राष्ट्र

मीडिया से मिले मोदी

नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को भाजपा मुख्यालय में मीडिया कर्मियों से मिले. मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि वे कभी इसी भाजपा मुख्यालय में मीडिया कर्मियों के लिये चेयर लगवाया करते थे. अपने औपचारिक संबोधन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने एक-एक करके उपस्थित सभी मीडिया कर्मियों से अनौपचारिक ढ़ंग से भी मुलाकात की. प्रधानमंत्री मोदी ने मीडिया को स्वच्छ भारत अभियान पर लिखने तथा उसकी आलोचना करने के लिये धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि मीडिया से मिलकर उन्हें कई बार नई दृष्टि मिलती है.

नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह उनकी मीडिया से पहली अनौपचारिक मुलाकात थी. भाजपा मुख्यालय में हो रहे इस मुलाकात में पहले दो पंक्तियों में प्रमुख संपादक बैठे थे उसके बाद की पंक्तियों में सरकार तथा भाजपा बीट को कव्हर करने वाले रिपोर्टर बैठे थे. जाहिर है कि इस अनौपचारिक मुलाकात या दीपावली मिलन के माध्यम से भाई दूज के दिन, मीडिया को साधने का यह अर्ध सरकारी, अर्ध पार्टी आयोजन था. 2014 के लोकसभा के आम चुनाव में मोदी ने सोशल मीडिया का जमकर उपयोग किया था. बदलते जमाने के साथ बदल रहे भारतीय मीडिया की उन्हें बखूबी पहचान है इससे इंकार नहीं किया जा सकता है.

आज भी देश का एक बड़ा वर्ग टीवी तथा समाचार पत्रों पर आश्रित है. एक अनुमान के अनुसार भारत की आबादी का करीब 11-15 करोड़ ही सोशल मीडिया पर सक्रिय है ऐसे में लंबी पारी खेलने के लिये प्रधानमंत्री मोदी को परंपरागत मीडिया की भी जरूरत है.

वर्ष 2002 के बाद मीडिया का एक हिस्सा मोदी के विरोध में लिखने लगा. जिसमें वैचारिक प्रतिबद्धता के लोग ज्यादा रहें हैं. यहां पर इस बात का उल्लेख करना गैरवाजिब न होगा कि 2002 के गुजरात दंगों के बाद, 2005 में गुजरात के मुख्मंत्री नरेन्द्र मोदी को अमरीका आने का वीजा न देने वाला अमरीका 2013 से ही इस कोशिश में लगा हुआ था कि उनके साथ संबंधों को सामान्य किया जाये. उल्लेखनीय है कि किसी देश के किसी राज्य के प्रमुख को वीजा न देना एक बात है और उसी देश के शासनाध्यक्ष से दूरी बनाने में जमीन आसमान का फर्क है. सारी दुनिया के बाजारों पर राज करने का सपना देखने वाले अमरीकी प्रशासन ने मोदी के मामले में यू टर्न लिया तथा उनका रेड कॉर्पेट बिछाकर स्वागत किया.

भारत में स्थिति दूसरी है. मीडिया के एक वर्ग पर 2013 से आरोप लगता रहा है कि वह मोदीमय हो गया है. 2014 के आतिशी जीत के बाद तो प्रधानमंत्री मोदी मीडिया में रोज ही छाये रहने लगे. जाहिर सी बात है कि देश की जनता अपने प्रधानमंत्री को सबसे ज्यादा देखना-पढ़ना चाहती है.

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी विदेश यात्रा के समय किसी भी रिपोर्टर को अपने साथ नहीं लिया उसके बावजूद उनकी अमरीका यात्रा को कवर करने के लिये सबसे ज्यादा मीडिया कर्मी अमरीका पहुंचे थे. इन तमाम घटनाओं के बाद प्रधानमंत्री मोदी का मीडिया कर्मियों से दीपावली मिलन उनके दूरगामी रणनीति का एक हिस्सा है जिसमें उन्हें अपनी बात को बहुसंख्य जनता तक पहुंचाने के लिये मीडिया की जरूरत है. यह कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनके तथा मीडिया के बीच जमे बचे-खुचे बर्फ को तोड़ने की पहल की है.

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