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नालंदा विवि में फरवरी से कामकाज

नई दिल्ली | एजेंसी: पुनर्जीवित नालंदा विश्वविद्यालय में छोटे स्तर पर ही इसी वर्ष से संचालन शुरू हो जाएगा. छात्रों और शिक्षण कर्मचारियों का पहला जत्था फरवरी के अंत तक बिहार की राजधानी पटना से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजगीर पहुंच जाएगा. राजगीर में ही विशाल अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है.

एक सरकारी सूत्र ने आईएएनएस से कहा, “फरवरी के अंत तक हम राजगीर पहुंच जाएंगे. हम नजदीक के होटलों को ले रहे हैं और सभी विकल्पों को आजमा रहे हैं.”

नालंदा विश्वविद्यालय में अभी 40 छात्र या नालंदा फेलो हैं. शिक्षक और कर्मचारियों के साथ सभी विश्वविद्यालय का ढांचा तैयार होने तक अस्थायी परिसर से कामकाज संचालित करेंगे.

सूत्र ने कहा, “बिहार सरकार ने हमें स्वास्थ्य विभाग का अपना कार्यालय इस्तेमाल करने की इजाजत दी है. बिहार के मुख्यमंत्री व्यक्तिगत रूप से परियोजना पर नजर रख रहे हैं.”

यह विश्वविद्यालय भारत सरकार और 18 पूर्व एशियाई शिखर देशों का साझा प्रयास है. यह विश्वविद्यालय प्राचीन विवि के खंडहरों से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित होगा. 12वीं सदी तक प्राचीन विश्वविद्यालय में दुनिया भर से विचारक और अध्येता यहां आते रहे थे.

इस विश्वविद्यालय को कुतबुद्दीन एबक के सिपहसालार बख्तियार खिलजी के नेतृत्व में तुर्को की सेना ने तबाह कर दिया था. आक्रांताओं ने विश्वविद्यालय को आग के हवाले कर दिया था और कई दिनों तक इसका पुस्तकालय जलता रहा था.

446 एकड़ में फैले आधुनिक शिक्षा के केंद्र का परिसर 8 किलोमीटर चाहरदीवारी से घिरा होगा.

यह आवासीय विश्वविद्यालय 2020 तक पूरा होगा जिसमें सात स्कूल होंगे. ये सभी स्कूल स्नात्कोत्तर और डॉक्टरेट के छात्रों के लिए होंगे.

उल्लेखनीय है कि इस परियोजना के लिए चीन 10 लाख डॉलर, सिंगापुर ने 50 लाख डॉलर और आस्ट्रेलिया ने 10 लाख डॉलर देने की प्रतिबद्धता जताई है. यह सभी कोष स्वैच्छिक रूप से दिए जाने की पेशकशा की गई है.

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