प्रसंगवश

अच्छे दिन कैसे आयेंगे?

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: मोदी सरकार के कड़वे फैसले की शुरुआत हुई. शुक्रवार को रेलवे के यात्री किराये में 14.2 फीसदी तथा माल भाड़े में 6.5 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी गई है. आलोचनाओं से बचने के लिये रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने यूपीए सरकार द्वारा 16 मई को घोषित की गई रेल किराये में वृद्धि के फैसले को ही बहाल किया है. गौरतलब है कि तब लोकसभा चुनाव परिणाम आने के दिन किराया वृद्धि की घोषणा की गई थी लेकिन तुरंत उस पर अमल को रोक दिया गया था.

इसी के साथ ही विपक्ष ने मोदी सरकार पर तंज कसा कि अच्छे दिन यह अच्छे दिन की शुरुआत नहीं है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री तथा जदयू के नेता नीतीश कुमार ने कहा “ये अच्छे दिन की शुरुआत नहीं है.” वहीं राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कहा “भाजपा ने देश में अच्छे दिन लाने का झांसा दिया.”

कांग्रेस के नेता संजय निरुपम ने अच्छे दिन आने वाले हैं के वादे से जनादेश प्राप्त करने वाली भाजपा के इस फैसले की निंदा की है. उन्होंने कहा “तेल जैसी जो चीजें आपके नियंत्रण में नहीं हैं, उन पर आप कुछ नहीं कर सकते, लेकिन रेल भाड़ा नहीं बढ़ाना आपके नियंत्रण में है तो इससे बचा जा सकता है. सरकार वादाखिलाफी कर रही है”

ज्ञात रहे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गोवा में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि अच्छे दिनों के लिये कड़वे फैसले लेने पड़ सकते हैं. उसी समय से कयास लगाये जा रहे थे रेल बजट में यात्री तथा माल भाड़े में बढ़ोतरी होने जा रही है. हालांकि, रेलवे के सूत्रों ने संकेत दिया था कि रेल किरायों में बढ़ोतरी बजट के पहले ही हो सकती है जो सही साबित हुई है.

रेलवे को इस बढ़े हुए किराये से करीब 8,000 करोड़ रुपयों की अतिरिक्त आमदनी होने जा रही है. फिलहाल रेलवे भारी वित्तीय संकट से गुजर रहा है और उसकी यात्री सब्सिडी 26,000 करोड़ तक पहुंच गई है. अभी रेल बजट पेश नहीं हुआ है इस कारण से इस बात की संभावना बनी ही हुई है कि इसमें और बढ़ोतरी हो सकती है.

यात्री किराये में इस बढ़ोतरी से दिल्ली से मुंबई का स्लीपर क्लास का जो किराया अब तक 555 रुपये था, अब लगभग 635 रुपया, एसी थर्ड ता किराया 1815 रुपये से 2075 रुपये,एसी सेकेंड का किराया 2495 से 2745 तथा एसी प्रथम श्रेणी का किराया 4136 रुपये से 4721 रुपये हो जाएगा.

रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने कहा “मुझे मजबूरी में अंतरिम बजट का प्रस्ताव लागू करना पड़ा. ये अंतरिम बजट यूपीए सरकार का था.” इसमें दो मत नहीं है कि मनमोहन सिंह की सरकार ने देश को जिस रास्ते पर 10 सालों तक चलाया है उससे वापस आना मोदी सरकार के लिये कोई आसान काम नहीं है. मनमोहन सिंह ने बड़े घरानों को दी जाने वाले सब्सिडी को बढ़ाया तथा आम जनता को दी जाने वाली सब्सिडी को घटाया था. बड़े घरानों को दी जाने वाले सब्सिडी से तात्पर्य उन्हें कॉरर्पोरेट टैक्स में दी जा रही छूट से है.

याद कीजिये, जब 1991 में नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री थे तथा मनमोहन सिंह देश के वित्त मंत्री थे, उस समय मनमोहन सिंह द्वारा पेश किये गये आम बजट के जवाब में नरसिम्हा राव ने कहा था कि देश को जिस राह पर डाल दिया गया है उससे वापस आना किसी के लिये भी संभव नहीं होगा. उनका यह भाषण सरकारी रिकॉर्ड में आज भी है. हालांकि, नरसिम्हा राव को भी नहीं मालूम था कि देश को किस राह पर डाल दिया गया है.

नरसिम्हा राव तथा मनमोहन सिंह ने मिलकर भारत में नई उदार आर्थिक नीति की नींव डाली थी. जिससे देश आत्मनिर्भरता की अवस्था से विश्व बैंक- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिलने वाले उधार का गुलाम हो गया. बैंक-कोष ने इन उधारियों के साथ ही भारत पर ऐसी शर्ते थोपनी शुरु कर दी कि देश आखिरकार विदेशी निवेश का गुलाम हो गया. बाद की सरकारों ने भी जिसमें अटल बिहारी बाजपेई की सरकार भी शामिल है, ने कभी देश को उस रास्ते से वापस लाने की कोशिश नहीं की थी.

अपने चुनाव प्रचार में जिस समय से भाजपा ने अच्छे दिन आने वाले हैं का नारा दिया उसी समय इस बात की उम्मीद जागी कि यदि मोदी की सरकार बनती है तो देश का उद्धार हो जायेगा. मोदी के राज में महंगाई कम होगी जिससे जनता सबसे ज्यादा त्रस्त है परन्तु शुक्रवार को किये गये रेल किराये में वृद्धि से इस बात का आभास होता है कि मोदी सरकार अच्छे दिन शायद न ला पाये क्योंकि मनमोहनी राह से लौटने की इच्छा शक्ति का उनमें भी अभाव है.

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