छत्तीसगढ़रायपुर

नक्सलवाद और आतंकवाद में फर्क नहीं

नई दिल्ली | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा है कि नक्सलवाद और आतंकवाद एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. उन्होंने नक्सल प्रभावित राज्यों के लिये एकीकृत कार्य योजना बनाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि नक्सलवाद एक राष्ट्रीय खतरा है और इसके विरूद्ध लड़ाई में राष्ट्रीय एकजुटता और राष्ट्रीय नीति का होना अत्यंत आवश्यक है. इस समस्या के स्वरूप और फैलाव को देखते हुए देश में बहुआयामी सतर्कता की आवश्यकता है. रमन सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि नक्सलवादी हिंसा को कहीं भी सहानुभूति न मिले, अनावश्यक अटकलों से जनमत भ्रमित न हो, हमारे अनावश्यक आरोप-प्रत्यारोप से नक्सलियों को बचाव का अवसर न मिले, ऐसा वातावरण बनाना भी आवश्यक है.

रमन सिंह देश की आंतरिक सुरक्षा पर आयोजित मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में बोल रहे थे. सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के दरभा क्षेत्र में पिछले महीने की 25 तारीख को घटित नक्सल हिंसा की वारदात की कठोर शब्दों में भर्त्सना करते हुए सर्वसम्मति से निंदा प्रस्ताव भी पारित किया गया.

मुख्यमंत्री ने सम्मेलन में कहा कि नक्सलवाद वास्तव में आंतकवाद का भयानक चेहरा है. इसके मुकाबले के लिए केन्द्र सरकार को सभी प्रभावित राज्यों के साथ मिलकर एकीकृत कार्य योजना बनाने की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि नक्सलवादियों के विरूद्ध हमारी सरकार द्वारा विगत वर्षों से जारी अभियान और भी ज्यादा ताकत के साथ जारी रहेगा.

रमन सिंह ने कहा कि नक्सलवाद और आतंकवाद एक ही सिक्के के दो पहलू हैं लेकिन काफी समय तक जो लोग यह नहीं मानते थे उन्होंने भी अब नक्सलवाद को आतंकवाद का पर्याय मानना शुरू किया है . आतंकवाद के समान ही नक्सलवादी हिंसा पर भी सिर्फ एक दृष्टिकोण की गुंजाइश है, और वह है इस हिंसावाद से सख्ती से निपटना, वरना नक्सलवाद से मुकाबला मुश्किल हो जाएगा. नक्सलवादियों को देश के संविधान और लोकतंत्र पर विश्वास नहीं है बल्कि बर्बर हिंसा के माध्यम से दुर्गम अंचलों में आतंक का वातावरण बनाते हैं, ताकि वहां ऐसी अधोसंरचना का विकास न हो पाए, जिससे ग्रामीणों को लाभ मिल सके. इस तरह विध्वंस के बीच विकास की कठिन चुनौती है.

मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि देश की अखण्डता के लिए सबसे बड़ी लड़ाई आज छत्तीसगढ़ लड़ रहा है. सुकमा, दंतेवाड़ा, बस्तर, बीजापुर, नारायणपुर जैसे हमारे दूरस्थ जिलों में लड़ी जा रही यह लड़ाई वास्तव में इन जिलों या सिर्फ छत्तीसगढ़ की लड़ाई नहीं है. यह लड़ाई तो दिल्ली का लक्ष्य साधने और लालकिले पर बंदूक के बल पर कब्जे की बदनीयती रखने वालों के खिलाफ है.

रमन सिंह ने जानकारी दी कि छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का मुख्य हथियार आई.ई.डी. है और इस वर्ष छत्तीसगढ़ में एक आई.ई.डी. स्कूल की स्वीकृति दी गई है, जिसमें इससे संबंधित विषयों का प्रशिक्षण विशेषज्ञों द्वारा दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि एन.सी.टी.सी. जैसी संस्था यदि बने तो उसमें हमारे संविधान के संघीय ढांचे का सम्मान हो. एन.सी.टी.सी. में राज्यों की भागीदारी केवल कागजों पर सीमित न रहे, बल्कि प्रभावी भागीदारी को और संस्थागत व्यवस्था को संसद द्वारा अधिनियमित कराया जाए. हमने तत्समय एन.सी.टी.सी. का विरोध इसलिए भी किया था कि उसे इंटेलिजेंस ब्यूरो के अंतर्गत प्रस्तावित किया गया था. रमन सिंह ने कहा कि इसे आई.बी. का भाग बनाने से आई.बी. की कार्यप्रणाली को भी नुकसान होगा और उसे पब्लिक स्क्रूटनी से गुजरना पड़ सकता है. नए प्रस्ताव में एन.सी.टी.सी को गृह मंत्रालय के अधीन लाया गया है, लेकिन इसके अलावा भी कई ऐसे बिन्दु है जिसमें संशोधन की आवश्यकता है. सबसे बड़ी आवश्यकता तो एन.सी.टी.सी. को संसद में कानून बनाकर लाने की है, ताकि प्रजातंत्र में ऐसी संस्था की जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!