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न्यूटन के नियम की आलोचना

शिमला | एजेंसी: हिमाचल प्रदेश के एक शोधकर्ता ने अपनी पुस्तक में न्यूटन के गति नियम में खामी निकाली है. शोधकर्ता की पुस्तक कैम्ब्रिज इंटरनेशनल साइंस पब्लिसिंग से प्रकाशित हुई है.

हिमाचल प्रदेश सरकार में सहायक निदेशक के पद पर तैनात अजय शर्मा ने 340 पृष्ठों की ‘बियोंड न्यूटन एंड आर्कमिडीज’ नामक पुस्तक लिखी है. शर्मा का कहना है कि न्यूटन ने गति के दूसरे नियम की खोज नहीं की है.

न्यूटन का दूसरा नियम गति पर आधारित है जो कहता है ‘किसी वस्तु पर आरोपित बल, उस वस्तु के द्रव्यमान एवं उसमें बल दिशा में उत्पन्न त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है.’

किताब की कीमत 5200 रुपये अथाव 80 डॉलर रखी गई है. इसमें कहा गया है, “न्यूटन की पहली पुस्तक प्रिंसिपिया’ ,8 मई 1686 का अलोचनात्मक अध्ययन करने से यह साफ होता है कि कोई नहीं जानता कि एफएमए का सिद्धांत किसने दिया.”

शर्मा ने कहा, “आने वाली पीढ़ी को गति के नियम की सच्चाई जानने का अधिकार है और इसीलिए 220 देशों के स्कूल स्तर की पाठ्यपुस्तकों को दोबारा तैयार करने की जरूरत है.”

न्यूटन के दूसरे नियम के बारे में किताब में लिखा गया है : मान लेते हैं कि एक बालक दीवार से 10 मीटर की दूरी पर खड़ा है. बालक एक रबड़ की गेंद और एक कपड़े की गेंद पकड़े है.

बालक पहले रबड़ की गेंद को 2एन बल से दीवार पर फेंकता है. गेंद दीवार से टकराकर वापस 10 मीटर तक आती है. ऐसे में इस मामले में क्रिया और प्रतिक्रिया बराबर है.

इसके बाद बालक कपड़े की गेंद को 2एन बल से दीवार पर फेंकता है. कपड़े की गेंद वापस पांच मीटर तक आती है. इस तरह क्रिया और प्रतिक्रिया बराबर नहीं है.

शर्मा की किताब के 10वें अध्याय में कहा गया है कि इस तरह हरेक क्रिया की प्रतिक्रिया तो होती है लेकिन यह हर समय बराबर नहीं भी हो सकती है.

इन मूलभूत सिद्धांतों पर पिछले 31 वर्ष से कार्य कर रहे शर्मा ने कहा कि कैम्ब्रिज ने इस पुस्तक को प्रकाशित करने से पहले सात महीने तक इसकी समीक्षा की.

शर्मा ने कहा कि हम इस पुस्तक को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स और लिम्का बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में शामिल कराना चाहते हैं.

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