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नागपुर में ओह माई गॉड

नागपुर | विशेष संवाददाता: इंकम टैक्स अपेलैट ट्राइब्यूनल ने कहा है कि हिंदू कोई धर्म नहीं है और भगवान के नाम पर किया गया खर्च धार्मिक खर्च नहीं कहा जा सकता. अक्षय कुमार की फिल्म ओह माई गॉड अगर आपने देखी हो तो आपके लिये इस मामले को समझना थोड़ा आसान होगा.

मामला नागपुर के एक मंदिर से जुड़ा हुआ है. जहां इंकम टैक्स अपेलैट ट्राइब्यूनल ने शिव मंदिर देवस्थान पंच कमिटी संस्थान को कहा कि हिन्दुत्व कभी भी कोई धर्म या समुदाय नहीं रहा है. ट्राब्यूनल ने कहा कि कई सारे समुदाय के लोग अलग-अलग तरीकों से अलग-अलग देवताओं को पूजते हैं. यहां तक कि हिन्दू जीवन शैली में इतनी आजादी है कि भगवान की पूजा करना भी जरूरी नहीं है.

नागपुर के इस शिव मंदिर को इंकम टैक्स कमिश्नर ने छूट देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि मंदिर ने 5 प्रतिशत से ज्यादा रकम धार्मिक गतिविधियों पर खर्च किया है. इस मामले को लेकर शिव मंदिर देवस्थान पंच कमिटी संस्थान ने इंकम टैक्स अपेलैट ट्राइब्यूनल में अपील की थी.

इस अपील पर सुनवाई करते हुये इंकम टैक्स अपेलैट ट्राइब्यूनल ने यह कहते हुये आवेदन को खारिज कर दिया कि भगवान शिव, हनुमान, मां दुर्गा की पूजा और मंदिर के रख-रखाव पर आया खर्च धार्मिक कार्यों में हुआ खर्च नहीं कहा जा सकता.

इंकम टैक्स अपेलैट ट्राइब्यूनल ने कहा कि धर्म यानी किसी सुपर ह्यूमन चीज़ पर विश्वास करके उसकी पूजा करना और मंदिर की ओर से ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया गया, जो यह साबित करता है कि मंदिर संस्थान धर्म का प्रचार कर रहा था. इसके बाद अब शिव मंदिर इंकम टैक्स अपेलैट ट्राइब्यूनल के फैसले की व्याख्या करते हुये अदालत में मामले को ले जाने पर विचार कर रहा है.

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