राष्ट्र

मोदी-ओबामा वाशिंगटन में मिलेंगे

नई दिल्ली | संवाददाता: नौ वर्ष बाद पिघली रिश्तों पर जमी बर्फ. अमरीकी प्रशासन ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद रिश्तों पर जमीं बर्फ को पिघलाने के लिये पहल की जिसका सकारात्मक नतीजा निकला है. भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने अमरीका आने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है. सूत्रों के अनुसार यह बैठक सितंबर माह में किसी समय वाशिंगटन डीसी में होने जा रही है.

अमरीका, मोदी तथा ओबामा के बैठक को इतना महत्व दे रहा है कि इस बैठक को न्यूयार्क में होने वाले संयुक्त राष्ठ्र के बैठक के इतर कर के अपनी प्रतिबद्धता का इजहार कर रहा है. गौरतलब है कि 2005 में अमरीकी प्रशासन ने नरेन्द्र मोदी को वीजा देने से इंकार कर दिया था. ऐसा अमरीका के धार्मिक स्वतंत्रता एक्ट के तहत किया गया था. हालांकि, उसके बाद से इस बात के कयास लगाये जाते रहें हैं कि अमरीका, मोदी को प्रधानमंत्री बनने के बाद वीजा देने के लिये मजबूर हो जायेगा. परन्तु मोदी ने 2005 के बाद से कभी अमरीकी वीजा के लिये आवेदन नहीं किया था.

मोदी को वीजा न दिये जाने से उनकी अमरीका के साथ रिश्तों में एक खटास आ गई थी तथा मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते चीन के साथ व्यापार को वरीयता दी थी. 2013 में जब से भाजपा ने मोदी को अपने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया राजनीतिक हल्कों में इस पर सवाल किये जाने लगे थे कि यदि मोदी भारत के प्रधानमंत्री बन गये तो अमरीका क्या करेगा. गौरतलब है कि अमरीका की विदेश नीति को तय करने में वहां के व्यापारिक घरानों का सीधा दखल रहता है. ऐसे में यह तय माना जा रहा था कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने से अमरीकी नैगम घरानों के दबाव में ओबामा प्रशासन को यू टर्न लेना पड़ेगा.

इसी कारण से फरवरी 2014 में तत्कालीन अमरीकी राजदूत नैन्सी पावेल ने गांधीनगर जाकर नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. इसके बाद जब 16 मई 2014 नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा ने जीता लोकसभा चुनाव जीता तो अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मोदी को फोन पर बधाई दी थी तथा अमरीका आने का न्यौता देने में देर नहीं की. अब जाकर मोदी ने अमरीका का निमंत्रण स्वीकार किया है तथा सितंबर माह में वाशिंगटन डीसी में उनकी बैठक होने जा रही है.

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