राष्ट्र

आसान नहीं बिजली शुल्क में कटौती!

नई दिल्ली | एजेंसी: दिल्ली में बिजली बिल में कटौती उतना आसान नहीं है जितना आप सोच रही है. भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक जैसी संस्था के लागत अंकेक्षण के जरिए ही इस बात का पता लगाया जा सकता है कि दिल्ली में बिजली शुल्क में आधी कटौती की संभावना है या नहीं, जैसा कि आम आदमी पार्टी ने लोगों से वादा किया है.

दिल्ली में बिजली की खपत और वितरण के बारे में आप द्वारा प्रशासन को भेजे गए कई खतों की प्रतियां उपलब्धहैं. आश्चर्यजनक ढंग से सभी खातों में समान रूप से तर्कसंगत बातें हैं.

अब इस बात पर गौर फरमाएं कि दिल्ली में बिजली की आपूर्ति करने वाली तीन में से एक कंपनी बीएसईएस राजधानी इस संदर्भ में क्या कहती है.

इसके अनुसार, इसकी कमाई का 80 फीसदी हिस्सा बिजली खरीदने में चला जाता है. बीएसईएस राजधानी ने सरकारी कंपनी नेशनल थर्मल पावर कार्पोरेशन से समझौता किया है और इसका कहना है कि पिछले 10 सालों में बिजली की लागत में 300 फीसदी की वृद्धि हुई है जो 1.42 रुपये प्रति यूनिट से 5.71 रुपये प्रति यूनिट हो गया है. इसे नियामक संस्था ने भी मंजूरी दी है, इसलिए इस पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता.

इसके विपरीत बिजली का शुल्क पिछले 10 साल में 65 फीसदी बढ़ा है, जो 3.06 रुपये से 6.55 रुपये हो गया है.

कंपनी का कहना है कि इसे शहर से अभी भी 20,000 करोड़ रुपये की उगाही नहीं हुई है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 10 सालों में 120 फीसदी बढ़ गई है. इसके मुताबिक, वास्तविक शुल्क 7.40 रुपये प्रति युनिट होना ही चाहिए.

लेकिन आप के नेताओं का कुछ और ही कहना है. इसने एक खुला पत्र भेजा है जिसमें आठ मुख्य बातें हैं.

आप नेताओं ने दिल्ली बिजली नियामक आयोग के अध्यक्ष बृजेंद्र सिंह द्वारा 2010 में कही गई बातों का उल्लेख करते हुए निजी वितरकों द्वारा कमाए गए लाभ का जिक्र किया है और कहा कि शुल्क वास्तव में 23 फीसदी कम होना चाहिए.

पार्टी ने कहा, “बिजली कंपनी ने 2010-11 में 630 करोड़ रुपये की हानि का जिक्र किया है. जबकि बृजेंद्र सिंह का कहना है कि 3,577 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है, जिसका फायदा उपभोक्ताओं को मिलना चाहिए, यानी शुल्क में 23 फीसदी कमी की जा सकती है.”

लेकिन शीला दीक्षित सरकार ने नए नियामक अध्यक्ष को नियुक्त किया था और इसके बाद 22 फीसदी शुल्क बढ़ा दिया गया. आप ने खत में लिखा, “शीला दीक्षित की कार्रवाई से दिल्ली में बिजली शुल्क बढ़ गया है.”

आमआदमी पार्टी के मुताबिक, शुल्क में आधी कटौती की संभावना है.

नियामक संस्था के नए अध्यक्ष पी.डी. सुधाकर ने बिजली शुल्क में 22 फीसदी की वृद्धि की. इसलिए शुल्क 122 रुपये हो गया. 2012 में यह 32 फीसदी बढ़ी और लोगों को 161 रुपये प्रतिमाह चुकाने पड़ते हैं.

आप ने कहा कि बृजेंद्र सिंह ने 23 फीसदी कटौती की सिफारिश की थी और अगले साल इसी आधार पर कटौती की संभावना थी. लेकिन 77 रुपये की जगह लोग दोगुना शुल्क दे रहे हैं.

इस तरह दो महीने के बिजली उपभोग 200 युनिट के लिए शुल्क 503 रुपये होना चाहिए जो लोग 1,505 रुपये अदा कर रहे हैं. 400 युनिट के लिए 2,205 रुपये देने चाहिए, जिसकी जगह 4,400 रुपये दे रहे हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!