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आरटीआई में संशोधन के खिलाफ प्रधानमंत्री को याचिका

नई दिल्ली | एजेंसी : संसद के आगामी सत्र में सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम में संभावित संशोधन के खिलाफ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ऑनलाइन याचिका सौंपने के लिए
अभियान चलाया जा रहा है. नेशनल कैम्पेन फॉर पीपुल्स राइट टू इंफॉरमेशन (एनसीपीआरआई) के समन्वयक भरत डोगरा ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा है, “हमें सूचना मिली है कि सरकार आरटीआई
अधिनियम में संशोधन करने के बारे में सोच रही है, ताकि राजनीतिक दलों को इस अधिनियम के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण बताने वाले केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेश को निष्प्रभावी ठहराया जा
सके.”

डोगरा ने कहा, “इस संशोधन से उनके कमजोर होने की संभावना है, जो सरकारी प्रतिष्ठानों में भ्रष्टाचार तथा पद के दुरुपयोग से संबंधित मामलों के खिलाफ लड़ाई के लिए आरटीआई का इस्तेमाल करते हैं.”

उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में आरटीआई अधिनियम के क्रियान्वयन के बाद कार्यकर्ताओं ने पारदर्शिता एवं जवाबदेही में कमी लाने के सरकारी प्रतिष्ठानों के प्रयासों का विरोध किया है.

आरटीआई कार्यकर्ता शैलेश गांधी ने कहा है, “वर्ष 2009 में जब आरटीआई अधिनियम में संशोधन प्रस्तावित किए गए थे तो सरकार ने संसद को आश्वस्त किया था कि गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) तथा
सामाजिक कार्यकर्ताओं से किसी भी संशोधन पर विचार-विमर्श किया जाएगा. इस कारण हम सरकार से उम्मीद करते हैं कि इस कानून में संशोधन पर विचार करने से पहले व्यापक सार्वजनिक बहस की जाए.”

याचिका पर अब तक 250 लोगों के हस्ताक्षर हुए हैं. इसकी शुरुआत एनसीपीआरआई ने वेबसाइट चेंज डॉट ओआरजी पर की है.

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