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मुशर्रफ की वापसी फीकी

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने 5 साल बाद पाकिस्तान लौटने के बाद कहा है कि उनके सामने कई चुनौतियां हैं. सुरक्षा चुनौतियां हैं, कानूनी चुनौतियां है और राजनीतिक चुनौतियां हैं. लेकिन वे इन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं.

परवेज मुशर्रफ़ रविवार को एमिरेट्स की उड़ान से दुबई से कराची पहुंचे ताकि इसी साल मई में होने वाले आम चुनावों में हिस्सा ले सकें. हालांकि पाकिस्तानी राजनीति में मुशर्रफ की वापसी को लेकर कई चर्चायें थीं लेकिन उनकी वापसी का कुछ खास स्वागत नहीं हुआ. कहा जा सकता है कि उनकी वापसी फीकी रही. एयरपोर्ट पर भी मुशर्रफ के समर्थकों का वह हुजूम नज़र नहीं आया, जो 5 साल पहले उनके साथ हुआ करता था. राजनीतिक गलियारे में इस बात की ही चर्चा होती रही कि मुशर्रफ अब पाकिस्तानी राजनीति में अप्रासंगिक हो चुके हैं.

पाकिस्तान की सत्ता से हटने के साथ ही मुशर्रफ लंदन में स्वनिर्वासन की जिंदगी गुजार रहे थे. इससे पहले कई बार उन्होंने कहा था कि जल्दी ही पाकिस्तान लौटेंगे लेकिन प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण वे लगातार पाकिस्तान आना टाल रहे थे.

69 साल के परवेज मुशर्रफ को तालिबान ने धमकी थी कि मुशर्रफ को पाकिस्तान आने दो, हम उन्हें दोजख यानी नरक पहुंचाने को पूरी तरह तैयार हैं. तालिबानों की ओर से जारी किए गए वीडियो में कहा गया था कि इस्लाम के मुजाहिदीनों ने मुशर्रफ को नरक पहुंचाने के लिए एक खास दस्ता तैयार किया है. इस दस्ते में फिदायीन हैं, बंदूकधारी हैं, एक विशेष हमलावर टीम और एक बचाव टीम है.

मुशर्रफ के खिलाफ दो मामलों में गिरफ्तारी के वारंट जारी किए जा चुके थे. 2006 में बलोच नेता अकबर खान बुगटी की मौत और 2007 में पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के मामले में पुलिस को उनकी तलाश थी. लेकिन हाल ही में उन्हें अग्रिम जमानत मिली है, जिसके बाद वे पाकिस्तान लौटने के लिये राजी हुये.

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