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आरबीआई ने ब्याज दरें यथावत रखी

मुंबई | एजेंसी: आरबीआई ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2014-15 के लिए अपनी तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखा. इसके कारण आवास, वाहन तथा अन्य ऋणों के लिए चुकाई जाने वाली मासिक किश्तें भी यथावत बनी रहेंगी. रिजर्व बैंक की दरों में बदलाव नहीं होने का मतलब है कि रियल्टी, वाहन तथा अन्य पूंजी साध्य उद्योगों को अभी राहत नहीं मिलने जा रही है.

वाहन तथा कई अन्य कारोबारी क्षेत्र ऊंची ब्याज दर और महंगे ईंधन के कारण बिक्री बढ़ाने में काफी मुश्किलों का सामना कर रही हैं. ऊंची दरों के कारण उपभोक्ता बाजार से किनारा कर रहे हैं.

रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने अपने बयान में कहा, “रिजर्व बैंक महंगाई दरों पर नजर टिकाए रखेगा और जनवरी 2015 तक उपभोक्ता महंगाई दर को आठ फीसदी तक लाने तथा जनवरी 2016 तक छह फीसदी तक लाने के लिए महंगाई कम करने के रास्ते पर चलता रहेगा.”

उन्होंने कहा, “2015 के शुरू में महंगाई दर करीब आठ फीसदी पर पहुंच सकती है, इसलिए यह जरूरी है कि महंगाई घटाने के रास्ते पर चलते रहा जाए.”

रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को बिना किसी परिवर्तन के आठ फीसदी रखने का निर्णय लिया. इसी दर पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को ऋण मुहैया कराता है.

रिवर्स रेपो दर को सात फीसदी पर बरकरार रखा गया. वाणिज्यिक बैंक अपनी अतिरिक्त राशि को अल्पावधि के लिए जिस दर पर रिजर्व बैंक में रखते हैं, उसे रिवर्स रेपो दर कहा जाता है.

नकद आरक्षी अनुपात भी चार फीसदी पर अपरिवर्तित रखा गया है. सीमांत स्थायी सुविधा दर और बैंक दर को भी नौ फीसदी पर यथावत रखा गया.

सांविधिक तरलता अनुपात में 0.5 फीसदी की कटौती करते हुए इसे 22.0 फीसदी रखा गया है, जो नौ अगस्त, 2014 से प्रभावी होगा.

बाजार के अधिकतर जानकारों का अनुमान था कि रिजर्व बैंक दरों में बदलाव नहीं करेगा.

बाजार ने एसएलआर कटौती के जरिए अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ाने के रिजर्व बैंक के फैसले का स्वागत किया, लेकिन साथ ही कहा कि महंगाई दर में गिरावट और विकास में तेजी लाने की जरूरत को देखते हुए मुख्य दरों में भी कटौती पर विचार किया जाना चाहिए.

भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, “ऐसे समय में जब औद्योगिक विकास धीमा है, उपभोक्ता महंगाई दर घट रही है और मानसून में सुधार होने से महंगाई बढ़ने का जोखिम धीरे-धीरे कम हो रहा है, तब रिजर्व बैंक को इस स्थिति का लाभ उठाकर ब्याज दर में कटौती करनी चाहिए थी.”

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने कहा कि आरबीआई के बयान से इस बात की पुष्टि होती है कि अर्थव्यवस्था में तेजी आनी शुरू हो चुकी है.

फिक्की के अध्यक्ष सिद्धार्थ बिड़ला ने कहा, “एसएलआर में कटौती से बाजार में तरलता बढ़ेगी. उम्मीद है कि इसके बाद औद्योगिक क्षेत्र को दिए जाने वाले कर्ज की दर में भी कटौती होगी.”

परामर्श कंपनी केपीएमजी ने कहा कि एसएलआर कटौती से बाजार में 30 हजार करोड़ रुपये की तरलता बढ़ेगी और इसका अधिकांश हिस्सा विनिर्माण क्षेत्र को जाएगा.

देश में केपीएमजी के साझेदार शाश्वत शर्मा ने कहा, “आरबीआई ने काफी सतर्कता पूर्ण नजरिया अख्तियार किया है क्योंकि रूस की सीमा पर और मध्य पूर्व, इराक और लीबिया में तनाव व्याप्त है और देश में महंगाई का भी जोखिम बना हुआ है.”

दरों में कटौती नहीं करने का शेयर बाजार ने भी स्वागत किया. बंबई स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 184.85 अंकों की तेजी के साथ 25,908.01 पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 62.90 अंकों की तेजी के साथ 7,746.55 पर बंद हुआ.

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