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भारत एक उभरती शक्ति: प्रणब

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को कहा कि आज भारत एक उभरती शक्ति है. भारत एक ऐसा देश है जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवोन्मेषण और स्टार्ट-अप में तेजी से उभर रहा है और इसकी आर्थिक सफलता विश्व के लिए एक कौतूहल बन गई है. राष्ट्रपति ने 67वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा, “वर्ष 2015 चुनौतियों का वर्ष रहा है. इस दौरान विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी रही. वस्तु बाजारों पर असमंजस छाया रहा. संस्थागत कार्रवाई में अनिश्चितता आई. ऐसे कठिन माहौल में किसी भी राष्ट्र के लिए तरक्की करना आसान नहीं हो सकता. भारतीय अर्थव्यवस्था को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. निवेशकों की आशंका के कारण भारत समेत अन्य उभरते बाजारों से धन वापस लिया जाने लगा, जिससे भारतीय रुपये पर दबाव पड़ा. हमारा निर्यात प्रभावित हुआ. हमारे विनिर्माण क्षेत्र का अभी पूरी तरह उबरना बाकी है.”

उन्होंने कहा कि “2015 में हम प्रकृति की कृपा से भी वंचित रहे. भारत के अधिकतर हिस्सों में भीषण सूखा पड़ा, जबकि अन्य हिस्से विनाशकारी बाढ़ की चपेट में आ गए. मौसम के असामान्य हालात ने हमारे कृषि उत्पादन को प्रभावित किया. ग्रामीण रोजगार और आमदनी पर बुरा असर पड़ा.”

राष्ट्रपति ने कहा, “हम इन्हें चुनौतियां कह सकते हैं, क्योंकि हम इनसे अवगत हैं. समस्या की पहचान करना और इसके समाधान पर ध्यान देना एक श्रेष्ठ गुण है. भारत इन समस्याओं को हल करने के लिए कार्यनीतियां बना रहा है और उनका कार्यान्वयन कर रहा है.”

उन्होंने कहा, “हमारे लोकतंत्र ने जो हासिल किया है, हमें उसकी भी सराहना करनी चाहिए. बुनियादी ढांचे, विनिर्माण, स्वास्थ्य, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में निवेश से, हम अधिक विकास दर प्राप्त करने की बेहतर स्थिति में हैं, जिससे हमें अगले 10-15 वर्षो में गरीबी मिटाने में मदद मिलेगी.”

प्रणब ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश-विदेश में बसे सभी लोगों के साथ ही सशस्त्र सेनाओं, अर्ध-सैनिक बलों तथा आंतरिक सुरक्षा बल के सदस्यों को भी बधाई दी. उन्होंने वीर सैनिकों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने भारत की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने और विधि शासन को कायम रखने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया है.

आतंकवाद का इलाज
मुखर्जी ने कहा, “आतंकवादी व्यवस्था को कमजोर करना चाहते हैं. यदि अपराधी सीमाएं तोड़ने में सफल हो जाते हैं तो हम अराजकता के युग की ओर बढ़ जाएंगे. देशों के बीच विवाद हो सकते हैं और जैसा कि सभी जानते हैं कि जितना हम पड़ोसी के निकट होंगे, विवाद की संभावना उतनी अधिक होगी. असहमति दूर करने का एक सभ्य तरीका संवाद है, जो कायम रहना चाहिए. परंतु हम गोलियों की बौछारों के बीच शांति पर चर्चा नहीं कर सकते.”

उन्होंने कहा, “हमें पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण वार्ता के द्वारा अपनी भावनात्मक और भू-राजनीतिक धरोहर के जटिल मुद्दे सुलझाने का प्रयास करना चाहिए, और यह जानते हुए एक-दूसरे की समृद्धि में विश्वास जताना चाहिए कि मानव की सर्वोत्तम परिभाषा दुर्भावनाओं से नहीं, बल्कि सद्भावना से दी जाती है. मैत्री की बेहद जरूरत वाले विश्व के लिए हमारा उदाहरण अपने आप एक संदेश का कार्य कर सकता है.”

प्रदूषण
राष्ट्रपति ने कहा कि “शहरों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है. जलवायु परिवर्तन अपने असली रूप में सामने आया, जब 2015 सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज किया गया. शहरी योजना के नवोन्मेषी समाधान, स्वच्छ ऊर्जा का प्रयोग और लोगों की मानसिकता में बदलाव के लिए सभी भागीदारों की सक्रिय हिस्सेदारी आवश्यक है.”

हिंसा, असहिष्णुता
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि अतीत के प्रति सम्मान राष्ट्रीयता का एक आवश्यक पक्ष है. उन्होंने कहा कि जब हिंसा की घृणित घटनाएं स्थापित आदर्शो पर चोट करती हैं तो उन पर उसी समय ध्यान देना होगा, और हिंसा, असहिष्णुता व अविवेकपूर्ण ताकतों से स्वयं की रक्षा करनी होगी. उन्होंने कहा, “हमारी उत्कृष्ट विरासत, लोकतंत्र की संस्थाएं सभी नागरिकों के लिए न्याय, समानता तथा लैंगिक और आर्थिक समता सुनिश्चित करती हैं.”

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