प्रसंगवशराष्ट्र

मोदी फिर बोले

कनक तिवारी
भाजपा के कर्णधार नरेन्द्र मोदी कर्ण की तरह ही लोकसभा की महाभारत का युद्ध लड़ रहे हैं. उन पर 2002 के गुजरात में हुए अल्पसंख्यक नरसंहार की छाया है. उन पर पुलिसिया आरोप अलबत्ता सिद्ध नहीं हो सके हैं. मोदी मुसलमानों का समर्थन जीतने के लिए उनके पीछे पड़ गए हैं.

कोलकाता यात्रा में उन्होंने मुसलमानों के योगदान को रेखांकित किया. अन्य इलाकों में भी वे ऐसे ही करतब कर रहे हैं.

उन्होंने मुसलमान उद्यमियों के जलसे में यह ऐतिहासिक घोषणा की कि हिन्दू और मुसलमान भारत के विकास के दो पहिए हैं. भारत बेचारा वह देश है जो मोदी के कारण दुपहिया वाहनों पर ही चलेगा.

गुजरात पहले से ही विकसित प्रदेश है. वहां मोदी पश्चिम बंगाल से छीनकर टाटा की नैनो कार का कारखाना भी ले गए हैं. उन्होंने यह नहीं कहा कि हिन्दू मुसलमान के अतिरिक्त ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और नए अल्पसंख्यक बने जैन भी भारत विकास के सोमनाथ रथ के पहिए हैं.

देश में ईसाई नेता यू.पी.ए. तथा कांग्रेस की अध्यक्ष हैं. कांग्रेस के युवा उपाध्यक्ष के पिता के पारसी होने से राहुल गांधी भी पारसी ही होंगे. प्रधानमंत्री अल्पसंख्यक अर्थात सिख हैं. उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी मुसलमान हैं. राष्ट्रपति प्रणव कुमार मुखर्जी और लोकसभा अध्यक्ष दलित नेत्री मीरा कुमार हिन्दू हैं. ऐसे में भाजपा के बदले यह तो कांग्रेस का श्रेय है कि उसने सभी अल्पसंख्यक वर्गों को ठीकठाक महत्व दिया है.

मुसलमानों को बराबर का पहिया बनाने का काम आडवाणी और मोदी को अपने ऊपर चढ़ाए सोमनाथ से अयोध्या जाते टोयोटा रथ ने तो नहीं दिया था. तब तो बेचारे मुसलमानों के जीवन का पहिया अभिमन्यु के रथ के पहिए की तरह बाबरी मस्जिद के दलदल में धंस गया था. वह पहिया 2002 में भी चल नहीं पाया.

फिर भी मोदी कहते हैं कि मुसलमान हिन्दू के बराबर विकास का पहिया हैं. उनसे पूछा जाना चाहिए कि देश में मुसलमानों की औसत आय क्या है. गरीबी के कारण अल्पसंख्यक मुसलमानों को अतिरिक्त आरक्षण देने के कुलांचे राजनीतिक दल क्यों भर रहे हैं. मशहूर पत्रिका इकॉनॉमिक और पोलिटिकल वीकली की एक रपट के अनुसार नगरपालिक क्षेत्रों में मुसलमान वार्डों में पीने का पानी तक कम दिया जाता है. ये कई वजहें हैं कि कठमुल्ला इस्लामी शक्तियां मुस्लिम युवकों को बहका फुसलाकर अपराधिक कामों से जोड़ने की कोशिश करती हैं.

मोदी मुस्लिम महिलाओं के पिछड़ेपन, परदा प्रथा और निजी धार्मिक कानूनों की दुर्दशा पर क्यों कुछ नहीं बोले. ऐसे तो मोदी बहुत बोलते हैं. अबकी बार सचमुच मजबूरी में कुछ कुछ बोले. उम्मीद है भाजपा के लोकसभाई कर्ण घोषणापत्र में मुसलमानों के लिए वायदा करने में कांग्रेस को पीछे करना चाहेंगे. इसके साथ साथ तत्काल भाजपा संगठन में मुसलमान पदाधिकारियों का प्रतिशत देश की अन्य पार्टियों के मुकाबले ज़्यादा कर देंगे.
* उसने कहा है-11

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