रायपुर

फ्रीहोल्ड होंगी आरडीए की कॉलोनियां

रायपुर | विशेष संवाददाता: रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) की आवासीय योजनाओं को फ्रीहोल्ड करने का रास्ता साफ हो गया है. छत्तीसगढ़ विधानसभा ने इसके लिए राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियम को पारित कर दिया है. अब छतीसगढ़ भूमि धारण (विधिमान्यकरण) अधिनियम 2013 का छत्तीसगढ़ राजपत्र में प्रकाशन होते ही यह लागू हो जाएगा.

दरअसल 30 साल पहले आरडीए ने किसानों से विभिन्न आवासीय योजनाओं के लिए किसानों से 325 एकड़ भूमि खरीदी थी और कालोनी बसाई थी लेकिन इसका नामांतरण नहीं कराया गया था जिसके चलते जब राज्य सरकार ने फ्रीहोल्ड करने का निर्णय लिया तो आरडीए इस जमीन का मालिकाना हक देने की स्थिति में नहीं था.

अब आरडीए ने इस नियम के तहत इस 325 एकड़ भूमि को विधिवत अपने नाम पर दर्ज कराने के लिए राज्य शासन को पत्र भेजकर इसे राजपत्र में प्रकाशन कराने का अनुरोध किया गया है. इसके बाद प्राधिकरण द्वारा आवासीय संपत्तियों को फ्रीहोल्ड करना शुरु किया जाएगा.

प्राधिकरण के अध्यक्ष सुनील कुमार सोनी ने बताया कि आवास एवं पर्यावरण विभाग, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा तैयार किए गए अधिनियम के अनुसार प्राधिकरण की उन सभी आवासीय योजनाएं की भूमि जो राजस्व रिकार्डों में दर्ज नहीं हो सकी थी वे अब इस अधिनियम से लागू होने के बाद नियमतः राजस्व रिकार्ड में दर्ज की जा सकेंगी.

उन्होंने बताया कि 30 साल पहले पहले जब प्राधिकरण की योजनाएं बनी थी तब भूमि का अर्जन विधिवत ढ़ंग से नहीं हुआ था. भूमि का मुआवाजा तो दे दिया गया और उसका पांच और दस रुपए के स्टॉम्प पेपर पर लिखा–पढ़ी कर ली गई और ऐसा मान लिया गया कि भूमि प्राधिकरण की हो गई.

प्राधिकरण ने फिर ऐसी सभी भूमियों पर अपनी योजनाएं तो बना ली लेकिन प्रक्रिया के अनुसार तहसील के राजस्व रिकार्ड में भूमि दर्ज नहीं हो सकी. इसलिए शैलेन्द्रनगर, कटोरातालाब, देवेन्द्रनगर, जलविहार, राजेन्द्रनगर जैसी कई आवासीय योजनाओं के हजारो आवासीय भूखंड और आवासीय भवन फ्रीहोल्ड नहीं हो सके.

फ्रीहोल्ड का अर्थ है कि आवासीय भूखंड के धारक को भविष्य में प्राधिकरण को कोई भूभाटक नहीं देना होगा और न ही उसे अपने भूखंड के विक्रय करने के लिए किसी प्रकार की अनुमति लेनी होगी. फ्रीहोल्ड होने के बाद भूखंडधारियों भूभाटक और विक्रय की अनुमति लेने की औपचारिकता से पूरी तरह से मुक्त हो जाएंगे.

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