बिलासपुर

पहाड़ के नीचे रसूखदारों का कब्जा

रतनपुर | उस्मान कुरैशी: धोबिया पहाड़ के नीचे बड़ी बड़ी आलीशान भवनें बन गए है. अब बची खाली जमीनों पर ग्रामीणों ने कब्जा जमाना शुरु कर दिया है.

ग्रामीणों के कब्जे से विवाद की स्थिति बन गई है. विवादित जमीन पर हजारों की संख्या में सागौन के पेड़ लगे हुए है. इन पेड़ों पर अवैध कटाई का संकट मंडराने लगा है. भाजपा नेत्री के पति ठेकेदार सुभाष वर्मा ने विवादित जमीन को निजी नंबरी जमीन बताया है. ग्रामीण पूरे मामले में निष्पक्ष्ता पूर्वक जांच की मांग कर रहे है.

बिलासपुर जिले के रतनपुर नगर पंचायत से लगी धोबिया पहाड़ के नीचे का हिस्सा ग्राम पंचायत नवागांव गिरजाबंद का क्षेत्र आता है. धोबिया पहाड़ के नीचे ही ग्राम पंचायत का आवास पारा भी बसा हुआ है. पहाड़ के नीचे काफी हिस्से में सागौन का प्लांटेशन भी है. प्लांटेशन में हजारों की तादात में सागौन के आठ साल पहले लगाए गए पेड़ मौजूद है. बीत साल भी वन विभाग ने घोबिया पहाड़ के काफी हिस्से में प्लांटेशन का काम कराया था. पहाड़ी के नीचे के काफी हिस्से में अवैध रूप से पक्के निर्माण भी हो चुके है.

नवागांव के ग्रामीणों में बड़े पैमाने पर हो रहे निर्माण व बाहरी लोगों के कब्जे से तीखी नाराजगी है. ग्रामीणों का आरोप है कि शहर के रसूखदार लोग गांव की जमीनों पर अवैध कब्जा कर रहे है. मंगलवार की सुबह बड़ी संख्या में ग्रामीण धोबिया पहाड़ के नीचे कह खाली जमीनों पर कब्जा करने पहुंचे थे. इसी जमीन को समतल करने नगर पंचायत रतनपुर का जेसीबी भी पहुंचा था. जो लोगों के जमावड़े को देखकर भाग गया. नगर पंचायत की जेसीबी कैसे पहुंची जांच का विषय है. रतनपुर वन परिक्षेत्र के रेंजर श्री पंडा भी काले रंग की सरकारी बोलेरो वाहन में अपने अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे और बिना रूके वहां से आगे बढ़ गए.

वार्ड 14 के पंच और निगरानी समिति के सदस्य पुन्नी लाल यादव कहते है कि ये सारी जमीनें ग्राम पंचायत की है. सरकारी जमीनों में अवैध कब्जा हो रहा है. इनका आरोप है कि सुभाष वर्मा ने इनको जेल भिजवा देने की धमकी दी है. उन्होने प्लांटेशन के सागौन को काटकर जमीन पर कब्जा करने के लिए हमें बीस तीस हजार रूपए देने का आफर भी दिया है. पुन्नीलाल सवाल उठातें है कि गांव की जमीनों पर बाहर के लोग आकर कब्जा कर लेंगे तब गांव वाले कहां रहेंगे.

वे कहते है कि पहले इकबाल भाई की जमीन सड़क के दूसरी तरफ बताते थे. अब ये दूसरी तरफ कैसे हो गया. अकेला पटवारी आके चुपचाप जमीनों को चिन्हांकित कर चला जाता है. गांव वालों निगरानी समिति के लोगों को खबर तक नही होती. इसी कारण अब पूरे गांव वाले इन जमीनों पर काबिज हो रहे हैं. वे मांग करते है कि गांव वालों को पूरा पुराना रिकार्ड दिखाया जाय . अगर किसी के नाम पर जमीनें हुई तो कब्जा आसानी से छोड़ दिया जाएगा.

गांव की धनईयां बाई धीवर कहती है कि गांव कर खाली जमीनों पर हमने कब्जा किया है. अब ‘ाहर के लोग आकर कह रहे है कि जमीन हमारे नाम पर है हमने जमीन खरीद ली है. पहले भी जमीन के बेचने का विरोध किए थे तब गांव के गौटिया ने कहा कि जमीन मेरे नाम पर है. और उसने जमीन सुभाष वर्मा को बेच दी.

धनईया का आरोप है कि सुभाष वर्मा बड़ी बड़ी मकानें बना रहे है. और बेच रहे है. हम इधर की सारी जमीनों को सरकारी समझतें थे. हम कहां रहेंगे हमारे छोटे छोटे बच्चे है. वे हरे भरे पेड़ पौधों को काटने की बात करते है. वन विभाग ने पौधे लगवाएं है. ऐसे में कौन जेल जाने के लिए पौधे काटेगा.

ठेकेदार सुभाष वर्मा के मुताबिक इस इलाके में उनके परिवार की 25 एकड़ जमीनें है. विवाद वाला रकबा आठ एकड़ का है. पहाड़ के नीचे खसरा नंबर एक की आठ एकड़ जमीन है. इसमें दो एकड़ कल्याणी वर्मा दो एकड़ तपन घोष, दो एकड़ इकबाल करीम का और दो एकड़ हमारे नाम पर है. आठ एकड़ रकबे वाले जमीन के कुछ हिस्से में हमने आठ साल पहले 72 सौ सागौन के पेड़ भी लगाए थे.

श्री वर्मा कहते सवाल उठातें है कि पटवारी जमीन की नाप करने आते है तो गांव वाले क्यों नही आते. नाप के लिए इस्तेहार जारी हुआ है. कोटवार ने पूरे गांव में मुनादी की है. गांव वालों के दस्तखत है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!