कलारचना

pk में गलत क्या है?

नई दिल्ली | मनोरंजन डेस्क: दिल्ली उच्च न्यायालय ने फिल्म ‘पीके’ को हिंदुओं की आस्था, विश्वास, देवताओं और पूजा-अर्चना का अपमान न मानते हुए उसके खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत को फिल्म ‘पीके’ में ऐसा कुछ भी गलत नहीं नजर आया जिसके आधार पर उसके खिलाफ जनहित याचिका की सुनवाई की जाये. इसीलिये फिल्म ‘पीके’ के खिलाफ दायर की गई जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया. दिल्ली उच्च न्यायालय के इस निर्णय से फिल्म ‘पीके’ का विरोध करने वाले को कानूनी सहारा न मिल सका.

उल्लेखनीय है कि कुछ संगठन फिल्म ‘पीके’ का विरोध कर रहें हैं. अभी हाल ही में फिल्म सेसर बोर्ड के सदस्य सतीश कल्याणकर ने खुलासा किया था कि उन्होंने उसके कुछ दृश्यों पर आपत्ति दर्ज करायी थी. उधर, दिल्ली उच्च न्यायालय का कहना है कि फिल्म में उन्हें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगा है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने फिल्म निर्देशक राजकुमार हिरानी की हालिया प्रदर्शित फिल्म ‘पीके’ के खिलाफ दायर जनहित याचिका बुधवार को खारिज करते हुए कहा कि आमिर खान अभिनीत इस फिल्म में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति आर. एस. एंडलॉ की खंडपीठ ने उस जनहित याचिका की सुनवाई करने से मना कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि फिल्म में हिंदुओं की आस्था, विश्वास, देवताओं और पूजा-अर्चना का अपमान किया गया है, इसलिए फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगना चाहिए.

खंडपीठ ने कहा, “फिल्म में गलत क्या है? हमने कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया है. हमें नहीं लगता कि याचिका का कोई अर्थ है.”

न्यायालय ने कहा कि वह बाद में याचिका पर विस्तृत आदेश पारित करेगी.

‘पीके’ के खिलाफ अपील करने वाले याचिकाकर्ता गौतम का तर्क है कि फिल्म में हिंदू देवताओं का मजाक बनाया गया है और फिल्म भगवान शिव के बारे में गलत संदेश देती है.

गौतम ने कहा, “हिंदू पूजा-अर्चना की फिल्म में बेहद अनुचित तरीके से आलोचना की गई है.”

इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल संजय जैन ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि ऐसा ही एक मामला पहले भी सर्वोच्च न्यायालय के पास आ चुका है, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया था.

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