कश्मीर को एक पारदर्शी सरकार देंगे.

सईद ने कहा, “मैं नहीं मानता कि हमारे जैसे किसी कठिन राज्य में शासन के गंभीर कामकाज को निपटाने में कोई कठिनाई है.”

उन्होंने कहा, “सबकुछ उचित और तर्कसंगत ढंग से सुलझाया गया है. यह कोई सवाल नहीं है कि मैं छह वर्ष के लिए मुख्यमंत्री बना हूं. वास्तविक प्रश्न है शांति, प्रगति और सम्मान सुनिश्चित करना.”

महबूबा और रूबिया के अलावा सईद की एक अन्य बेटी महमूदा भी हैं. उनके पुत्र मुफ्ती तसादुक हॉलीवुड में सिनेमाटोग्राफर हैं. सईद की शादी पीरों के एक परिवार में हुई थी. उनके साले सरताज मदनी पिछली विधनसभा के उपाध्यक्ष थे.

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