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अब छत्तीसगढ़ में भी प्लास्टिक की सड़क

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ की पहली प्लास्टिक की सड़क अंबिकापुर में बनेगी.बरसात के बाद इसकी शुरुआत अंबिकापुर के भगवानपुर से होगी, जहां लगभग 400 मीटर सड़क बनाने की तैयारी है. इसके अलावा राज्य के दूसरे इलाकों में भी प्लास्टिक की सड़क बनाने की तैयारी शुरु की जा रही है.

असल में डामर और गिट्टी के साथ 5 से 15 प्रतिशत तक प्लास्टिक के ग्रेनुअल मिलाये जाते हैं. पहले तो अंबिकापुर में यह तय हुआ कि इसके लिये प्लास्टिक ग्रेनुअल बैंगलुरू से मंगाने की तायारी की गई. लेकिन बाद में तय किया गया कि इसके लिये शहर से ही प्लास्टिक और पॉलीथिन एकत्र किया जाये और उसका ही इस्तेमाल सड़क निर्माण में किया जाये.

इस दिशा में काम करते हुये भिट्ठीकला में शहर भर से पॉलीथिन एकत्र किया जा रहा है. हालांकि नगर-निगम का कहना है कि सड़क के निर्माण का काम बारिश के बाद ही शुरु होगा. लेकिन इस दौरान पॉलिथीन एकत्र करने का काम जारी रहेगा. इससे शहर को बड़ी मात्रा में यहां-वहां फैले पॉलिथीन से भी मुक्ति मिलेगी.

गौरतलब है कि इंडियन रोड कांग्रेस द्वारा प्लास्टिक कचरे के प्रयोग से सड़क बनाने की अनुमति प्रदान करने के बाद केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों को गावों में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में बनाई जाने वाली सड़कों में प्लास्टिक के इस्तेमाल करने के निर्देश दिए है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पहले से ही इस तकनीक को ग्रीन टेक्नोलोजी घोषित कर चुका है.

ग्रामीण मंत्रालय के सचिव एल सी गोयल ने सभी राज्यों को इस संबंध में पत्र लिख कर कहा है कि सड़क निर्माण में प्लास्टिक कचरे के प्रयोग से न केवल पर्यावरण को स्वच्छ रखने में मदद मिलेंगी बल्कि लागत में बचत भी होगी और मजबूत रोड बनेंगे.

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सड़क बनाने में बेकार प्लास्टिक, फ्लाई ऐश व कोल्ड मिक्स टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने का निर्दश दिया है.

सड़क निर्माण में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर सबसे पहले त्यागराज अभियांत्रिकी महाविद्यालय मदुरै के रसायनशास्त्र के प्रोफेसर आर माधवन ने काम किया था और कोई 10 साल पहले मदुरै में डेढ़ किलोमीटर सड़क बनाई थी. इसके बाद बैंगलुरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वासुदेवन, प्रोफेसर जुस्तो और प्रोफेसर वीरराघवन ने इस पर शोध किया तो फिर तो देश के अलग-अलग हिस्सों में प्लास्टिक युक्त सड़क बनाने का सिलसिला ही शुरु हो गया.

प्लास्टिक को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर इसमें असफाल्ट को मिश्रित किया जाता है. उसके बाद सड़क निर्माण के समय बिटुमेन मिला दी जाती है. अधिकांश सड़कों के निर्माण में 90 फीसदी तक बिटुमेन और 10 फीसदी प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है.

केके प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट नामक कंपनी ने तो अभी तक लगभग 10 हजार किलोमीटर प्लास्टिक युक्त सड़कें बनवाई हैं. जिन शहरों में प्लास्टिक युक्त सड़के हैं, उनमें कोलकाता, पुणे, बैंगलुरु, जमशेदपुर के अलावा हिमाचल जैसे राज्य शामिल हैं. जहां आम तौर पर सड़क बनाने में प्रति मीटर 325 रुपये तक का खर्च आया है.

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