राष्ट्र

आज मोदी सरकार का तोहफ़ा

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: केंद्रीय मंत्रिमंडल संभवत: बुधवार को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर विचार करेगा. लिहाजा यह माना जा रहा है कि मोदी सरकार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर अपनी मुहर लगा देगी. केन्द्र सरकार द्वारा वेतन आयोग के सिपारिशों को मानने के बाद राज्यों में राज्य सरकार द्वारा भी अपने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाया जाता है. इस लिहाज़ से आज का दिन सभी सरकारी कर्मचारियों के लिये अच्छा दिन ला सकता है.

सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी. इन सिफारिशों को माने जाने की स्थिति में केंद्र सरकार के करीब 50 लाख कर्मियों का वेतन बढ़ेगा और 58 लाख पेंशनभोगियों के भुगतान में इजाफा होगा.

केंद्र सरकार ने जनवरी में मंत्रिमंडलीय सचिव पी. के. सिन्हा के नेतृत्व में उच्चाधिकार प्राप्त सचिवों की एक समिति का गठन किया था. इस समिति को वेतन आयोग की संस्तुतियों पर विचार करना था.

समिति ने अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को सौंपी थी. वित्त सचिव अशोक लावासा ने सोमवार को कहा कि मंत्रालय इस रिपोर्ट के आधार पर एक कैबिनेट नोट का मसौदा तैयार करेगा.

आयोग ने संस्तुति की है कि न्यूनतम वेतन 18 हजार प्रति माह होना चाहिए. अधिकतम वेतनमान की सीमा प्रति माह 2 लाख 25 हजार रुपये होनी चाहिए. मंत्रिमंडलीय सचिव एवं अन्य के लिए जो अभी समान वेतनमान में हैं, उनका अधिकतम वेतनमान 2 लाख 50 हजार रुपये प्रतिमाह हो.

इस वेतनमान को लागू करने की अनुशंसा एक जनवरी 2016 से की गई है.

वेतन आयोग की अनुशंसाओं को लागू करने से सरकारी आकलन के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2016-17 में करीब 1 लाख 2 हजार 100 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा.

वेतन मद में खर्च में 39 हजार 100 करोड़ का इजाफा होगा जबकि भत्तों के मद में 29 हजार 300 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी. पेंशन मद में 33 हजार 700 करोड़ रुपये खर्च बढ़ेगा.

वेतन आयोग ने रक्षा कर्मियों के साथ-साथ केंद्र सरकार के सभी असैनिक कर्मियों और केंद्रीय सशस्त्र बलों के लिए भी ‘वन रैंक वन पेंशन’ की तरह के प्रावधान की संस्तुति की है. इसका मकसद पहले से पेंशन पाने वालों और हाल में सेवानिवृत्त हुए लोगों के बीच समतुल्यता लाना है. खासकर जिनकी सेवा अवधि समान रही है और जो वर्ष 2016 की एक जनवरी से पहले सेवानिवृत्त हुए हैं.

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